सोलहवीं लोकसभा (2014)
भारत में सोलहवीं लोकसभा के लिए आम चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई, 2014 तक 9 चरणों में सम्पन्न हुए। इसके लिए भारत की सभी संसदीय क्षेत्रों में वोट डाले गये। ऐसा पहली बार हुआ, जब देश में 9 चरणों में लोकसभा चुनाव हुए। सभी नौ चरणों में औसत मतदान 66.38 % के आसपास रहा जो भारतीय आम चुनाव के इतिहास में सबसे उच्चतम है। चुनाव के परिणाम की घोषणा 16 मई को की गयी। 336 सीटों के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सबसे बड़ा दल और 282 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने 59 सीटों पर और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की।[1]
ख़ास रहा लोकसभा चुनाव 2014
16वीं लोकसभा चुनने के लिए हुआ आम चुनाव पिछले सभी आम चुनावों की तुलना में कई मायनों में ख़ास रहा। ख़ास इस मायने में कि इस बार अकेले किसी एक व्यक्ति यानी भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी नाम पर सर्वाधिक वोट पड़ने की बात की जा रही है और मोदी जिस तरह इस चुनाव को अपनी तैयारियों से अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव जैसा बनाना चाहते थे उसमें वे काफ़ी हद तक कामयाब भी रहे। ख़ास इस मायने में भी कि इस बार चुनाव प्रचार भौंडेपन के निम्नतम स्तर पर पहुंचा और किसी भी खेमे ने अपने प्रतिद्वंद्वी पर व्यक्तिगत रूप से अपने कीचड़ उछालने में कोई कोताही नहीं की। इस सिलसिले में आधुनिक संचार सुविधाओं का भी अभूतपूर्व इस्तेमाल हुआ। यह चुनाव इसलिए भी ख़ास रहा कि चुनाव आयोग के चुनाव सुधार सबंधी तमाम दावों के बावजूद इस बार जिस तरह पानी की तरह पैसा बहाया गया, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। बेतहाशा खर्चीले चुनाव प्रचार का स्वाभाविक असर मीडिया और सर्वे एजेंसियों पर भी दिखा और उन पर भी एक व्यक्ति यानी नरेन्द्र मोदी का रंग छाया रहा। बहरहाल, यह तो तय है कि नरेन्द्र मोदी की वजह से भाजपा को इस चुनाव में जबरदस्त बढ़त मिली। यही नहीं, मोदी भाजपा को वहां भी ले जाने और जमाने में सफल रहे हैं, जो भाजपा के लिए एक तरह से बेगाने रहे हैं।[2]
मोदी लहर से भाजपा की ऐतिहासिक जीत
कांग्रेस विरोधी लहर के ख़िलाफ़ 'मोदी लहर' के विजय रथ पर सवार 63 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिलाने के साथ ही पूरे भारत में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया है, जो पहले कभी नहीं देखा गया। राजग में भाजपा के अलावा 24 अन्य छोटे घटक दल हैं। 543 सदस्यीय लोकसभा में अकेले दम पर भाजपा 282 सीटों पर जीत दर्ज की। 1984 के बाद के 30 वर्षों में भाजपा ऐसी पहली पार्टी बन गई है, जिसने अपने दम पर बहुमत हासिल किया है। 1984 में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 400 से अधिक सीटें जीती थीं। हिन्दी भाषी राज्यों में मोदी लहर साफ दिखी। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की कुल 225 सीटों में से 190 पर भाजपा ने काबिज होकर इन राज्यों से न सिर्फ कांग्रेस बल्कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय लोक दल और राष्ट्रीय जनता दल जैसे क्षेत्रीय दलों का सफाया सा कर दिया। मोदी लहर ने गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक और असम जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में भी असर दिखाया। 15वीं लोकसभा में भाजपा के 116 सदस्य थे और उसकी वोट हिस्सेदारी 18.8 प्रतिशत थी। कांग्रेस 28.55 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी के साथ 206 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। इस बार भाजपा को 31.4 प्रतिशत तो कांग्रेस को 19.5 प्रतिशत वोट हिस्सेदारी मिली। उत्तर प्रदेश में 'मोदी लहर' कुछ इस तरह चली कि भाजपा को 80 में से 70 से अधिक सीटें मिली। और जहां बसपा का खाता नहीं खुल पाया, वहीं कांग्रेस और सपा केवल अपने परिवार की सीटें ही बचाने में सफल रहीं। वडोदरा और वाराणसी दोनों सीटों से चुनाव जीते मोदी ने वडोदरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए देश चलाने में सभी पार्टियों से सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि ये सरकार किसी एक पार्टी विशेष की नहीं बल्कि देश की जनता की है। वडोदरा में 5.70 लाख वोटों से जीत दिलाने के लिए उन्होंने मतदाताओं का धन्यवाद किया। मोदी ने इस बात पर गर्व जताया कि कांग्रेस के बाद भाजपा देश की ऐसी दूसरी पार्टी बन गई है, जिसने अपने बूते स्पष्ट बहुमत हासिल किया। सरकार को संविधान की भावना के अनुरूप चलाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार के लिए न तो कोई पसंदीदा है और न ही कोई अलग थलग। उन्होंने कहा, 'मेरी जिम्मेदारी देश को चलाने में सबको साथ लेकर चलने की है। लोकतंत्र में कोई दुश्मन नहीं होता बल्कि प्रतिस्पर्धी होता है। चुनाव के साथ ही वह प्रतिस्पर्धा समाप्त हो जाती है।' इससे पहले अयोध्या आंदोलन के सहारे भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 180 से अधिक सीटें हासिल की थीं।[3]
कांग्रेस की सबसे बुरी पराजय
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए कहा कि जनादेश कांग्रेस के ख़िलाफ़ है और परिणामों के बारे में सोचने के लिए बहुत कुछ है। मोदी लहर ने 30 साल बाद भाजपा के रूप में किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिलाया है और आजादी के बाद सबसे अधिक समय देश पर शासन करने वाली कांग्रेस को अब तक की सबसे बुरी पराजय का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग को लगभग 59 सीटें मिली। जिसमें से कांग्रेस कुल 44 सीटें ही जीत पाई।[3]
अन्य दलों का प्रदर्शन
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक, ओडिशा में बीजद ने जबर्दस्त प्रदर्शन किया है। आम तौर पर भाजपा की पहुंच वाले क्षेत्र नहीं माने जाने वाले पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भाजपा ने इस बार अच्छा प्रदर्शन किया। राजस्थान, गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में भाजपा ने पूरी की पूरी सीटें जीती हैं। 16वीं लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, श्रीप्रकाश जायसवाल, सचिन पायलट, पल्लम राजू, कपिल सिब्बल, तथा भाजपा के अरुण जेटली और आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल सभी ने अपना चुनाव हारा। लोकसभा चुनावों में पहली बार शामिल हुई नई पार्टी 'आम आदमी पार्टी' पंजाब से चार सीटें जीतने में कामयाब रही लेकिन दिसम्बर 2013 में सम्पन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में 28 सीट जीतने वाली इस पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी की सात में से एक भी सीट नहीं नसीब हो पाई। सभी सातों सीटें भाजपा के खाते में गईं। भाजपा नेताओं ने जहां जीत का सेहरा मोदी के सिर बांधा, वहीं वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के शानदार प्रदर्शन के लिए मोदी को बधाई दी।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ALL INDIA Result Status (अंग्रेज़ी) ELECTION COMMISSION OF INDIA। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2014।
- ↑ इस चुनाव को क्यों याद किया जाएगा? (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2014।
- ↑ 3.0 3.1 3.2 चुनाव परिणाम 2014 : बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, अपने बूते हासिल करेगी बहुमत (हिंदी) एनडीटीवी इंडिया। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
- लोकसभा चुनाव 2014 में रिकॉर्ड 66.38% मतदान
- चुनाव परिणाम 2014 : बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, अपने बूते हासिल करेगी बहुमत
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