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'''सम्भल''' [[उत्तर प्रदेश]] के मुरादाबाद ज़िले में स्थित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। [[ | '''सम्भल''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[मुरादाबाद ज़िला|मुरादाबाद ज़िले]] में स्थित एक प्राचीन [[तीर्थ|तीर्थ स्थल]] है। [[पुराण|पुराणों]] में [[सत्ययुग]], [[त्रेता युग|त्रेता]], [[द्वापर युग|द्वापर]] और [[कलियुग]] में इसके नाम क्रमश: 'सत्यव्रत', 'महद्गिरि', 'पिंगल' और सम्भल या शंबल वर्णित हैं। | ||
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*यहाँ ऐसी पौराणिक मान्यता है कि [[कलियुग]] में कल्कि अवतार [[शंबल]] नामक ग्राम में | *इतिहासकार [[टॉलमी]] द्वारा उल्लिखित 'संबकल' को सम्भल से समीकृत किया जाता है। | ||
*यहाँ ऐसी पौराणिक मान्यता है कि [[कलियुग]] में कल्कि अवतार [[शंबल]] नामक ग्राम में होगा, जिसका अभिज्ञान लोकविश्वास में इसी नगर से किया जाता है। | |||
* | *[[मध्य काल]] में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया था, क्योंकि यह [[आगरा]] व [[दिल्ली]] के निकट स्थित है। | ||
*सम्भल की जागीर [[बाबर]] के आक्रमण के समय | *सम्भल की जागीर [[मुग़ल]] [[बाबर|बादशाह बाबर]] के आक्रमण के समय उसके सरदारों के हाथ में थी। | ||
* | *बाबर ने [[हुमायूँ]] को संभल की जागीर दी थी, लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया। इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल [[अस्करी]] को मिला। | ||
*[[शेरशाह सूरी]] ने हुमायूँ को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दी। | |||
*[[शेरशाह सूरी]] ने हुमायूँ | *अब्बास ख़ाँ शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और [[जैन]] मूर्तियों का खण्डन किया। | ||
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08:12, 10 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण
सम्भल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में स्थित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। पुराणों में सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग में इसके नाम क्रमश: 'सत्यव्रत', 'महद्गिरि', 'पिंगल' और सम्भल या शंबल वर्णित हैं।
- इतिहासकार टॉलमी द्वारा उल्लिखित 'संबकल' को सम्भल से समीकृत किया जाता है।
- यहाँ ऐसी पौराणिक मान्यता है कि कलियुग में कल्कि अवतार शंबल नामक ग्राम में होगा, जिसका अभिज्ञान लोकविश्वास में इसी नगर से किया जाता है।
- मध्य काल में सम्भल का सामरिक महत्त्व बढ़ गया था, क्योंकि यह आगरा व दिल्ली के निकट स्थित है।
- सम्भल की जागीर मुग़ल बादशाह बाबर के आक्रमण के समय उसके सरदारों के हाथ में थी।
- बाबर ने हुमायूँ को संभल की जागीर दी थी, लेकिन वहाँ वह बीमार हो गया, अतः आगरा लाया गया। इस प्रकार बाबर के बाद हुमायूँ ने साम्राज्य को भाइयों में बाँट दिया और सम्भल अस्करी को मिला।
- शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को खदेड़ दिया और अपने दामाद मुबारिज़ ख़ाँ को सम्भल की जागीर दी।
- अब्बास ख़ाँ शेरवानी के अनुसार बाबर के सेनापतियों ने यहाँ कई मन्दिरों को तोड़ा था और जैन मूर्तियों का खण्डन किया।
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