"श्रेणी:जैन धर्म": अवतरणों में अंतर
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मोक्ष पथ के पथिक जन को, यही वाणी सुनानी है ।।कमंडलु०।।२ ।। | |||
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बने मति " चन्दना" ऐसी, यही रृषियों की वाणी है ।।कमण्डलु ० ।।३ ।। |
16:32, 14 फ़रवरी 2013 का अवतरण
(भजन ) दिगम्बर प्राकृतिक मुद्रा, विरागी की निशानी है । कमण्डलु पिच्छिधारी नग्न- मुनिवर की कहानी है ।।टेक०।। दिशाएँ ही बनी अंबर, न तन पर वस्त्र ये डालें । महाव्रत पाँच समिति और, गुप्ती तीन ये पालें ।। त्रयोदश विधि चरित पालन, करें जिनवर की वाणी है ।।कमण्डलु --।।१।। बिना बोले ही इनकी शान्त मुद्रा यह बताती है । मुक्ति कन्या वरण में यह, ही मुद्रा काम आती है ।। मोक्ष पथ के पथिक जन को, यही वाणी सुनानी है ।।कमंडलु०।।२ ।। यदि मुनिव्रत न पल सकता, तो श्रावक धर्म मत भूलो । देव-गुरु-शास्त्र की श्रद्धा, परम कर्तव्य मत भूलो ।। बने मति " चन्दना" ऐसी, यही रृषियों की वाणी है ।।कमण्डलु ० ।।३ ।।
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