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+[[बकासुर]]
+[[बकासुर]]
||बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था। उसको भोजन में प्रतिदिन बीस खारी अगहनी के [[चावल]], दो भैंसे तथा एक मनुष्य की आवश्यकता होती थी। उस दिन [[अज्ञातवास]] के समय पांडवों के आश्रयदाता [[ब्राह्मण]] की बारी थी। उसके परिवार में पति-पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री थे। वे लोग निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि किसको [[बकासुर]] के पास भेजा जाय। [[कुंती]] की प्रेरणा से ब्राह्मण के स्थान पर खाद्य सामग्री लेकर [[भीम]] बकासुर के पास गये। पहले तो वह बकासुर को चिढ़ाकर उसके लिए आयी हुई खाद्य सामग्री खाते रहे, फिर उससे द्वंद्व युद्ध कर उसे मार डाला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बकासुर]]
||बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था। उसको भोजन में प्रतिदिन बीस खारी अगहनी के [[चावल]], दो भैंसे तथा एक मनुष्य की आवश्यकता होती थी। उस दिन [[अज्ञातवास]] के समय पांडवों के आश्रयदाता [[ब्राह्मण]] की बारी थी। उसके परिवार में पति-पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री थे। वे लोग निश्चय नहीं कर पा रहे थे कि किसको [[बकासुर]] के पास भेजा जाय। [[कुंती]] की प्रेरणा से ब्राह्मण के स्थान पर खाद्य सामग्री लेकर [[भीम]] बकासुर के पास गये। पहले तो वह बकासुर को चिढ़ाकर उसके लिए आयी हुई खाद्य सामग्री खाते रहे, फिर उससे द्वंद्व युद्ध कर उसे मार डाला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बकासुर]]
{निम्न में से किस [[अप्सरा]] ने [[अर्जुन]] को नपुंसक होने का शाप दिया?
|type="()"}
-[[रम्भा]]
+[[उर्वशी]]
-[[मेनका]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण अर्जुन को समझाते हुए]]'उर्वशी' सुरलोक की श्रेष्ठ नर्तकी थी। वह [[अर्जुन]] पर मोहित थी। अवसर पाकर [[उर्वशी]] ने अर्जुन से कहा, 'हे अर्जुन! आपको देखकर मेरी काम-वासना जागृत हो गई है, अतः आप कृपया करके मेरी काम-वासना को शांत करें।' उसके वचन सुनकर अर्जुन बोले, 'हे देवि! हमारे पूर्वज ने आपसे [[विवाह]] करके हमारे वंश का गौरव बढ़ाया था, अतः पुरु वंश की जननी होने के नाते आप हमारी [[माता]] समान हैं। देवि! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।' अर्जुन की बातों को सुनकर उर्वशी ने कहा, 'तुमने नपुंसकों जैसे वचन कहे हैं, अतः मैं तुम्हें शाप देती हूँ कि तुम एक वर्ष तक पुंसत्वहीन रहोगे।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उर्वशी]]
{निम्न में से कौन राजा [[विराट]] की पत्नी थीं?
|type="()"}
+[[सुदेष्णा]]
-[[सैरन्ध्री]]
-[[रेणुका]]
-[[दमयंती]]
{[[विराट नगर]] में [[पाण्डव]] [[नकुल]] ने क्या नाम ग्रहण किया था?
|type="()"}
-तंत्रिपाल
-[[बृहन्नला]]
+ग्रंथिक
-[[कंक]]
||[[महाभारत]] में [[नकुल]] [[माता]] [[कुन्ती]] के नहीं, अपितु [[माद्री]] के पुत्र थे। नकुल एक कुशल अश्वारोही और घोड़ों के संबन्ध में विशेष ज्ञान रखने वाले थे। वे [[युधिष्ठिर]] के चतुर्थ भ्राता, [[अश्विनीकुमार|अश्विनी कुमारों]] के औरस और [[पाण्डु]] के क्षेत्रज पुत्र थे। इनके सहोदर का नाम [[सहदेव]] था। नकुल सुन्दर, धर्मशास्त्र, नीति तथा पशु-चिकित्सा में दक्ष थे। [[अज्ञातवास]] में ये [[विराट]] के यहाँ 'ग्रंथिक' नाम से [[गाय]] चराने और घोड़ों की देखभाल का कार्य करते रहे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नकुल]]
{[[महाभारत]] में [[कीचक]] वध किस पर्व के अंतर्गत आता है?
|type="()"}
+[[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]
-[[आदि पर्व महाभारत|आदि पर्व]]
-[[शांतिपर्व महाभारत|शांति पर्व]]
-[[आश्रमवासिक पर्व महाभारत|आश्रमवासिक पर्व]]
{[[महाभारत]] युद्ध में कौन-से दिन [[श्रीकृष्ण]] ने [[अस्त्र शस्त्र|शस्त्र]] न उठाने की अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ा?
|type="()"}
-7वें दिन
-8वें दिन
+9वें दिन
-11वें दिन
||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण अपनी प्रतिज्ञा भंग करते हुए]]आठवें दिन का युद्ध समाप्त हो जाने के बाद [[दुर्योधन]] पितामह [[भीष्म]] के पास आया और बोला- 'पितामह!, लगता है आप जी लगाकर नहीं लड़ रहे। यदि आप भीतर-ही-भीतर [[पांडव|पांडवों]] का समर्थन कर रहे हैं तो आज्ञा दीजिए, मैं [[कर्ण]] को सेनापति बना दूँ। पितामह ने दुर्योधन से कहा- 'योद्धा अंत तक युद्ध करता है। कर्ण की वीरता तुम [[विराट नगर]] में देख चुके हो। कल के युद्ध में मैं कुछ कसर न छोडूँगा।' नौवें दिन के युद्ध में भीष्म के बाणों से [[अर्जुन]] भी घायल हो गए। [[कृष्ण]] के अंग भी जर्जर हो गए। श्रीकृष्ण अपनी प्रतिज्ञा भूलकर रथ का एक चक्र उठाकर भीष्म को मारने के लिए दौड़े। अर्जुन भी रथ से कूदे और कृष्ण के पैरों से लिपट पड़े और उन्हें रोका।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]]
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1 महाभारत में कौरव तथा पाण्डव सेनाओं का सम्मिलित संख्याबल कितने अक्षौहिणी था?

18 अक्षौहिणी
21 अक्षौहिणी
11 अक्षौहिणी
16 अक्षौहिणी

2 अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में जिस बालक की रक्षा की, उसका नाम क्या था?

इरावत
वभ्रुवाहन
परीक्षित
श्रुतकर्मा

3 धृतराष्ट्र का जन्म किसके गर्भ से हुआ था?

अम्बालिका
अम्बिका
अम्बा
देवयानी

4 निम्नलिखित में से कौन पाण्डवों के महाप्रयाण के बाद राजगद्दी पर बैठा?

जनमेजय
परीक्षित
इरावत
प्रद्युम्न

5 निम्न में से कौन निषाद जाति से सम्बन्धित था?

एकलव्य
युयुत्सु
अंजनपर्वा
सुषेण

6 राजा परीक्षित के पुत्र का नाम क्या था?

श्रुतकर्मा
इरावत
संवरण
जनमेजय

7 लाक्षागृह से जीवित बच निकलने के बाद पाण्डव किस नगरी में जाकर रहे?

विराट
एकचक्रा
मगध
वैशाली

8 महाभारत के रचयिता महर्षि व्यास के पिता कौन थे?

गौतम
कपिल
दुर्वासा
पराशर

9 भूरिश्रवा का दाहिना हाथ किसने काटा?

युधिष्ठिर ने
भीम ने
अर्जुन ने
सहदेव ने

10 एकचक्रा नगरी में भीम ने किस राक्षस का वध किया था?

हिडिम्ब
वृषभासुर
वज्रनाभ
बकासुर

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