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-[[तुलसीदास]]
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||[[संस्कृत]] भाषा के आदि कवि और आदि काव्य '[[रामायण]]' के रचयिता के रूप में [[वाल्मीकि]] की प्रसिद्धि है।  इनके [[पिता]] महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र [[वरुण देवता|वरुण]] या [[आदित्य देवता|आदित्य]] थे। [[उपनिषद]] के विवरण के अनुसार ये भी अपने भाई [[भृगु]] की भांति परम ज्ञानी थे। वनवास के समय भगवान श्री [[राम]] ने स्वयं इन्हें दर्शन देकर कृतार्थ किया। जब [[सीता]] जी का राम ने त्याग कर दिया, तब सीता ने अपने वनवास का अन्तिम काल इनके आश्रम पर व्यतीत किया। महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही [[लव कुश|लव]] और [[लवकुश|कुश]] का जन्म हुआ। वाल्मीकि जी ने उन्हें [[रामायण]] का गान सिखाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[वाल्मीकि]]
||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|100px|वाल्मीकि]][[संस्कृत]] भाषा के आदि कवि और आदि काव्य '[[रामायण]]' के रचयिता के रूप में [[वाल्मीकि]] की प्रसिद्धि है।  इनके [[पिता]] महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र [[वरुण देवता|वरुण]] या [[आदित्य देवता|आदित्य]] थे। [[उपनिषद]] के विवरण के अनुसार ये भी अपने भाई [[भृगु]] की भांति परम ज्ञानी थे। वनवास के समय भगवान श्री [[राम]] ने स्वयं इन्हें दर्शन देकर कृतार्थ किया। जब [[सीता]] जी का राम ने त्याग कर दिया, तब सीता ने अपने वनवास का अन्तिम काल इनके आश्रम पर व्यतीत किया। महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही [[लव कुश|लव]] और [[लवकुश|कुश]] का जन्म हुआ। वाल्मीकि जी ने उन्हें [[रामायण]] का गान सिखाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[वाल्मीकि]]


{[[श्लोक]] शब्द का अर्थ क्या होता है?
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-चार बार
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||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right|100px|श्रीराम-हनुमान मिलन]]'[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार [[हनुमान]] एक वानर वीर थे। भगवान [[राम]] को हनुमान [[ऋष्यमूक पर्वत]] के पास मिले थे। हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और परम [[भक्त]] सिद्ध हुए थे। [[सीता]] का अन्वेषण करने के लिए ये [[लंका]] गए। राम के दौत्य (अर्थात सन्देश देना या दूत का कार्य) आदि का दायित्व इन्होंने अद्भुत प्रकार से निर्वाह किया। [[राम]]-[[रावण]] युद्ध में भी इनका पराक्रम प्रसिद्ध है। रामावत वैष्णव धर्म के विकास के साथ हनुमान का भी दैवीकरण हुआ। वे राम के पार्षद और पुन: पूज्य देव रूप में मान्य हो गये। धीरे-धीरे हनुमंत अथवा मारूति पूजा का एक सम्प्रदाय ही बन गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[हनुमान]]


{[[राम]] ने [[लंका]] में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था?
{[[श्रीराम]] ने [[लंका]] में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था?
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||[[चित्र:Ramayana.jpg|right|100px|राम, लक्ष्मण तथा सीता]][[रामायण]] [[कवि]] [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम [[महाकाव्य]] है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी है। रामायण के कुल सात अध्याय हैं, इस प्रकार सात काण्डों में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को निबद्ध किया है। इन सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 [[श्लोक]] कम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]]
||[[चित्र:Ramayana.jpg|right|80px|राम, लक्ष्मण तथा सीता]][[रामायण]] [[कवि]] [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखा गया [[संस्कृत]] का एक अनुपम [[महाकाव्य]] है। इसके 24,000 [[श्लोक]] [[हिन्दू]] स्मृति का वह अंग हैं, जिसके माध्यम से [[रघुवंश]] के राजा [[राम]] की गाथा कही गयी है। रामायण के कुल सात अध्याय हैं, इस प्रकार सात काण्डों में महर्षि वाल्मीकि ने रामायण को निबद्ध किया है। इन सात काण्डों में कथित सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं। सर्गानुसार श्लोकों की संख्या 23,440 आती है, जो 24,000 से 560 [[श्लोक]] कम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामायण]]


{[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?
{[[राम]] और [[लक्ष्मण]] को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?
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-[[भरत]]
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+[[शत्रुघ्न]]
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||[[चित्र:Madan-Mohan-Temple-4.jpg|right|100px|मदन मोहन मन्दिर, वृन्दावन]][[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] के पुत्र [[शत्रुघ्न]] का शौर्य भी अनुपम था। वनवास के बाद एक दिन [[ऋषि|ऋषियों]] ने भगवान [[श्रीराम]] की सभा में उपस्थित होकर [[लवणासुर]] के अत्याचारों का वर्णन किया और उसका वध करके उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। [[शत्रुघ्न]] ने भगवान श्रीराम की आज्ञा से वहाँ जाकर प्रबल पराक्रमी लवणासुर का वध किया और 'मधुरापुरी', आधुनिक [[मथुरा]], को बसाकर वहाँ बहुत दिनों तक शासन किया। भगवान राम के परमधाम पधारने के समय मथुरा में अपने पुत्रों का राज्यभिषेक करके शत्रुघ्न [[अयोध्या]] पहुँच गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शत्रुघ्न]]
||[[चित्र:Madan-Mohan-Temple-4.jpg|right|90px|मदन मोहन मन्दिर, वृन्दावन]][[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] के पुत्र [[शत्रुघ्न]] का शौर्य भी अनुपम था। वनवास के बाद एक दिन [[ऋषि|ऋषियों]] ने भगवान [[श्रीराम]] की सभा में उपस्थित होकर [[लवणासुर]] के अत्याचारों का वर्णन किया और उसका वध करके उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की। [[शत्रुघ्न]] ने भगवान श्रीराम की आज्ञा से वहाँ जाकर प्रबल पराक्रमी लवणासुर का वध किया और 'मधुरापुरी', आधुनिक [[मथुरा]], को बसाकर वहाँ बहुत दिनों तक शासन किया। भगवान राम के परमधाम पधारने के समय मथुरा में अपने पुत्रों का राज्यभिषेक करके शत्रुघ्न [[अयोध्या]] पहुँच गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शत्रुघ्न]]


{[[हनुमान]] ने [[अशोक वाटिका]] में [[सीता]] को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा?
{[[हनुमान]] ने [[अशोक वाटिका]] में [[सीता]] को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा?

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1 निम्न में से कौन लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न की माता थीं?

सुमित्रा
कौशल्या
कैकेयी
इनमें से कोई नहीं

2 निम्न में से इन्द्र के विमान का नाम क्या है?

पाञ्जन्य
ऐरावत
पवनहंस
पुष्पक

3 समुद्र मंथन से क्या प्राप्त नहीं हुआ था?

ऐरावत
कामधेनु
पारिजात
सिमंतक मणि

4 श्रीराम द्वारा परित्याग कर देने के बाद गर्भवती सीता किसके आश्रम में रही थीं?

विश्वामित्र
वसिष्ठ
वाल्मीकि
तुलसीदास

5 श्लोक शब्द का अर्थ क्या होता है?

गीत
छंद
पंक्ति
दुःख

6 रामायण के अनुसार हनुमान कितनी बार लंका गये थे?

एक बार
दो बार
तीन बार
चार बार

7 श्रीराम ने लंका में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था?

हनुमान
सुग्रीव
अंगद
विभीषण

8 हनुमान किसके पेट के भीतर जाकर वापस आ गये थे?

ताड़का
सुरसा
पूतना
शूर्पणखा

9 बालि की पत्नी का नाम क्या था?

तारा
राधा
मंदोदरी
विपाशा

10 सर्गों की गणना करने पर सम्पूर्ण रामायण में कितने सर्ग मिलते हैं?

621
651
645
655

11 राम और लक्ष्मण को आश्रमों की रक्षा करने के लिए वन में कौन-से ब्रह्मऋषि ले गये थे?

दुर्वासा
विश्वामित्र
संदीपन
अंगिरस

12 राम को वनवास देने की प्रेरणा कैकेयी को किससे मिली थी?

मन्थरा
उर्मिला
कैकसी
मंदोदरी

13 मधुरापुरी नगरी की स्थापना किसने की थी?

राम
लक्ष्मण
भरत
शत्रुघ्न

14 हनुमान ने अशोक वाटिका में सीता को किस वृक्ष के नीचे बैठा देखा?

वट
शिंशपा
अशोक
पीपल

15 मेघनाद का दूसरा नाम क्या था?

कुम्भकर्ण
विचित्रवीर्य
इन्द्रजित
दशानन

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