"रामायण सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right| | ||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|90px|वाल्मीकि]][[संस्कृत]] भाषा के आदि कवि और आदि काव्य '[[रामायण]]' के रचयिता के रूप में [[वाल्मीकि]] की प्रसिद्धि है। इनके [[पिता]] महर्षि [[कश्यप]] के पुत्र [[वरुण देवता|वरुण]] या [[आदित्य देवता|आदित्य]] थे। [[उपनिषद]] के विवरण के अनुसार ये भी अपने भाई [[भृगु]] की भांति परम ज्ञानी थे। वनवास के समय भगवान श्री [[राम]] ने स्वयं इन्हें दर्शन देकर कृतार्थ किया। जब [[सीता]] जी का राम ने त्याग कर दिया, तब सीता ने अपने वनवास का अन्तिम काल इनके आश्रम पर व्यतीत किया। महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही [[लव कुश|लव]] और [[लवकुश|कुश]] का जन्म हुआ। वाल्मीकि जी ने उन्हें [[रामायण]] का गान सिखाया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[वाल्मीकि]] | ||
{[[श्लोक]] शब्द का अर्थ क्या होता है? | {[[श्लोक]] शब्द का अर्थ क्या होता है? | ||
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||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right| | ||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right|90px|श्रीराम-हनुमान मिलन]]'[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार [[हनुमान]] एक वानर वीर थे। भगवान [[राम]] को हनुमान [[ऋष्यमूक पर्वत]] के पास मिले थे। हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और परम [[भक्त]] सिद्ध हुए थे। [[सीता]] का अन्वेषण करने के लिए ये [[लंका]] गए। राम के दौत्य (अर्थात सन्देश देना या दूत का कार्य) आदि का दायित्व इन्होंने अद्भुत प्रकार से निर्वाह किया। [[राम]]-[[रावण]] युद्ध में भी इनका पराक्रम प्रसिद्ध है। रामावत वैष्णव धर्म के विकास के साथ हनुमान का भी दैवीकरण हुआ। वे राम के पार्षद और पुन: पूज्य देव रूप में मान्य हो गये। धीरे-धीरे हनुमंत अथवा मारूति पूजा का एक सम्प्रदाय ही बन गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[हनुमान]] | ||
{[[श्रीराम]] ने [[लंका]] में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था? | {[[श्रीराम]] ने [[लंका]] में अपना दूत किसे बनाकर भेजा था? |
13:50, 16 मई 2013 का अवतरण
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