"रामायण सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Marriage.jpg|right|100px|राम-सीता विवाह]][[जनक|राजा जनक]] की पुत्री का नाम [[सीता]] इसलिए था कि वे जनक को हल कर्षित रेखाभूमि से प्राप्त हुई थीं। उनका [[विवाह]] [[दशरथ]] के पुत्र और [[अयोध्या]] के ज्येष्ठ राजकुमार [[राम]] से हुआ था। '[[अशोक वाटिका]]' प्राचीन राजाओं के भवन के समीप की विशेष वाटिका कहलाती थी। '[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार अशोक वाटिका [[लंका]] में स्थित एक सुंदर उद्यान था, जिसमें [[रावण]] ने [[सीता]] को बंदी बनाकर रखा था 'अरण्यकाण्ड' से ज्ञात होता है कि रावण पहले सीता को अपने राजप्रासाद में लाया था और वहीं रखना चाहता था, किंतु सीता की अडिगता तथा अपने प्रति उसका तिरस्कारभाव देखकर रावण ने उन्हें धीरे-धीरे मना लेने के विचार से प्रासाद से कुछ दूर अशोक वाटिका में एक वृक्ष के नीचे क़ैद कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक वाटिका]] | |||
{[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | {[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | ||
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+[[इन्द्रजित]] | +[[इन्द्रजित]] | ||
-दशानन | -दशानन | ||
||'मेघनाद' [[लंका]] के राजा [[रावण]] का | ||'मेघनाद' अथवा 'इन्द्रजित' [[लंका]] के राजा [[रावण]] का पुत्र था। जब [[मेघनाद]] का जन्म हुआ था तो वह मेघ गर्जन के समान ज़ोर से रोया, इसी से उसका नाम 'मेघनाद' रखा गया। उसने युवास्था में ही [[दैत्य|दैत्यों]] के गुरु [[शुक्राचार्य]] की सहायता से 'सप्तयज्ञ' किए और भगवान [[शिव]] के आशीर्वाद से रथ, दिव्यास्त्र और तामसी माया प्राप्त की थी। [[इन्द्रजित]] ने [[राम]] की सेना से मायावी युद्ध किया था। कभी वह अंतर्धान हो जाता तो कभी प्रकट हो जाता। मेघनाद विशाल भयानक [[वट|वटवृक्ष]] के पास भूतों को बलि देकर युद्ध में जाता था, इसी से वह अदृश्य होकर युद्ध कर सकने में समर्थ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[इन्द्रजित]] | ||
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14:17, 16 मई 2013 का अवतरण
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