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| {निम्नलिखित में से किस स्थान पर 'सूर्य मन्दिर' नहीं है?
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| -मार्त्तण्ड ([[जम्मू-कश्मीर]])
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| +[[पाटलिपुत्र]] ([[बिहार]])
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| -मोधरा ([[गुजरात]])
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| -सूर्यनकोविल ([[तमिलनाडु]])
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| ||[[चित्र:Patna-Golghar.jpg|right|100px|गोलघर, पटना]]'पाटलिपुत्र' प्राचीन समय से ही [[भारत]] के प्रमुख नगरों में गिना जाता था। [[पाटलीपुत्र]] वर्तमान [[पटना]] का ही प्राचीन नाम था। आज पटना भारत के [[बिहार]] प्रान्त की राजधानी है। आधुनिक पटना दुनिया के गिने-चुने उन विशेष प्रचीन नगरों में से एक है, जो अति प्राचीन काल से आज तक आबाद हैं। पाटलिपुत्र की विशेष ख्याति भारत के ऐतिहासिक काल के विशालतम साम्राज्य, [[मौर्य साम्राज्य]] की राजधानी के रूप में हुई। [[चंद्रगुप्त मौर्य]] के समय में पाटलिपुत्र की समृद्धि तथा शासन-सुव्यवस्था का वर्णन [[यूनानी]] राजदूत [[मैगस्थनीज़]] ने भली-भांति किया है। उसमें पाटलिपुत्र के स्थानीय शासन के लिए बनी एक समिति की भी चर्चा की गई है। उस समय यह नगर 9 मील {{मील|मील=9}} लंबा तथा डेढ़ मील चौड़ा एवं चर्तुभुजाकार था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पाटलिपुत्र]], [[बिहार]]
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| {[[पारसी|पारसियों]] का पवित्र धार्मिक [[ग्रंथ]] कौन-सा है?
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| -तोराह
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| -[[हदीस]]
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| +[[जेंदावेस्ता]]
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| -[[कुरान]]
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| ||'जेंदावेस्ता' [[पारसी धर्म]] के मानने वालों का पवित्र धार्मिक [[ग्रंथ]] है। यह ग्रंथ [[वेद|वेदों]] के समकालीन माना जाता है। [[इतिहास]] के अनुसार मूल [[जेंदावेस्ता]] के लोप हो जाने पर पैगम्बर [[जरथुष्ट्र]] ने उसका पुनर्निर्माण अपने उपदेशों को मिलाकर किया था। पारसियों के इस धर्म ग्रंथ में [[सरस्वती नदी]] का नाम 'हरहवती' मिलता है। पारसी धार्मिक साहित्य 'जेंदावेस्ता' के प्राचीन 'यष्ट' भाग [[ऋग्वेद]] के [[मंत्र|मंत्रों]] की छाया समान हैं। [[हिन्दू]] शब्द का सर्वाधिक पुराना उल्लेख अग्नि पूजक आर्यों के पवित्रतम ग्रन्थ 'जेंदावेस्ता' में मिलता है, क्योंकि अग्निपूजक आर्य और इन्द्रपूजक आर्य एक ही [[आर्य|आर्य जाति]] की दो शाखाएँ थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जेंदावेस्ता]]
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| {'[[नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ]]' किस राज्य में स्थित है?
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| +[[राजस्थान]]
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| -[[मध्य प्रदेश]]
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| -[[छत्तीसगढ़]]
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Parsvanath-Temple-Nakoda-2.jpg|right|100px|नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ]][[नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ]] एक अत्यंत प्राचीन [[तीर्थ स्थल]] है, जो [[राजस्थान]] में [[बाड़मेर]] के 'नाकोडा' ग्राम में स्थित है। किदवंतियों के आधार पर [[जैन]] श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ का प्राचीनतम उल्लेख [[महाभारत]] काल यानि भगवान [[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]] के समय काल से जुड़ता है, किन्तु आधारभूत ऐतिहासिक प्रमाण से इसकी प्राचीनता [[विक्रम संवत]] 200-300 वर्ष पूर्व यानि 2000-2300 [[वर्ष]] पूर्व की मानी जा सकती है। अतः श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ [[राजस्थान]] के उन प्राचीन जैन तीर्थों में से एक है, जो 2000 वर्ष से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की खेड़पटन एवं मेवानगर की ऐतिहासिक समृद्ध और सांस्कृतिक धरोहर का श्रेष्ठ प्रतीक है। यह तीर्थ स्थान [[जैन धर्म]] के प्रमुख स्थानों में से एक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ]]
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| {"यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता" किस [[ग्रंथ]] से उद्धृत है?
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| -[[रामायण]]
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| -[[ऋग्वेद]]
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| +[[मनुस्मृति]]
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| -[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]
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| ||[[भारत]] में [[वेद|वेदों]] के उपरान्त सर्वाधिक मान्यता और प्रचलन '[[मनुस्मृति]]' का ही है । इसमें चारों [[वर्ण व्यवस्था|वर्णों]], चारों [[आश्रम व्यवस्था|आश्रमों]], [[सोलह संस्कार|सोलह संस्कारों]] तथा सृष्टि उत्पत्ति के अतिरिक्त राज्य की व्यवस्था, राजा के कर्तव्य, भांति-भांति के विवादों, सेना का प्रबन्ध आदि सभी विषयों पर परामर्श दिया गया है। भारत में 'मनुस्मृति' का सर्वप्रथम मुद्रण 1813 ई. में [[कलकत्ता]] में हुआ था। 2694 [[श्लोक|श्लोकों]] का यह [[ग्रंथ]] 12 अध्यायों में विभक्त है। यह [[हिन्दू धर्म]] का सबसे प्रधान ग्रंथ है। इसके रचयिता के विषय में मतभेद है। कुछ का मत है कि पहले यह एक 'मानव धर्मशास्त्र' था, जो अब उपलब्ध नहीं है। अत: वर्तमान 'मनुस्मृति' को [[मनु]] के नाम से प्रचारित करके उसे प्रामाणिकता प्रदान की गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मनुस्मृति]]
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| {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका गुफ़ा]] किस राज्य में स्थित हैं?
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| |type="()"}
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| -[[गुजरात]]
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| +[[मध्य प्रदेश]]
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| -[[महाराष्ट्र]]
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| -[[राजस्थान]]
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| ||[[चित्र:Bhimbetka-Caves-Bhopal.jpg|right|100px|भीमबेटका गुफ़ाएँ, भोपाल]]'मध्य प्रदेश' में अनेक मन्दिर, क़िले व गुफ़ाएँ हैं, जिनमें क्षेत्र के पूर्व [[इतिहास]] और स्थानीय राजवंशों व राज्यों, दोनों के ऐतिहासिक अध्ययन की दृष्टि से रोमांचक प्रमाण मिलते हैं। यहाँ के प्रारम्भिक स्मारकों में से एक [[सतना ज़िला|सतना]] के पास [[भरहुत]] का [[स्तूप]] (लगभग 175 ई.पू.) है, जिसके [[अवशेष]] अब '[[राष्ट्रीय संग्रहालय कोलकाता|राष्ट्रीय संग्रहालय]]', [[कोलकाता]] में रखे हैं। [[ग्वालियर]], [[मांडू]], [[दतिया]], [[चंदेरी]], [[जबलपुर]], [[ओरछा]], [[रायसेन]], [[सांची]], [[विदिशा]], [[उदयगिरि मध्य प्रदेश|उदयगिरि]], [[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]], [[इंदौर]] और [[भोपाल]] ऐतिहासिक महत्व के स्थल हैं। माहेश्वर, [[ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग|ओंकारेश्वर]], [[उज्जैन]], [[चित्रकूट]] और [[अमरकंटक]] ऐसे स्थान हैं, जहाँ आकर तीर्थयात्रियों के मन को शांति मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मध्य प्रदेश]]
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| {[[विद्यासागर सेतु]] कहाँ स्थित है? | | {[[विद्यासागर सेतु]] कहाँ स्थित है? |
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