"हिन्दी सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
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{'निशा -निमंत्रण' के रचनाकार कौन हैं? | {'निशा-निमंत्रण' के रचनाकार कौन हैं? | ||
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-[[महादेवी वर्मा]] | -[[महादेवी वर्मा]] | ||
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{[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | {[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे? | ||
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-बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के | -[[बूँदी]] नरेश महाराज भावसिंह के | ||
+[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के | +[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के | ||
-[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | -[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के | ||
-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | -चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के | ||
||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के | ||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में [[शिवाजी]] के विजय-अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] एवं [[शाइस्ता ख़ाँ]] की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगज़ेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]] | ||
{'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं- | {'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं- | ||
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-[[सुमित्रानंदन पंत]] | -[[सुमित्रानंदन पंत]] | ||
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]] | -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]] | ||
|| [[चित्र:Mahadevi-verma.png|महादेवी वर्मा|100px|right]] महादेवी वर्मा , [[हिन्दी भाषा]] की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ [[सुमित्रानन्दन पन्त]], [[जयशंकर प्रसाद]] और [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] के साथ की जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महादेवी वर्मा]] | || [[चित्र:Mahadevi-verma.png|महादेवी वर्मा|100px|right]] महादेवी वर्मा, [[हिन्दी भाषा]] की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी [[कविता]] के [[छायावादी युग]] के चार प्रमुख स्तंभ [[सुमित्रानन्दन पन्त]], [[जयशंकर प्रसाद]] और [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] के साथ की जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महादेवी वर्मा]] | ||
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | {[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? | ||
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-[[कवितावली]] | -[[कवितावली]] | ||
{'[[रामचरितमानस]]' में प्रधान | {'[[रामचरितमानस]]' में प्रधान रस के रूप में किस [[रस]] को मान्यता मिली है? | ||
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-[[शांत रस]] | -[[शांत रस]] | ||
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+[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]] | +[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]] | ||
-[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]] | -[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]] | ||
||'''सूरदास''' - हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने शृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||'''सूरदास''' - हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने शृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||
||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] | ||
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) [[भक्ति काल]] की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]] | ||
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | {[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'? | ||
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-[[सूरदास]] | -[[सूरदास]] | ||
-[[जायसी]] | -[[जायसी]] | ||
-[[तुलसी]] | -[[तुलसीदास|तुलसी]] | ||
{'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं? | {'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं? | ||
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-[[तुलसीदास]] | -[[तुलसीदास]] | ||
+[[सूरदास]] | +[[सूरदास]] | ||
||हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने शृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||[[हिन्दी साहित्य]] में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने शृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]] | ||
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07:58, 18 नवम्बर 2014 का अवतरण
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