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*[[उत्तरकाशी]] जनपद के नौगांव विकासखण्ड के मुंगरा गांव में मुंगरा गढ़ है। गढ़ एक टीले पर था, जिस पर पहुंचने का एक ही रास्ता था। इस गढ़ पर चौमंजिला कोठा था, जिसमें अंदर से यमुना तक जाने की सीढिय़ां व सुरंग थी। पहले यह गढ़ रावत जाति का था, लेकिन बाद में गोरख्याणी से पहले रौतेला लोगों का हो गया था। 1805-06 में गोरखों ने भी लूटपाट करने का प्रयास किया था। 30 जून 1958 ई. को इस गढ़ कोठे में आग लग गई थी। गढ़ के रौतेला परिवार वर्तमान मुंगरा व मुराड़ी गांव में रहते हैं।
*मुंगरा गढ़ [[उत्तरकाशी]] जनपद के नौगांव विकासखण्ड के मुंगरा गांव में है। गढ़ एक टीले पर था, जिस पर पहुंचने का एक ही रास्ता था। इस गढ़ पर चौमंजिला कोठा था, जिसमें अंदर से यमुना तक जाने की सीढिय़ां व सुरंग थी। पहले यह गढ़ रावत जाति का था, लेकिन बाद में गोरख्याणी से पहले रौतेला लोगों का हो गया था। 1805-06 में गोरखों ने भी लूटपाट करने का प्रयास किया था। 30 जून 1958 ई. को इस गढ़ कोठे में आग लग गई थी। गढ़ के रौतेला परिवार वर्तमान मुंगरा व मुराड़ी गांव में रहते हैं।


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14:40, 17 सितम्बर 2013 का अवतरण

  • मुंगरा गढ़ उत्तरकाशी जनपद के नौगांव विकासखण्ड के मुंगरा गांव में है। गढ़ एक टीले पर था, जिस पर पहुंचने का एक ही रास्ता था। इस गढ़ पर चौमंजिला कोठा था, जिसमें अंदर से यमुना तक जाने की सीढिय़ां व सुरंग थी। पहले यह गढ़ रावत जाति का था, लेकिन बाद में गोरख्याणी से पहले रौतेला लोगों का हो गया था। 1805-06 में गोरखों ने भी लूटपाट करने का प्रयास किया था। 30 जून 1958 ई. को इस गढ़ कोठे में आग लग गई थी। गढ़ के रौतेला परिवार वर्तमान मुंगरा व मुराड़ी गांव में रहते हैं।


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