"भोपाल पर्यटन": अवतरणों में अंतर
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भोपाल से 46 किमी. दूर पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम भीमबैठका भी पड़ा गया। भीमबेटका गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ | भोपाल से 46 किमी. दूर पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम भीमबैठका भी पड़ा गया। भीमबेटका गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ | ||
मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है। | मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है। | ||
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15:00, 27 जून 2010 का अवतरण
भोपाल का मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। भोपाल मध्य प्रदेश की राजधानी तो है ही साथ ही यह शहर प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत के साथ साथ आधुनिक शहर के सभी आयाम प्रस्तुत करता है। प्राचीनता के वैभव से मन भर जाए और अगर मध्य युगीन भारत को देखने का मन करे तो आप भोपाल शहर में घूमना शुरू कर सकते है क्योंकि भोपल ने अपने अन्दर अज भी नवाबी तहजीब और नवानियत को कैद कर रखा है। भोपाल पुरातन और नवीन का एक सुन्दर मिश्रण है। पुराने शहर में स्थित पुराने बाजार, मस्जिदें और महल आज भी उस काल के शासकों के भव्य अतीत की याद दिलाते हैं। यहाँ अनेक शानदार मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं जो अपने गौरवशाली अतीत की कहानी कहते प्रतीत होते हैं।
पर्यटन स्थल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का दौरा मध्य कालीन नवाबों के वैभव की याद दिला देता है। भोपाल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनेक ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। भोपाल और आसपास के दर्शनीय स्थानों-
लक्ष्मीनारायण मंदिर
लक्ष्मीनारायण मंदिर भोपाल में बिरला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर सबसे ऊँची पहाड़ी अरेरा पहाडियों पर नये विधान सभा भवन मार्ग के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों तरफ संगमरमर से बने मंदिरों में शिव और हनुमान की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित है।
मोती मस्जिद
मोती मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहाँ बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था। उनका घरेलू नाम मोती बीबी था और उन्हीं के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम मोती मस्जिद रखा गया।
ताज-उल-मस्जिद
ताज-उल-मस्जिद भोपाल की सबसे बड़ी मस्जिद है और ताज-उल-मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है। ताजुल मस्जिद का अर्थ है 'मस्जिदों का ताज'। यह मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है।
शौकत महल
भोपाल राज्य की प्रथम महिला शासिका नवाब कुदसिया बेगम ने शौकत महल का निर्माण कराया था। शौकत महल इस्लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है। शौकत महल पश्चिमी वास्तु और इस्लामी वास्तु का नायाब संगम है।
सदर मंजिल
सदर मंजिल शौकत महल के निकट बनी हुई है। वर्ष 1898 ई. में सदर मंजिल की शानदार इमारत का निर्माण तत्कालीन नवाब शाहजहां बेगम द्वारा कराया गया था। भोपाल स्थित अनोखा सदर मंजिल शामला की पहाडियों पर 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है।
गोहर महल
गौहर महल बड़े तालाब के किनारे व्ही.आई.पी. रोड पर स्थित है। शौकत महल के पास बड़ी झील के किनारे स्थित वास्तुकला का यह खूबसूरत नमूना कुदसिया बेगम के काल का है। इस तिमंजिले भवन का निर्माण भोपाल राज्य की तत्कालीन शासिका नवाब कुदसिया बेगम (सन् 1819-37) ने गौहर महल को 1820 ई. में कराया था।
पुरातात्विक संग्रहालय
मध्य प्रदेश के विदिशा ज़िले के सिरोंज में पुरातात्विक धरोहर को संरक्षित करने के लिए स्थानीय संग्रहालय स्थापित किया गया है। बनगंगा रोड पर स्थित पुरातात्विक संग्रहालय में मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से कला के खूबसूरत नमूने और मूर्तियों को एकत्रित करके रखा गया है। पुरातात्विक संग्रहालय में विभिन्न स्कूलों से एकत्रित की गई पेंटिग्स, बाघ गुफाओं की चित्रकारियों की प्रतिलिपियाँ, अलक्ष्मी और बुद्ध की प्रतिमाएँ इस संग्रहालय में सहेजकर रखी गई हैं।
भारत भवन
भारत भवन, राष्ट्रीय प्रान्त मध्य प्रदेश में स्थित सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों मे से है जोकि एक विविध कला संग्रहालय भी है| भारत भवन को 1982 में स्थापित किया गया था। भारत भवन भोपाल के बड़े तालाब के निकट स्थित है। भारत भवन मुख्य रूप से यह प्रदर्शन कला और दृश्य कला का केंद्र है।
भीमबेटका गुफ़ाएँ
भोपाल से 46 किमी. दूर पर दक्षिण में भीमबेटका की गुफ़ाएँ मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम भीमबैठका भी पड़ा गया। भीमबेटका गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है।