"सदस्य वार्ता:दिनेश सिंह": अवतरणों में अंतर
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== मन की व्यथा -------दिनेश सिंह == | |||
कितना सुंदर होता की हम - | |||
एक सिर्फ इन्सां होते - | |||
न जाती पाती के लिए जगह - | |||
न धर्मो के बंधन होते | |||
शोर मचा है धर्म धर्म का - | |||
कौम कौम का लगता नारा - | |||
इस चलती कौमी बयारी में - | |||
उन्मय उन्मय जन मानस सारा | |||
जो घूम रहा था शहर शहर - | |||
पहुँच रहा अब गाँव गाँव में - | |||
वो कौम बयारी जहर घोलते - | |||
महकती स्वच्छ हवाओं में | |||
क्या सुलझेंगी ये मानस की गांठे घनेरी - | |||
क्या रोशन होंगी ये गलियाँ अंधेरी - | |||
क्यों बुझ जाती है गूंज आखिरी - | |||
इस उन्मन उन्मन पथ के ऊपर |
12:16, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण
फिर लिखने लगा खीच खीचकर - कल्पित जीवन की रेखा - वही कल्पना खग_पुष्पों की - वही व्यथा मन रोदन की
जब नहीं शब्द ज्ञान मुझे - तो क्यों फैलाता शब्द जाल - बिन उपमा बिन अलंकार - फिर कौन कहेगा काव्यकार
कुछ रस तो लावो तुम - अपनी ललित कलित कविताओं में - कुछ काव्य सुगन्धित फैलावो - इन बहती काव्य हवाओं में
कुछ काव्य लिखो सु-मधुर सु-राग - छवि प्रतिबिम्बित हो उत्तम सन्देश - ले बहे समीरण उस दिशि में - हो जहाँ जहाँ वर्जित प्रदेश
जरा नजर काव्य की घुमाँ वहां - जो विचरण करता अन्धकार में - जो ढूंढ़ रहा है एक कण प्रकाश - जो भटक रहा निर्जन बन में
नहीं जिनको सुख दुःख का विषाद - दुःख ही बना गया हर्षोउल्लाश - रोये अन्तःकरण भीगि पलक - क्या ऋतू वर्षा क्या ऋतू तुषार
हर नई भोर बस एक सवाल - क्या भूंख मीटेगी फिर एक बार - फिर उड़ा परिंदा दाने को - औ बच्चे करते इन्तजार
स्वाभिमान से जीना उनको - कठिन हो गया अब जग में - बंद मुट्ठियाँ साहूकार की - चित्त हथेली याचक की
जिनके जीवन का सूनापन - कभी एक पल कम न हुवा - वही कार्य प्रणाली आदिकाल की - दयनीय बनी हुई जीवन शैली
मन की व्यथा====दिनेश सिंह ==
मन की व्यथा -------दिनेश सिंह
कितना सुंदर होता की हम - एक सिर्फ इन्सां होते - न जाती पाती के लिए जगह - न धर्मो के बंधन होते
शोर मचा है धर्म धर्म का - कौम कौम का लगता नारा - इस चलती कौमी बयारी में - उन्मय उन्मय जन मानस सारा
जो घूम रहा था शहर शहर - पहुँच रहा अब गाँव गाँव में - वो कौम बयारी जहर घोलते - महकती स्वच्छ हवाओं में
क्या सुलझेंगी ये मानस की गांठे घनेरी - क्या रोशन होंगी ये गलियाँ अंधेरी - क्यों बुझ जाती है गूंज आखिरी - इस उन्मन उन्मन पथ के ऊपर