"आकर्ष": अवतरणों में अंतर
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|विशेष=[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। | |विशेष=[[चौंसठ कलाएँ जयमंगल के मतानुसार|जयमंगल के मतानुसार]] [[चौंसठ कलाएँ|चौंसठ कलाओं]] में से यह एक कला है। | ||
|पर्यायवाची=मुग्ध, मोहग्रस्त, मोहित, विमुग्ध, अयस्कांतता, आकर्षण, खिंचाव | |पर्यायवाची=मुग्ध, मोहग्रस्त, मोहित, विमुग्ध, अयस्कांतता, आकर्षण, खिंचाव | ||
|संस्कृत=आकर्षः [आ+कृष्+घञ्] खिंचाव या (अपनी ओर) खींचना, खींच कर दूर ले जाना, पीछे हटाना, (धनुष) तानना, प्रलोभन, सम्मोहन, पासे से खेलना, पासा या चौसर, पासों से खेलने का फलक, बिसात, ज्ञानेन्द्रिय, कसौटी | |संस्कृत=आकर्षः [आ+कृष्+घञ्] खिंचाव या (अपनी ओर) खींचना, खींच कर दूर ले जाना, पीछे हटाना, (धनुष) तानना, प्रलोभन, सम्मोहन, पासे से खेलना, पासा या चौसर, पासों से खेलने का फलक, बिसात, ज्ञानेन्द्रिय, कसौटी | ||
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10:59, 10 जुलाई 2010 का अवतरण
हिन्दी | अपनी ओर खींचने की क्रिया या भाव, चुम्बक, पाँसा, पाँसे से खेला जाने वाला जुआ, (धनुष को) तानना, वशीकरण, धनुष चलाने का अभ्यास |
-व्याकरण | [संस्कृतभाषा आ धातु कृष्+घञ्] पुल्लिंग- खिंचाव |
-उदाहरण | आकर्ष पासों से खेलना व समय बिताने के लिए खेलने की एक कला को कहते हैं। |
-विशेष | जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | मुग्ध, मोहग्रस्त, मोहित, विमुग्ध, अयस्कांतता, आकर्षण, खिंचाव |
संस्कृत | आकर्षः [आ+कृष्+घञ्] खिंचाव या (अपनी ओर) खींचना, खींच कर दूर ले जाना, पीछे हटाना, (धनुष) तानना, प्रलोभन, सम्मोहन, पासे से खेलना, पासा या चौसर, पासों से खेलने का फलक, बिसात, ज्ञानेन्द्रिय, कसौटी |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
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