"अधौरी": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''अधौरी''' एक विशाल वृक्ष होता है जिसकी छाल [[भूरा रंग|भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "khoj.bharatdiscovery.org" to "bharatkhoj.org")
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:


==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80 |title=अधौरी |accessmonthday= 30 नवंबर|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिंदी}}
{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8C%E0%A4%B0%E0%A5%80 |title=अधौरी |accessmonthday= 30 नवंबर|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language= हिंदी}}
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
[[Category:वृक्ष]]
[[Category:वृक्ष]]

12:29, 25 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

अधौरी एक विशाल वृक्ष होता है जिसकी छाल भूरे रंग की और चिकनी होती है। यह लिथरेसी परिवार का सदस्य है। इसका वानस्पतिक नाम लागेरेस्टोमिया पारवीप्लोरा है। विभिन्न स्थानों पर इसके स्थानीय नाम वाक्ली, धौरा, असांध, सीदा और शोज हैं।

गुण-धर्म

  • पत्तियाँ छोटी-छोटी और एक दूसरे के विपरीत लगी होती हैं।
  • इनका आकार अंडाकार होता है तथा पर्णाग्र नुकीले होते हैं।
  • पत्ती के दोनों सतहों पर महीन रोम होते हैं तथा इनकी निचली सतह जालिकावत्‌ रहती है।
  • इनके फूल अप्रैल से जून तक निकलते हैं तथा फल वर्षा ऋतु में पकते हैं।
  • फूल छोटे, सफेद और वृक्ष के ऊपर संयुक्त रेसीम (पैनीकल) में लगे रहते हैं जिनकी गंध मीठी होती है।
  • अधौरी की छाल से गोंद निकलता है जो मीठा एवं स्वादिष्ट होता है।
  • इसकी भीतरी छाल से रेशे निकाले जाते हैं।
  • छाल तथा पत्तियों का उपयोग चमड़ा सिझाने के काम में किया जाता है।
  • इस वृक्ष की लकड़ी मजबूत होती है अत: इससे हल, नाव आदि बनाई जाती है।
  • यह हिमालय की तराई के जंगलों में जम्मू से लेकर सिक्किम तक तथा असम, मध्यप्रदेश, मैसूर और महाराष्ट्र में अधिकता से पाया जाता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

अधौरी (हिंदी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 30 नवंबर, 2013।

संबंधित लेख