"दिल्ली जब दहल गयी -दिनेश सिंह": अवतरणों में अंतर
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काँप उठा था देश ये सारा | |||
काँप गई थी दिल्ली सारी | काँप गई थी दिल्ली सारी | ||
वह द्रश्य भयानक था कितना | वह द्रश्य भयानक था कितना | ||
वह रात थी कितनी काली | वह रात थी कितनी काली | ||
उसकी करुण चीख निकलकर | उसकी करुण चीख निकलकर | ||
हर मानव के ह्रदय समायी | हर मानव के ह्रदय समायी | ||
सोये शासको के कानो में | |||
आवाज दे रही थी जनता सारी | आवाज दे रही थी जनता सारी | ||
जन मानस | जन मानस का क्रोध उमड़कर | ||
दिल्ली के पथ पर आया | दिल्ली के पथ पर आया | ||
अपने मन की असहनीय व्यथा को | अपने मन की असहनीय व्यथा को | ||
दीप जलाकर बतलाया | दीप जलाकर बतलाया | ||
प्रश्न चिन्ह ये ज्वलनशील है | प्रश्न चिन्ह ये ज्वलनशील है | ||
जागे तो हम कितना जागे | जागे तो हम कितना जागे | ||
कहीं कहीं अति रोष जताया | कहीं कहीं अति रोष जताया | ||
कहीं कहीं क्यों मौन रहे | कहीं कहीं क्यों मौन रहे | ||
सोच रहा है मन मेरा | सोच रहा है मन मेरा | ||
क्या सोच रहा था मन तेरा | क्या सोच रहा था मन तेरा | ||
क्या व्यथा रही होगी हिय में | क्या व्यथा रही होगी हिय में | ||
इस जग को जब तुम ने था छोड़ा</poem> | इस जग को जब तुम ने था छोड़ा | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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12:12, 16 दिसम्बर 2013 का अवतरण
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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