स्वतंत्र लेखन
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"स्वतंत्र लेखन" श्रेणी में पृष्ठ
इस श्रेणी की कुल 220 में से 200 पृष्ठ निम्नलिखित हैं।
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आ
- आग के इलाक़े में आओ -अजेय
- आग के इलाके का आदमी -अजेय
- आज कितनी अच्छी धूप है ! -अजेय
- आज जब वह जा रही है -अजेय
- आदमी के अंदर बसता है शहर -रोहित ठाकुर
- आमंत्रण -किरण मिश्रा
- आर्कटिक वेधशाला में कार्यरत वैज्ञानिक मित्रों के कुछ नोटस -अजेय
- आर्कटिक वेधशाला से कुछ नोट्स -अजेय
- आलू का सीज़न -अजेय
- आस-पास एक पृथ्वी चाहिए -अजेय
ए
क
- कबाड़ -अनूप सेठी
- कमरे की लॉरी -अनूप सेठी
- कवि और कविता -दिनेश सिंह
- कवि का हृदय सूना -दिनेश सिंह
- कवि पंत के साथ कुछ दूर -रश्मि प्रभा
- कविता के बारे में कुछ कविताएं -अजेय
- कविता नहीं लिख सकते -अजेय
- कश्मीर में हिन्दी : स्थिति और संभावनाएँ -प्रो. चमनलाल सप्रू
- कहाँ हो पहाड़ -अनूप सेठी
- कहीं यह आखिरी कविता न हो -अजेय
- काम की जगहों पर कुछ हादसे -अजेय
- कामवालियाँ -किरण मिश्रा
- किताब चाहिए, किताब का नारा नहीं (यात्रा साहित्य)
- कू कू करती काली कोयल -दिनेश सिंह
- केलंग-1/ हरी सब्ज़ियाँ -अजेय
- केलंग-2/ पानी -अजेय
- केलंग-3/ बिजली -अजेय
- केलंग-4/ सड़कें -अजेय
- क्यों -किरण मिश्रा
- क्षणिकाएँ -किरण मिश्रा
ग
ज
ट
त
द
- दलित साहित्य आंदोलन -अशोक कुमार शुक्ला
- सदस्य वार्ता:दिनेश सिंह
- दिल्ली जब दहल गयी -दिनेश सिंह
- देर रात कारोबार -अजेय
- देवनागरी -देवीशंकर द्विवेदी
- देवनागरी लिपि (कश्मीरी भाषा के संदर्भ में) -मोहनलाल सर
- देवनागरी लिपि की भूमिका -बाबूराम सक्सेना
- देश की एकता का मूल: हमारी राष्ट्रभाषा -क्षेमचंद ‘सुमन’
- देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति में हिन्दी का योगदान -डॉ. राजकिशोर पांडेय
- दोर्जे गाईड की बातें -अजेय
- द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन : निर्णय और क्रियान्वयन -राजमणि तिवारी
न
प
- पँख -अनूप सेठी
- परंपरा और स्वतंत्रता (यात्रा साहित्य)
- पहाड़ पर धूप -अनूप सेठी
- पुनरावतरण -अशोक कुमार शुक्ला
- पुरानी औरतें, आज की औरतें -किरण मिश्रा
- पूछो सूरज से क्या वह आएगा ? -अजेय
- पूरब के कंधे पर -किरण मिश्रा
- प्रकृति के प्रति -दिनेश सिंह
- प्रथम और द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन: उद्देश्य एवं उपलब्धियाँ -मधुकरराव चौधरी
- प्रशासनिक हिन्दी का विकास -डॉ. नारायणदत्त पालीवाल
- प्रश्नों के आईने में... -सरस्वती प्रसाद
- प्रेम का स्वाद ओस सा है -रोहित ठाकुर
ब
भ
- भारत की भाषा समस्या और हिन्दी -डॉ. कुमार विमल
- भारत की भाषिक एकता: परंपरा और हिन्दी -माणिक गोविंद चतुर्वेदी
- भारत की राजभाषा नीति -कृष्णकुमार श्रीवास्तव
- भारत की राजभाषा नीति और उसका कार्यान्वयन -देवेंद्रचरण मिश्र
- भारत की सामासिक संस्कृृति और हिन्दी का विकास -डॉ. हरदेव बाहरी
- भारतीय आदिवासियों की मातृभाषा तथा हिन्दी से इनका सामीप्य -लक्ष्मणप्रसाद सिन्हा
- भारतीय व्यक्तित्व के संश्लेष की भाषा -डॉ. रघुवंश
- भाषायी समस्या : एक राष्ट्रीय समाधान -नर्मदेश्वर चतुर्वेदी
- भीतर उगा हुआ आदमी -अजेय
- भूगोल भी तय करता है समाज का चरित्र (यात्रा साहित्य)
- भूमण्डलीकरण -अनूप सेठी
- भोजवन में पतझड़ -अजेय
म
- मन मीत मेरे जरा धरो धीर -दिनेश सिंह
- मां, हर्पीज़ और आदिम चांदनी -अजेय
- मानक भाषा की संकल्पना और हिन्दी -डॉ. कृष्णकुमार गोस्वामी
- मारिशस का हिन्दी साहित्य -डॉ. लता
- मारिशस: सागर के पार लघु भारत -एस. भुवनेश्वर
- मूढ़ीवाला -सरस्वती प्रसाद
- मेंतोसा1 पर एडवेंचर टीम -अजेय
- मेरे महबूब -फ़िरदौस ख़ान
- मै और कविता -दिनेश सिंह
- मैं कच्ची मिट्टी -सीमा सिंघल
- मैं लेखक नहीं हूँ -विमल मित्र
- मोह पाश -अशोक कुमार शुक्ला
- मौसम -अनूप सेठी
र
- रमज़ान -फ़िरदौस ख़ान
- रमेश भाई एक स्तम्भ -आलोक श्रीवास्तव
- रमेश भाई को जैसा मैंने जाना -कुसुम जौहरी
- रमेश भाई- एक ताकतवर साथी थे -रमेश भइया
- राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास, महत्त्व तथा प्रकाश की दिशाएँ
- राजभाषा: कार्याचरण और सामासिक संस्कृति -डॉ. एन.एस. दक्षिणामूर्ति
- राधा-मीरा और प्रेम -रश्मि प्रभा
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में देवनागरी -जीवन नायक
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में देवनागरी लिपि -पं. रामेश्वरदयाल दुबे
- राष्ट्रीय प्रचार समिति, वर्धा -शंकरराव लोंढे
- रुको मत -सीमा सिंघल
- रूमाल -रोहित ठाकुर
ल
व
- वंदे मातरम् (पंजाबी)
- वक़्त की पोशाक -सीमा सिंघल
- विज्ञान उद्देशिका -अज़ीज़ राय
- विदेश दूरसंचार सेवा -के.सी. कटियार
- विदेशों में हिन्दी:प्रचार-प्रसार और स्थिति के कुछ पहलू -प्रेमस्वरूप गुप्त
- विविध वर्ण से रंगी धरा -दिनेश सिंह
- विश्व की प्रमुख भाषाओं में हिन्दी का स्थान -डॉ. रामजीलाल जांगिड
- विश्व की हिन्दी पत्र-पत्रिकाएँ -डॉ. कामता कमलेश
- वेताल -अशोक कुमार शुक्ला
- वो तुम ही थी -किरण मिश्रा
- व्यक्तित्व और चरित्र -दिनेश सिंह
स
- संगदिलों ने मार दिया कल एक जोगी -अनूप सेठी
- संस्कृत-हिन्दी काव्यशास्त्र में उपमा की सर्वालंकारबीजता का विचार -डॉ. महेन्द्र मधुकर
- सकारात्मक बदलाव की आधारशिला है शिक्षा -शालिनी तिवारी
- समय की शिला पर लिखा नाम रमेश भाई -अशोक कुमार शुक्ला
- समय चक्र बढ़ता जाता है -दिनेश सिंह
- सर्जन के जीन -किरण मिश्रा
- सर्वोदय आश्रम, रमेश भाई ...और निर्मला देशपांडे -बृजेश कबीर
- सही बचत (बाल कहानी)
- साँच को आँच नहीं -सीमा सिंघल
- सांस्कृतिक दूत सपेरे -फ़िरदौस ख़ान
- सांस्कृतिक भाषा के रूप में हिन्दी का विकास -डॉ. त्रिलोचन पांडेय
- सांस्कृतिक समन्वय की प्रक्रिया और हिन्दी साहित्य -राजेश्वर गंगवार
- सात्विक गीत बड़े मंहगे हैं -दिनेश सिंह
- सामना -अनूप सेठी
- सामाजिक आर्थिक श्रेत्र में रचनात्मक सेवाओं का एक संस्थान -डॉ एस एस अग्निहोत्री
- सुनने की फुर्सत हो तो आवाज़ है पत्थरों में -फ़िरदौस ख़ान
- सूखे मनुपुत्र -किरण मिश्रा
- सूरीनाम देश और हिन्दी -सूर्यप्रसाद बीरे
- सेवापरायण जीवन युक्त अविस्मरणीय व्यक्तित्व -विजय भाई
- स्नेह दीप -दिनेश सिंह
- स्मृति की झील -अनूप सेठी
- साँचा:स्वतंत्र लेख
- स्वर्गीय भारतीय साहित्यकारों को स्मृति-श्रद्धांजलि -डॉ. प्रभाकर माचवे