"ह्यूम, ए. ओ.": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
|चित्र=A_O_Hume.jpg
|चित्र का नाम=ए.ओ. ह्यूम
|पूरा नाम=एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम
|अन्य नाम=
|जन्म=
|जन्म भूमि=
|मृत्यु=[[1912]] ई.
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=
|गुरु=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र=अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|खोज=
|भाषा=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान='लोकमित्र' समाचार-पत्र
|नागरिकता=एलेन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉटलैण्ड
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=स्थापना
|पाठ 1=[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|शीर्षक 3=
|पाठ 3=
|शीर्षक 4=
|पाठ 4=
|शीर्षक 5=
|पाठ 5=
|अन्य जानकारी= [[लाला लाजपत राय]] ने ह्यूम के बारे में लिखा है कि "ह्यूम स्वतन्त्रता के पुजारी थे और उनका [[ह्रदय]] [[भारत]] की निर्धनता तथा दुर्दशा पर रोता था।" यहाँ पर यह मानने में कोई भ्रम नहीं रहा कि ह्यूम निष्पक्ष एवं न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उन्होंने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के प्रति अपनी बहुमूल्य तथा महान सेवायें अर्पित की हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''ए.ओ. ह्यूम''', जिनका पूरा नाम 'एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम' था, एक अवकाश प्राप्त [[अंग्रेज़]] अधिकारी थे। ह्यूम [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के [[इतिहास]] में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना भी ह्यूम ने ही [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में की थी। [[1912]] ई. में उनकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने ह्यूम को अपना 'जन्मदाता और संस्थापक' घोषित किया था।
'''ए.ओ. ह्यूम''', जिनका पूरा नाम 'एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम' था, एक अवकाश प्राप्त [[अंग्रेज़]] अधिकारी थे। ह्यूम [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के [[इतिहास]] में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना भी ह्यूम ने ही [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में की थी। [[1912]] ई. में उनकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने ह्यूम को अपना 'जन्मदाता और संस्थापक' घोषित किया था।
==कांग्रेस की स्थापना==
==कांग्रेस की स्थापना==

11:39, 23 अगस्त 2016 का अवतरण

ह्यूम, ए. ओ.
ए.ओ. ह्यूम
ए.ओ. ह्यूम
पूरा नाम एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम
मृत्यु 1912 ई.
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ
विशेष योगदान 'लोकमित्र' समाचार-पत्र
नागरिकता एलेन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉटलैण्ड
स्थापना भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
अन्य जानकारी लाला लाजपत राय ने ह्यूम के बारे में लिखा है कि "ह्यूम स्वतन्त्रता के पुजारी थे और उनका ह्रदय भारत की निर्धनता तथा दुर्दशा पर रोता था।" यहाँ पर यह मानने में कोई भ्रम नहीं रहा कि ह्यूम निष्पक्ष एवं न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उन्होंने 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के प्रति अपनी बहुमूल्य तथा महान सेवायें अर्पित की हैं।

ए.ओ. ह्यूम, जिनका पूरा नाम 'एलेन ऑक्टेवियन ह्यूम' था, एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज़ अधिकारी थे। ह्यूम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले अंग्रेज़ राजनीतिज्ञ थे। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की स्थापना भी ह्यूम ने ही 28 दिसम्बर, 1885 ई. में की थी। 1912 ई. में उनकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने ह्यूम को अपना 'जन्मदाता और संस्थापक' घोषित किया था।

कांग्रेस की स्थापना

गोपाल कृष्ण गोखले के अनुसार 1885 ई. में ह्यूम के सिवा और कोई व्यक्ति कांग्रेस की स्थापना नहीं कर सकता था। कांग्रेस के संस्थापक एलेन आक्टेवियन ह्यूम स्कॉटलैण्ड के निवासी थे। 'इण्डियन सिविल सर्विस' (भारतीय प्रशासनिक सेवा) में ह्यूम ने काफ़ी वर्षों तक कई महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था। वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के महामंत्री पद पर नियुक्त हुए थे, जिस पर उन्होंने 1906 ई. तक कार्य किया। उन्हें 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पिता' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातकों को एक मर्मस्पर्शी पत्र भी लिखा था, जिसका कुछ अंश इस प्रकार है-

"बिखरे हुए व्यक्ति कितने ही बुद्धिमान तथा अच्छे आशय वाले क्यों न हों, अकेले तो शक्तिहीन ही होते हैं। आवश्यकता है संघ की, संगठन की और कार्यवाही के लिए एक निश्चित और स्पष्ट प्रणाली की। आपके कन्धों पर रखा हुआ जुआ, तब तक विद्यमान रहेगा, जब तक आप इस ध्रुव सत्य को समझ कर इसके अनुसार कार्य करने को उद्यत न होंगें कि आत्म बलिदान और निःस्वार्थ कर्म ही स्थायी सुख और स्वतन्त्रता का अचूक मार्गदर्शन है।"

विभिन्न पदों पर कार्य

1859 ई. में ए.ओ. ह्यूम ने 'लोकमित्र' नाम के एक समाचार-पत्र के प्रकाशन में सहयोग दिया। 1870 से 1879 ई. तक इन्होने लेफ्टिनेंट गर्वनर के पद को इसलिए अस्वीकार कर दिया, क्योंकि इस पद पर रहकर वे भारतीयों की सच्चे मन से सेवा नहीं कर सकते थे। 1885 ई. के बाद लगभग 22 वर्षों तक उन्होंने कांग्रेस में सक्रिय सदस्य की भूमिका निभायी। लाला लाजपत राय ने ह्यूम के बारे में लिखा है कि "ह्यूम स्वतन्त्रता के पुजारी थे और उनका ह्रदय भारत की निर्धनता तथा दुर्दशा पर रोता था।" यहाँ पर यह मानने में कोई भ्रम नहीं रहा कि ह्यूम निष्पक्ष एवं न्यायप्रिय व्यक्ति थे। उन्होंने 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के प्रति अपनी बहुमूल्य तथा महान सेवायें अर्पित की हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख