"शाफ़ीया": अवतरणों में अंतर
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*परंपरागत सामूहिक जीवन पद्धति 'सुन्नत' को नकारते हुए यह '[[हदीस]]'<ref>[[पैग़म्बर मुहम्मद|पैग़म्बर]] के जीवन और उपदेशों से संबंधित परंपराएं</ref> को यथावत स्वीकारने में विश्वास रखता है। यही क़ानूनी और धार्मिक निर्णयों का प्रमुख आधार है। | *परंपरागत सामूहिक जीवन पद्धति 'सुन्नत' को नकारते हुए यह '[[हदीस]]'<ref>[[पैग़म्बर मुहम्मद|पैग़म्बर]] के जीवन और उपदेशों से संबंधित परंपराएं</ref> को यथावत स्वीकारने में विश्वास रखता है। यही क़ानूनी और धार्मिक निर्णयों का प्रमुख आधार है। | ||
*यदि [[ | *यदि [[क़ुरआन]] या हदीस में कोई स्पष्ट निर्देश न पाए जा सकें, तो 'क़यास'<ref>सादृश्यता तर्कविधि</ref> का प्रयोग किया जाए। 'इज्मा'<ref>विद्धानों की सहमति</ref> भी स्वीकार्य है, लेकिन उस पर ज़ोर नहीं दिया गया। | ||
*शाफ़ीया विचारधारा पूर्वी अफ़्रीका, [[अरब देश|अरब]] के कुछ भागों तथा इंडोनेशिया में प्रभावी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=287|url=}}</ref> | *शाफ़ीया विचारधारा पूर्वी अफ़्रीका, [[अरब देश|अरब]] के कुछ भागों तथा इंडोनेशिया में प्रभावी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=287|url=}}</ref> | ||
13:18, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण
शाफ़ीया, जो 'मज़हब शाफ़ई' भी कहा जाता है, इस्लाम में सुन्नी संप्रदाय के धार्मिक विधान में चार वर्गों में से एक। यह अबू अब्द अल्लाह अश-शफ़ी (767-820) की शिक्षाओं पर आधारित है।
- यह वैधानिक संप्रदाय (मज़हब) इस्लामी क़ानूनी सिद्धांत के आधार को स्थिर करता है और अल्लाह की इच्छा तथा मानवीय परिकल्पना, दोनों को मान्यता देता है।
- परंपरागत सामूहिक जीवन पद्धति 'सुन्नत' को नकारते हुए यह 'हदीस'[1] को यथावत स्वीकारने में विश्वास रखता है। यही क़ानूनी और धार्मिक निर्णयों का प्रमुख आधार है।
- यदि क़ुरआन या हदीस में कोई स्पष्ट निर्देश न पाए जा सकें, तो 'क़यास'[2] का प्रयोग किया जाए। 'इज्मा'[3] भी स्वीकार्य है, लेकिन उस पर ज़ोर नहीं दिया गया।
- शाफ़ीया विचारधारा पूर्वी अफ़्रीका, अरब के कुछ भागों तथा इंडोनेशिया में प्रभावी है।[4]
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