"फ़्रामजी कोवासजी बानाजी": अवतरणों में अंतर

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*फ़्रामजी ने [[कृषि]] की उन्नति और उस पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी अग्रणी काम किया।  
*फ़्रामजी ने [[कृषि]] की उन्नति और उस पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी अग्रणी काम किया।  
*रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाने के साथ-साथ उन्नत प्रकार की चीनी मिल लगवाई।  
*रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाने के साथ-साथ उन्नत प्रकार की चीनी मिल लगवाई।  
*बानाजी की सर्वाधिक ख्याति उनकी दानशीलता के लिए है। उन्होंने न केवल अपने समाज के वरन सभी के हित के कार्यों में खुले हाथ से दान दिया।  
*बानाजी की सर्वाधिक ख्याति उनकी दानशीलता के लिए है। उन्होंने न केवल अपने समाज के वरन् सभी के हित के कार्यों में खुले हाथ से दान दिया।  
*पूजा स्थलों का निर्माण, कुएं खुदवाना ग़रीब और अभाव ग्रस्तों की सहायता तथा शिक्षण संस्थाओं को अनुदान आदि आपके प्रमुख कार्य थे।  
*पूजा स्थलों का निर्माण, कुएं खुदवाना ग़रीब और अभाव ग्रस्तों की सहायता तथा शिक्षण संस्थाओं को अनुदान आदि आपके प्रमुख कार्य थे।  
*85 वर्ष की उम्र में 1825 ई. में आपका देहांत हो गया।  
*85 वर्ष की उम्र में 1825 ई. में आपका देहांत हो गया।  

07:37, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

फ़्रामजी कोवासजी बानाजी एक प्रसिद्ध व्यवसायी और पारसी समाज के नेता थे।

  • फ़्रामजी बानाजी का जन्म 1767 ई. में हुआ था।
  • फ़्रामजी अपने समय के जहाजों के सबसे बड़े ठेकेदार थे।
  • जी. आई. पी. रेलवे कंपनी (अब सेंट्रल रेलवे) के हिस्से ख़रीदने वाले भी वे पहले व्यक्ति थे।
  • फ़्रामजी ने अनेक कपड़ा मिलों और बीमा कंपनियों की स्थापना में भी योग दिया।
  • फ़्रामजी ने कृषि की उन्नति और उस पर आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देने की दिशा में भी अग्रणी काम किया।
  • रेशम का उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यक क़दम उठाने के साथ-साथ उन्नत प्रकार की चीनी मिल लगवाई।
  • बानाजी की सर्वाधिक ख्याति उनकी दानशीलता के लिए है। उन्होंने न केवल अपने समाज के वरन् सभी के हित के कार्यों में खुले हाथ से दान दिया।
  • पूजा स्थलों का निर्माण, कुएं खुदवाना ग़रीब और अभाव ग्रस्तों की सहायता तथा शिक्षण संस्थाओं को अनुदान आदि आपके प्रमुख कार्य थे।
  • 85 वर्ष की उम्र में 1825 ई. में आपका देहांत हो गया।


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