"बुलंद दरवाज़ा": अवतरणों में अंतर

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*दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।  
*दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।  
*शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।  
*शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।  
*बुलंद दरवाजे को, 1602 ई॰ में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।  
*बुलंद दरवाजे को, 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।  
*इसी दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है।  
*इसी दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है।  
*बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके संबंधियों की क़ब्रें हैं।
*बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके संबंधियों की क़ब्रें हैं।

09:14, 25 अगस्त 2010 का अवतरण

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बुलंद दरवाजा, फ़तेहपुर सीकरी, आगरा
Buland Darwaja, Fatehpur Sikri, Agra
  • फ़तेहपुर सीकरी में अकबर के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं।
  • यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाजा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है।
  • 52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाजे के अंदर पहुंचता है।
  • दरवाजे में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।
  • शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।
  • बुलंद दरवाजे को, 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।
  • इसी दरवाजे से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है।
  • बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके संबंधियों की क़ब्रें हैं।


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