"नाथुला दर्रा": अवतरणों में अंतर
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'''नाथुला दर्रा''' [[भारत]] के [[सिक्किम]] में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा महान [[हिमालय]] के अन्तर्गत पड़ता है। इस दर्रे के द्वारा [[दार्जिलिंग]] तथा [[चुम्बी घाटी]] से होकर [[तिब्बत]] जाने का मार्ग बनता है। वर्तमान समय में भारत एवं [[चीन]] के बीच व्यापार इसी मार्ग से होता है। [[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]] के समय यह दर्रा काफ़ी चर्चित रहा था। | '''नाथुला दर्रा''' [[भारत]] के [[सिक्किम]] में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा महान [[हिमालय]] के अन्तर्गत पड़ता है। इस दर्रे के द्वारा [[दार्जिलिंग]] तथा [[चुम्बी घाटी]] से होकर [[तिब्बत]] जाने का मार्ग बनता है। वर्तमान समय में भारत एवं [[चीन]] के बीच व्यापार इसी मार्ग से होता है। [[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]] के समय यह दर्रा काफ़ी चर्चित रहा था। | ||
==स्थिति== | ==स्थिति== |
08:33, 25 नवम्बर 2014 का अवतरण
नाथुला दर्रा
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विवरण | 'नाथुला दर्रा' हिमालय के अन्तर्गत पड़ता है। इस दर्रे के द्वारा दार्जिलिंग तथा चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग बनता है। |
स्थिति | सिक्किम तथा चीन (तिब्बत स्वशासित प्रदेश) |
ऊँचाई | 4310 मीटर |
पर्वत शृंखला | हिमालय |
विशेष | वर्ष 1962 में इस दर्रे को सील कर दिया गया था। ऐसा भारत-चीन युद्ध के बाद किया गया था, लेकिन वर्ष 2006 में इसे फिर से खोल दिया गया। |
अन्य जानकारी | गंगटोक में पूर्व अनुमति के साथ केवल भारतीयों को बुधवार, गुरुवार, शनिवार और रविवार को नाथुला दर्रा घूमने दिया जाता है। |
नाथुला दर्रा भारत के सिक्किम में डोगेक्या श्रेणी में स्थित है। यह दर्रा महान हिमालय के अन्तर्गत पड़ता है। इस दर्रे के द्वारा दार्जिलिंग तथा चुम्बी घाटी से होकर तिब्बत जाने का मार्ग बनता है। वर्तमान समय में भारत एवं चीन के बीच व्यापार इसी मार्ग से होता है। भारत-चीन युद्ध के समय यह दर्रा काफ़ी चर्चित रहा था।
स्थिति
नाथू ला पहाड़ का दर्रा है, जो चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ सिक्किम को जोड़ता है। समुद्र तल से 4310 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह दर्रा गंगटोक से करीब 54 कि.मी. पूर्व में स्थित है। गंगटोक में पूर्व अनुमति के साथ केवल भारतीयों को बुधवार, गुरुवार, शनिवार और रविवार को दर्रा घूमने दिया जाता है। यहाँ एक भारतीय युद्ध स्मारक भी मौजूद है। दर्रे में कई डूबे हुए क्षेत्र हैं। इसके साथ ही यहाँ के कई क्षेत्र भूस्खलन के प्रति संवेदनशील भी हैं।
व्यापारिक चौकी
'नाथू' शब्द का अर्थ है- 'सुनते हुए कान' और 'ला' तिब्बती भाषा में 'पास' का मतलब है। नाथू ला दर्रा चीन और भारत के बीच तीन खुली व्यापार चौकियों में से एक है। वर्ष 1962 में इस दर्रे को सील कर दिया गया था। ऐसा भारत-चीन युद्ध के बाद किया गया था, लेकिन वर्ष 2006 में इसे फिर से खोल दिया गया। साथ ही विभिन्न द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
दर्रे के खुलने पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें दोनों तरफ़ के सैन्य अधिकारी शामिल होते हैं। हालांकि, यह उम्मीद की गई थी कि दर्रे से होते हुए दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा, लेकिन अब तक कहीं भी महत्वपूर्ण सुधार नहीं दिखाई देता है। लेकिन दर्रे को फिर से खोलने से यात्रा की दूरी अवश्य कम हुई है, जिससे क्षेत्र में विभिन्न बौद्ध एवं हिन्दू तीर्थ केंद्रों के लिए यात्रा का समय भी कम हुआ है।
परिवहन
यह दर्रा गंगटोक के पूर्व की ओर 54 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह अत्यधिक बर्फबारी के कारण सर्दियों के दौरान बंद रहता है। इस क्षेत्र की सड़क के रखरखाव का काम 'भारतीय सेना विंग-सीमा सड़क संगठन' को सौंपा गया है। नाथू ला दर्रे से निकटतम रेलवे स्टेशन 'न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन' है। भारत सरकार दार्जिलिंग में सेवोके से सिक्किम में गंगाटोक तक ट्रेन सेवाओं का विस्तार करने के लिए शीघ्र ही योजना बना रही है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नाथू ला दर्रा, गंगटोक (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 25 नवम्बर, 2014।
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