|
|
पंक्ति 8: |
पंक्ति 8: |
| | | | | |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {दोपहर के बाद के समय को क्या कहा जाता है?
| |
| |type="()"}
| |
| -पूर्वाह्न
| |
| +अपराह्न
| |
| -मध्याह्न
| |
| -निशीथ
| |
|
| |
| {<poem>'बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
| |
| खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥'</poem>
| |
| प्रस्तुत उपरोक्त पक्तियों के रचयिता कौन हैं?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[अमृता प्रीतम]]
| |
| -[[मैथिलीशरण गुप्त]]
| |
| +[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
| |
| -[[महादेवी वर्मा]]
| |
| ||[[चित्र:Subhadra-Kumari-Chauhan.jpg|सुभद्रा कुमारी चौहान|100px|right]]सुभद्रा कुमारी चौहान की श्रेष्ठतम कविताओं में "बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी", बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। [[वीर रस]] से ओत-प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता [[सुभद्रा कुमारी चौहान]] को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद प्रदान किया गया था। यह वह कविता है, जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में [[भाषा]] का ऐसा ऋजु-प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
| |
|
| |
| {नीलगाय में कौन-सा [[समास]] है?
| |
| |type="()"}
| |
| -तत्पुरुष
| |
| -अव्ययीभाव
| |
| +कर्मधारय
| |
| -द्विगु
| |
|
| |
| {[[हिन्दी भाषा]] में कितने वचन होते हैं?
| |
| |type="()"}
| |
| +दो
| |
| -तीन
| |
| -चार
| |
| -पाँच
| |
|
| |
| {'[[विनयपत्रिका]]' के रचयिता का नाम क्या है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सूरदास]]
| |
| +[[तुलसीदास]]
| |
| -[[कबीरदास]]
| |
| -[[केशवदास]]
| |
| ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|तुलसीदास|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के [[आकाश तत्त्व|आकाश]] के परम [[नक्षत्र]] गोस्वामी तुलसीदास जी [[भक्तिकाल]] की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ [[कवि]], [[भक्त]] तथा समाज सुधारक इन तीनों रूपों में मान्य है। तुलसीदास द्वारा रचित [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें [[रामचरितमानस]], [[कवितावली]], [[विनयपत्रिका]], [[दोहावली]], [[गीतावली]], [[जानकी मंगल]], [[हनुमान चालीसा]], [[बरवै रामायण]] आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]]
| |
|
| |
|
| {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? | | {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? |