"झाँसी की रानी -अरुन अनन्त": अवतरणों में अंतर
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|मुख्य रचनाएँ='''सम्पादन'''- # '''शब्द व्यंजना''' (www.shabdvyanjana.com) हिंदी मासिक ई-पत्रिका <br> # '''सारांश समय का''' (80 कविओं की कविताओं का संकलन) | |मुख्य रचनाएँ='''सम्पादन'''- # '''शब्द व्यंजना''' (www.shabdvyanjana.com) हिंदी मासिक ई-पत्रिका <br> # '''सारांश समय का''' (80 कविओं की कविताओं का संकलन) | ||
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;झाँसी की रानी आल्हा छंद | |||
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<poem> | |||
सन पैंतीस नवंबर उन्निस, लिया भदैनी में अवतार, | |||
आज धन्य हो गई धरा थी, हर्षित था सारा परिवार, | |||
एक मराठा वीर साहसी, 'मोरोपंत' बने थे तात, | |||
धर्म परायण महा बुद्धिमति, 'भागीरथी' बनी थीं मात, | |||
मूल नाम मणिकर्णिका प्यारा, लेकिन 'मनु' पाया लघु-नाम, | |||
हे भारत की लक्ष्मी दुर्गा, तुमको बारम्बार प्रणाम, | |||
चार वर्ष की उम्र हुई थी, खो बैठी माता का प्यार, | |||
शासक बाजीराव मराठा, के पहुँचीं फिर वह दरबार, | |||
अधरों के पट खुले नहीं थे, लूट लिया हर दिल से प्यार , | अधरों के पट खुले नहीं थे, लूट लिया हर दिल से प्यार , | ||
पड़ा पुनः फिर नाम छबीली, बही प्रेम की थी रसधार, | |||
शाला में पग धरा नहीं था , शास्त्रों का था पाया ज्ञान | |||
भेद दिया था लक्ष्य असंभव, केवल छूकर तीर कमान, | |||
गंगाधर झाँसी के राजा, वीर मराठा संग विवाह, | गंगाधर झाँसी के राजा, वीर मराठा संग विवाह, | ||
तन-मन पुलकित और प्रफुल्लित,रोम-रोम में था उत्साह, | |||
शुरू किया अध्याय नया अब, लेकर लक्ष्मीबाई नाम, | |||
जीत लिया दिल राजमहल का, खुश उनसे थी प्रजा तमाम | |||
एक पुत्र को जन्म दिया पर, छीन गए उसको यमराज, | |||
तबियत बिगड़ी गंगाधर की, रानी पर थी टूटी गाज, | |||
दत्तक बेटा गोद लिया औ, नाम रखा दामोदर राव, | |||
राजा का देहांत हुआ उफ़, जीवन भर का पाया घाव, | |||
अट्ठारह सौ सत्तावन में , झाँसी की भड़की आवाम, | अट्ठारह सौ सत्तावन में , झाँसी की भड़की आवाम, | ||
सीना धरती का थर्राया, शुरू हुआ भीषण संग्राम, | |||
काँप उठी अंग्रेजी सेना, रानी की सुनकर ललकार, | |||
शीश हजारों काट गई वह, जैसे ही लपकी तलवार, | |||
डगमग डगमग धरती डोली, बिना चले आंधी तूफ़ान, | |||
जगह जगह लाशें बिखरी थीं, लाल लहू से था मैदान, | |||
आज वीरता शौर्य देखकर, धन्य हुआ था हिन्दुस्तान, | |||
समझ गए अंग्रेजी शासक, क्या मुश्किल औ क्या आसान, | |||
शक्ति-स्वरूपा लक्ष्मी बाई , मानों दुर्गा का अवतार | |||
आजादी की बलिवेदी पर, वार दिए साँसों के तार | |||
अमर रहे झांसी की रानी, अमर रहे उनका बलिदान, | |||
जब तक होंगे चाँद-सितारे, तब तक होगी उनकी शान... | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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09:57, 19 फ़रवरी 2015 का अवतरण
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झाँसी की रानी -अरुन अनन्त
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पूरा नाम | अरुन शर्मा अनन्त |
जन्म | 10 जनवरी, 1984 |
जन्म भूमि | (नई दिल्ली) |
मुख्य रचनाएँ | सम्पादन- # शब्द व्यंजना (www.shabdvyanjana.com) हिंदी मासिक ई-पत्रिका # सारांश समय का (80 कविओं की कविताओं का संकलन) |
भाषा | हिंदी |
शिक्षा | स्नातक |
नागरिकता | भारतीय |
सम्प्रति- | रियल एस्टेट कंपनी में प्रबंधक |
सम्पर्क | गुडगाँव हरियाणा फ़ोन-09899797447, ई-मेल- revert2arun@gmail.com |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
- झाँसी की रानी आल्हा छंद
सन पैंतीस नवंबर उन्निस, लिया भदैनी में अवतार, |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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