"राजस्थान का इतिहास": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[राजस्थान]] का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की [[संस्कृति]] [[सिंधु घाटी सभ्यता]] जैसी थी। 12वीं [[सदी]] तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर [[गुर्जर|गुर्जरो]] का राज्य रहा है। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) के नाम से जाना जाता था।<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref><ref>{{cite book|title=Desa, videsa me? Gurjara kya hai? tatha kya the?: Gurjara itihasa|authors=Mulatanasi?ha Varma|publisher=Akhila Bharatiya Gurjara Samaja Sudhara Sabha|year=1984|}}</ref><ref>{{cite book|title=Sekhava?i pradesa ka pracina itihasa|author= Surajanasi?ha Shekhavata|publisher=Sri Sardula Ejyukesana ?ras?a|year=1989|page=94}}</ref>गुर्जर प्रतिहारो ने 300 सालों तक पूरे उत्तरी-भारत को अरब आक्रान्ताओ से बचाया था।<ref>{{cite book|title=India: a history|author=John Keay|publisher=Grove Press|year=2001|id=ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5|url=http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq|page=95}}</ref>बाद में जब राजपूतों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना आधिपत्य जमा लिया तो यह क्षेत्र ब्रिटिशकाल में राजपूताना (राजपूतों का स्थान) कहलाने लगा। 12वीं शताब्दी के बाद [[मेवाड़]] पर गुहिलोतों ने राज्य किया। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रहीं, वे हैं - [[भरतपुर]], जयपुर, [[बूँदी]], [[मारवाड़]], [[कोटा]], और [[अलवर]]। अन्य सभी रियासतें इन्हीं रियासतों से बनी। इन सभी रियासतों ने 1818 में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली जिसमें राजाओं के हितों की रक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन इस संधि से आम जनता स्वाभाविक रूप से असंतुष्ट थी।<br />[[वर्ष]] [[1857]] के विद्रोह के बाद लोग '[[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|स्वतंत्रता आंदोलन]]' में भाग लेने के लिए [[महात्मा गाँधी]] के नेतृत्व में एकजुट हुए। सन् [[1935]] में [[अंग्रेज़ी शासन]] वाले [[भारत]] में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए आंदोलन और तेज़ हो गया। [[1948]] में इन बिखरी हुई रियासतों को एक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो [[1956]] में राज्य में पुनर्गठन क़ानून लागू होने तक जारी रही। सबसे पहले 1948 में 'मत्स्य संघ' बना, जिसमें कुछ ही रियासतें शामिल हुईं। धीरे-धीरे बाकी रियासतें भी इसमें मिलती गईं। सन् [[1949]] तक [[बीकानेर]], [[जयपुर]], [[जोधपुर]] और [[जैसलमेर]] जैसी मुख्य रियासतें इसमें शामिल हो चुकी थीं और इसे 'बृहत्तर राजस्थान संयुक्त राज्य' का नाम दिया गया। सन् [[1958]] में [[अजमेर]], आबू रोड तालुका और सुनेल टप्पा के भी शामिल हो जाने के बाद वर्तमान राजस्थान राज्य विधिवत अस्तित्व में आया। राजस्थान की समूची पश्चिमी सीमा पर [[पाकिस्तान]] पड़ता है, जबकि उत्तर में [[पंजाब]], उत्तर पूर्व में [[हरियाणा]], पूर्व में [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण-पश्चिम में [[गुजरात]] है।
[[राजस्थान]] का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की [[संस्कृति]] [[सिंधु घाटी सभ्यता]] जैसी थी। 12वीं [[सदी]] तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर [[गुर्जर|गुर्जरो]] का राज्य रहा है। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) के नाम से जाना जाता था।<ref>{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref><ref>{{cite book|title=Desa, videsa me? Gurjara kya hai? tatha kya the?: Gurjara itihasa|authors=Mulatanasi?ha Varma|publisher=Akhila Bharatiya Gurjara Samaja Sudhara Sabha|year=1984|}}</ref><ref>{{cite book|title=Sekhava?i pradesa ka pracina itihasa|author= Surajanasi?ha Shekhavata|publisher=Sri Sardula Ejyukesana ?ras?a|year=1989|page=94}}</ref>गुर्जर प्रतिहारो ने 300 सालों तक पूरे उत्तरी-भारत को अरब आक्रान्ताओ से बचाया था।<ref>{{cite book|title=India: a history|author=John Keay|publisher=Grove Press|year=2001|id=ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5|url=http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq|page=95}}</ref>बाद में जब राजपूतों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना आधिपत्य जमा लिया तो यह क्षेत्र ब्रिटिशकाल में राजपूताना (राजपूतों का स्थान) कहलाने लगा। 12वीं शताब्दी के बाद [[मेवाड़]] पर गुहिलोतों ने राज्य किया। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रहीं, वे हैं - [[भरतपुर]], जयपुर, [[बूँदी]], [[मारवाड़]], [[कोटा]], और [[अलवर]]। अन्य सभी रियासतें इन्हीं रियासतों से बनी। इन सभी रियासतों ने 1818 में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली जिसमें राजाओं के हितों की रक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन इस संधि से आम जनता स्वाभाविक रूप से असंतुष्ट थी।<br />[[वर्ष]] [[1857]] के विद्रोह के बाद लोग '[[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन|स्वतंत्रता आंदोलन]]' में भाग लेने के लिए [[महात्मा गाँधी]] के नेतृत्व में एकजुट हुए। सन् [[1935]] में [[अंग्रेज़ी शासन]] वाले [[भारत]] में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए आंदोलन और तेज़ हो गया। [[1948]] में इन बिखरी हुई रियासतों को एक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो [[1956]] में राज्य में पुनर्गठन क़ानून लागू होने तक जारी रही। सबसे पहले 1948 में 'मत्स्य संघ' बना, जिसमें कुछ ही रियासतें शामिल हुईं। धीरे-धीरे बाकी रियासतें भी इसमें मिलती गईं। सन् [[1949]] तक [[बीकानेर]], [[जयपुर]], [[जोधपुर]] और [[जैसलमेर]] जैसी मुख्य रियासतें इसमें शामिल हो चुकी थीं और इसे 'बृहत्तर राजस्थान संयुक्त राज्य' का नाम दिया गया। सन् [[1958]] में [[अजमेर]], आबू रोड तालुका और सुनेल टप्पा के भी शामिल हो जाने के बाद वर्तमान राजस्थान राज्य विधिवत अस्तित्व में आया। राजस्थान की समूची पश्चिमी सीमा पर [[पाकिस्तान]] पड़ता है, जबकि उत्तर में [[पंजाब]], उत्तर पूर्व में [[हरियाणा]], पूर्व में [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[मध्य प्रदेश]] और दक्षिण-पश्चिम में [[गुजरात]] है।
=====भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में योगदान=====
[[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] में राजस्थान के अनेक [[साँचा:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानियों]] ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- [[अंजना देवी चौधरी]], [[छगनराज चौपासनी वाला]], [[गंगा सिंह]], [[घनश्याम दास बिड़ला]], [[घासी राम चौधरी]], [[जमनालाल बजाज]], [[चुन्नीलाल चित्तौड़ा]], [[जयनारायण व्यास]], [[अब्दुल हमीद कैसर]], [[ठाकुर केसरी सिंह]], [[महात्मा रामचन्द्र वीर]] आदि।
==सात चरणों में बना राजस्थान==
==सात चरणों में बना राजस्थान==
# [[18 मार्च]], [[1948]] को [[अलवर]], [[भरतपुर]], [[धौलपुर]], [[करौली]] रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।  
# [[18 मार्च]], [[1948]] को [[अलवर]], [[भरतपुर]], [[धौलपुर]], [[करौली]] रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।  
पंक्ति 12: पंक्ति 8:
# [[26 जनवरी]], [[1950]] को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।
# [[26 जनवरी]], [[1950]] को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।
# [[1 नवंबर]], [[1956]] को [[आबू]], [[देलवाड़ा]] तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, [[मध्य प्रदेश]] में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।<ref>{{cite web |url=http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/rajasthan/rajasthan-diwas-2015-special-970409.html |title=राजस्थान दिवस: वीरगाथाओं से होता है गर्व का एहसास |accessmonthday=1 अप्रॅल |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=राजस्थान पत्रिका |language=हिन्दी }}</ref>
# [[1 नवंबर]], [[1956]] को [[आबू]], [[देलवाड़ा]] तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, [[मध्य प्रदेश]] में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।<ref>{{cite web |url=http://rajasthanpatrika.patrika.com/story/rajasthan/rajasthan-diwas-2015-special-970409.html |title=राजस्थान दिवस: वीरगाथाओं से होता है गर्व का एहसास |accessmonthday=1 अप्रॅल |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=राजस्थान पत्रिका |language=हिन्दी }}</ref>
===भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में राजस्थान का योगदान===
[[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] में राजस्थान के अनेक [[साँचा:स्वतन्त्रता सेनानी|स्वतंत्रता सेनानियों]] ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- [[अंजना देवी चौधरी]], [[छगनराज चौपासनी वाला]], [[गंगा सिंह]], [[घनश्याम दास बिड़ला]], [[घासी राम चौधरी]], [[जमनालाल बजाज]], [[चुन्नीलाल चित्तौड़ा]], [[जयनारायण व्यास]], [[अब्दुल हमीद कैसर]], [[ठाकुर केसरी सिंह]], [[महात्मा रामचन्द्र वीर]] आदि।




पंक्ति 21: पंक्ति 19:
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
{{भारत के राज्यों का इतिहास}}
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:राजस्थान_का_इतिहास]]
[[Category:राजस्थान का इतिहास]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

06:05, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण

राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता जैसी थी। 12वीं सदी तक राजस्थान के अधिकांश भाग पर गुर्जरो का राज्य रहा है। गुजरात तथा राजस्थान का अधिकांश भाग गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) के नाम से जाना जाता था।[1][2][3]गुर्जर प्रतिहारो ने 300 सालों तक पूरे उत्तरी-भारत को अरब आक्रान्ताओ से बचाया था।[4]बाद में जब राजपूतों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना आधिपत्य जमा लिया तो यह क्षेत्र ब्रिटिशकाल में राजपूताना (राजपूतों का स्थान) कहलाने लगा। 12वीं शताब्दी के बाद मेवाड़ पर गुहिलोतों ने राज्य किया। मेवाड़ के अलावा जो अन्य रियासतें ऐतिहासिक दृष्टि से प्रमुख रहीं, वे हैं - भरतपुर, जयपुर, बूँदी, मारवाड़, कोटा, और अलवर। अन्य सभी रियासतें इन्हीं रियासतों से बनी। इन सभी रियासतों ने 1818 में अधीनस्थ गठबंधन की ब्रिटिश संधि स्वीकार कर ली जिसमें राजाओं के हितों की रक्षा की व्यवस्था थी, लेकिन इस संधि से आम जनता स्वाभाविक रूप से असंतुष्ट थी।
वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद लोग 'स्वतंत्रता आंदोलन' में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी के नेतृत्व में एकजुट हुए। सन् 1935 में अंग्रेज़ी शासन वाले भारत में प्रांतीय स्वायत्तता लागू होने के बाद राजस्थान में नागरिक स्वतंत्रता तथा राजनीतिक अधिकारों के लिए आंदोलन और तेज़ हो गया। 1948 में इन बिखरी हुई रियासतों को एक करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो 1956 में राज्य में पुनर्गठन क़ानून लागू होने तक जारी रही। सबसे पहले 1948 में 'मत्स्य संघ' बना, जिसमें कुछ ही रियासतें शामिल हुईं। धीरे-धीरे बाकी रियासतें भी इसमें मिलती गईं। सन् 1949 तक बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसी मुख्य रियासतें इसमें शामिल हो चुकी थीं और इसे 'बृहत्तर राजस्थान संयुक्त राज्य' का नाम दिया गया। सन् 1958 में अजमेर, आबू रोड तालुका और सुनेल टप्पा के भी शामिल हो जाने के बाद वर्तमान राजस्थान राज्य विधिवत अस्तित्व में आया। राजस्थान की समूची पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान पड़ता है, जबकि उत्तर में पंजाब, उत्तर पूर्व में हरियाणा, पूर्व में उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम में गुजरात है।

सात चरणों में बना राजस्थान

  1. 18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर 'मत्स्य संघ' बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।
  2. 25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़शाहपुरा का विलय होकर राजस्थान संघ बना।
  3. 18 अप्रॅल, 1948 को उदयपुर रियासत का विलय। नया नाम 'संयुक्त राजस्थान संघ' रखा गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह राजप्रमुख बने।
  4. 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।
  5. 15 अप्रॅल, 1949 को 'मत्स्य संघ' का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय हो गया।
  6. 26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।
  7. 1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।[5]

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में राजस्थान का योगदान

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में राजस्थान के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने योगदान दिया है जिसमें से प्रमुख हैं- अंजना देवी चौधरी, छगनराज चौपासनी वाला, गंगा सिंह, घनश्याम दास बिड़ला, घासी राम चौधरी, जमनालाल बजाज, चुन्नीलाल चित्तौड़ा, जयनारायण व्यास, अब्दुल हमीद कैसर, ठाकुर केसरी सिंह, महात्मा रामचन्द्र वीर आदि।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका-टिप्पणी और संदर्भ

  1. Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।
  2. (1984) Desa, videsa me? Gurjara kya hai? tatha kya the?: Gurjara itihasa। Akhila Bharatiya Gurjara Samaja Sudhara Sabha।
  3. Surajanasi?ha Shekhavata (1989) Sekhava?i pradesa ka pracina itihasa। Sri Sardula Ejyukesana ?ras?a।
  4. John Keay (2001) India: a history। Grove Press। ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5।
  5. राजस्थान दिवस: वीरगाथाओं से होता है गर्व का एहसास (हिन्दी) राजस्थान पत्रिका। अभिगमन तिथि: 1 अप्रॅल, 2015।

संबंधित लेख