"रानी कर्णावती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "अविभावक" to "अभिभावक")
No edit summary
 
पंक्ति 42: पंक्ति 42:
'''रानी कर्णावती''' [[मेवाड़]] की रानी थी। जिस समय [[हुमायूँ]] अपने राज्य विस्तार का प्रयत्न कर रहा था, [[गुजरात]] का शासक [[बहादुर शाह]] भी अपनी शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था। बहादुर शाह ने 1533 ई. में [[चित्तौड़]] पर आक्रमण कर दिया। उसने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए [[हुमायूँ]] के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुर शाह का मिलकर सामना करें।
'''रानी कर्णावती''' [[मेवाड़]] की रानी थी। जिस समय [[हुमायूँ]] अपने राज्य विस्तार का प्रयत्न कर रहा था, [[गुजरात]] का शासक [[बहादुर शाह]] भी अपनी शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था। बहादुर शाह ने 1533 ई. में [[चित्तौड़]] पर आक्रमण कर दिया। उसने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए [[हुमायूँ]] के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुर शाह का मिलकर सामना करें।
==सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती==
==सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती==
मुग़ल सम्राट हुमायूं और राजपूत रानी कर्णावती की ये कहानी शुद्ध भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। [[राखी]] सिर्फ धागा नहीं है बल्कि भाई और बहन के बीच भावनात्मक जुड़ाव है। मध्यकालीन युग में [[राजपूत]] व [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती [[चित्तौड़]] के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूं इस हिंदू परंपरा को अच्छे से जानता था इसलिए उसे रानी कर्णावती की ये बात छू गई। हालांकि हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उसने तुरंत अपने सैनिकों को युद्ध बंद करने का आदेश दिया। और हूमायूं ने रानी कर्णावती को अपनी बहन का दर्जा दिया और उम्रभर रक्षा का वचन दिया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/Humor/Rani-Karnawati-And-Emperor-Humayun-1463602.html |title=जब सम्राट हूमायूं ने रखी ‘राखी’ की लाज...! |accessmonthday=27 मई |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= एच.टी.एम.एल|publisher=इन.डॉम |language=हिंदी }} </ref>
मुग़ल सम्राट हुमायूं और राजपूत रानी कर्णावती की ये कहानी शुद्ध भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। [[राखी]] सिर्फ धागा नहीं है बल्कि भाई और बहन के बीच भावनात्मक जुड़ाव है। मध्यकालीन युग में [[राजपूत]] व [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती [[चित्तौड़]] के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूं इस हिंदू परंपरा को अच्छे से जानता था इसलिए उसे रानी कर्णावती की ये बात छू गई। हालांकि हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उसने तुरंत अपने सैनिकों को युद्ध बंद करने का आदेश दिया। और हूमायूं ने रानी कर्णावती को अपनी बहन का दर्जा दिया और उम्रभर रक्षा का वचन दिया।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/Humor/Rani-Karnawati-And-Emperor-Humayun-1463602.html |title=जब सम्राट हूमायूं ने रखी ‘राखी’ की लाज...! |accessmonthday=27 मई |accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= एच.टी.एम.एल|publisher=इन.डॉम |language=हिंदी }}</ref>
 
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
पंक्ति 51: पंक्ति 49:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारतीय वीरांगनाएँ}}{{भारत की रानियाँ और महारानियाँ}}
{{भारतीय वीरांगनाएँ}}{{भारत की रानियाँ और महारानियाँ}}
[[Category:भारतीय वीरांगनाएँ]]
[[Category:वीरांगनाएँ]][[Category:भारतीय वीरांगनाएँ]][[Category:भारत की रानियाँ और महारानियाँ]]
[[Category:भारत की रानियाँ और महारानियाँ]]
 
__INDEX__
__INDEX__

06:52, 10 मई 2020 के समय का अवतरण

कर्णावती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कर्णावती (बहुविकल्पी)
रानी कर्णावती
पूरा नाम रानी कर्णावती
जन्म तिथि अज्ञात
मृत्यु 8 मार्च, 1535 ई.
पति/पत्नी राणा साँगा
संतान राणा उदयसिंह और राणा विक्रमादित्य
कर्म भूमि मेवाड़
प्रसिद्धि मेवाड़ की रानी
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी थी। और हमायूँ ने भी रानी को उम्र भर रक्षा का वचन दिया।

रानी कर्णावती मेवाड़ की रानी थी। जिस समय हुमायूँ अपने राज्य विस्तार का प्रयत्न कर रहा था, गुजरात का शासक बहादुर शाह भी अपनी शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था। बहादुर शाह ने 1533 ई. में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। उसने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए हुमायूँ के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुर शाह का मिलकर सामना करें।

सम्राट हुमायूं और रानी कर्णावती

मुग़ल सम्राट हुमायूं और राजपूत रानी कर्णावती की ये कहानी शुद्ध भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। राखी सिर्फ धागा नहीं है बल्कि भाई और बहन के बीच भावनात्मक जुड़ाव है। मध्यकालीन युग में राजपूतमुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूं इस हिंदू परंपरा को अच्छे से जानता था इसलिए उसे रानी कर्णावती की ये बात छू गई। हालांकि हूमायूं किसी को भी नहीं बख्शता था लेकिन उसके दिल में रानी कर्णावती का प्यार अच्छे से उतर गया और उसने तुरंत अपने सैनिकों को युद्ध बंद करने का आदेश दिया। और हूमायूं ने रानी कर्णावती को अपनी बहन का दर्जा दिया और उम्रभर रक्षा का वचन दिया।[1]

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जब सम्राट हूमायूं ने रखी ‘राखी’ की लाज...! (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) इन.डॉम। अभिगमन तिथि: 27 मई, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख