"मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''मधुकलश''' हरिवंशराय बच्चन की कृति...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''मधुकलश''' [[हरिवंश राय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन]] की कृति है। | {{सूचना बक्सा पुस्तक | ||
|चित्र=Madhukalash.jpg | |||
|चित्र का नाम=पुस्तक 'मधुकलश' का आवरण पृष्ठ | |||
|लेखक= [[हरिवंश राय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन]] | |||
|कवि= | |||
|मूल_शीर्षक = 'मधुकलश' | |||
|मुख्य पात्र = | |||
|कथानक = | |||
|अनुवादक = | |||
|संपादक = | |||
|प्रकाशक = राजपाल एण्ड संस | |||
|प्रकाशन_तिथि = [[1 जनवरी]], [[2010]] | |||
|भाषा = [[हिन्दी]] | |||
|देश = [[भारत]] | |||
|विषय = [[कविता]] | |||
|शैली =[[रुबाई|रुबाईयाँ]] | |||
|मुखपृष्ठ_रचना = | |||
|विधा = | |||
|प्रकार = | |||
|पृष्ठ = 125 | |||
|ISBN = 978-81-7028-426 | |||
|भाग = | |||
|शीर्षक 1=सम्बंधित लेख | |||
|पाठ 1=[[हरिवंश राय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन]], [[मधुशाला]], [[निशा निमंत्रण -हरिवंशराय बच्चन|निशा निमंत्रण]] | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|विशेष = | |||
|टिप्पणियाँ = | |||
}} | |||
'''मधुकलश''' [[हरिवंश राय बच्चन|हरिवंशराय बच्चन]] की कृति है। बच्चन जी की यह कृति 'राजपाल एण्ड संस प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित हुई थी। | |||
*अग्रणी कवि हरिवंशराय बच्चन की [[कविता]] का आरंभ तीसरे दशक के मध्य ‘मधु’ अथवा मदिरा के इर्द-गिर्द हुआ और ‘[[मधुशाला]]’ से आरंभ कर ‘मधुबाला’ और ‘मधुकलश’ एक-एक [[वर्ष]] के अंतर से प्रकाशित हुए। ये बहुत लोकप्रिय हुए और प्रथम ‘मधुशाला’ ने तो धूम ही मचा दी। यह दरअसल [[हिन्दी साहित्य]] की आत्मा का ही अंग बन गई है और कालजयी रचनाओं की श्रेणी में खड़ी हुई है।<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/home.php?bookid=5694|title=मधुकलश |accessmonthday= 15 जून|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=हिन्दी }}</ref> | *अग्रणी कवि हरिवंशराय बच्चन की [[कविता]] का आरंभ तीसरे दशक के मध्य ‘मधु’ अथवा मदिरा के इर्द-गिर्द हुआ और ‘[[मधुशाला]]’ से आरंभ कर ‘मधुबाला’ और ‘मधुकलश’ एक-एक [[वर्ष]] के अंतर से प्रकाशित हुए। ये बहुत लोकप्रिय हुए और प्रथम ‘मधुशाला’ ने तो धूम ही मचा दी। यह दरअसल [[हिन्दी साहित्य]] की आत्मा का ही अंग बन गई है और कालजयी रचनाओं की श्रेणी में खड़ी हुई है।<ref>{{cite web |url= http://pustak.org/home.php?bookid=5694|title=मधुकलश |accessmonthday= 15 जून|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतीय साहित्य संग्रह|language=हिन्दी }}</ref> |
09:35, 15 जून 2015 का अवतरण
मधुकलश -हरिवंशराय बच्चन
| |
लेखक | हरिवंशराय बच्चन |
मूल शीर्षक | 'मधुकलश' |
प्रकाशक | राजपाल एण्ड संस |
प्रकाशन तिथि | 1 जनवरी, 2010 |
ISBN | 978-81-7028-426 |
देश | भारत |
पृष्ठ: | 125 |
भाषा | हिन्दी |
शैली | रुबाईयाँ |
विषय | कविता |
सम्बंधित लेख | हरिवंशराय बच्चन, मधुशाला, निशा निमंत्रण |
मधुकलश हरिवंशराय बच्चन की कृति है। बच्चन जी की यह कृति 'राजपाल एण्ड संस प्रकाशन' द्वारा प्रकाशित हुई थी।
- अग्रणी कवि हरिवंशराय बच्चन की कविता का आरंभ तीसरे दशक के मध्य ‘मधु’ अथवा मदिरा के इर्द-गिर्द हुआ और ‘मधुशाला’ से आरंभ कर ‘मधुबाला’ और ‘मधुकलश’ एक-एक वर्ष के अंतर से प्रकाशित हुए। ये बहुत लोकप्रिय हुए और प्रथम ‘मधुशाला’ ने तो धूम ही मचा दी। यह दरअसल हिन्दी साहित्य की आत्मा का ही अंग बन गई है और कालजयी रचनाओं की श्रेणी में खड़ी हुई है।[1]
- इन कविताओं की रचना के समय कवि की आयु 27-28 वर्ष की थी, अतः स्वाभाविक है कि ये संग्रह यौवन के रस और ज्वार से भरपूर हैं। स्वयं बच्चन ने इन सबको एक साथ पढ़ने का आग्रह किया है। कवि ने कहा है-
"आज मदिरा लाया हूँ, जिसे पीकर भविष्यत के भय भाग जाते हैं और भूतकाल के दु:ख दूर हो जाते हैं..., आज जीवन की मदिरा, जो हमें विवश होकर पीनी पड़ी है, कितनी कड़वी है। ले, पान कर और इस मद के उन्माद में अपने को, अपने दु:ख को, भूल जा।"
|
|
|
|
|