"राम नाम सिव सुमिरन लागे": अवतरणों में अंतर

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शिव रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सती ने जाना कि अब जगत के स्वामी ([[शिव]]) जागे। उन्होंने जाकर शिव के चरणों में प्रणाम किया। शिव ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया।
शिव रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सती ने जाना कि अब जगत् के स्वामी ([[शिव]]) जागे। उन्होंने जाकर शिव के चरणों में प्रणाम किया। शिव ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया।


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14:17, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

राम नाम सिव सुमिरन लागे
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

राम नाम सिव सुमिरन लागे। जानेउ सतीं जगतपति जागे॥
जाइ संभु पद बंदनु कीन्हा। सनमुख संकर आसनु दीन्हा॥

भावार्थ-

शिव रामनाम का स्मरण करने लगे, तब सती ने जाना कि अब जगत् के स्वामी (शिव) जागे। उन्होंने जाकर शिव के चरणों में प्रणाम किया। शिव ने उनको बैठने के लिए सामने आसन दिया।


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राम नाम सिव सुमिरन लागे
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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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