"तब अनुजहि समुझावा": अवतरणों में अंतर
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तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव। | तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव। | ||
भय देखाइ लै आवहु तात सखा सुग्रीव॥18॥ | भय देखाइ लै आवहु तात सखा सुग्रीव॥18॥ | ||
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तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई | तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई [[लक्ष्मण|लक्ष्मण जी]] को समझाया कि हे तात! सखा [[सुग्रीव]] को केवल भय दिखलाकर ले आओ (उसे मारने की बात नहीं है)॥18॥ | ||
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10:33, 24 मई 2016 के समय का अवतरण
तब अनुजहि समुझावा
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | किष्किंधा काण्ड |
तब अनुजहि समुझावा रघुपति करुना सींव। |
- भावार्थ
तब दया की सीमा श्री रघुनाथजी ने छोटे भाई लक्ष्मण जी को समझाया कि हे तात! सखा सुग्रीव को केवल भय दिखलाकर ले आओ (उसे मारने की बात नहीं है)॥18॥
तब अनुजहि समुझावा |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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