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नित्य नए एक लाख ब्राह्मणों को कुटुंब सहित निमंत्रित करना। मैं तुम्हारे सकंल्प (के काल अर्थात एक वर्ष) तक प्रतिदिन भोजन बना दिया करूँगा॥ 168॥
नित्य नए एक लाख ब्राह्मणों को कुटुंब सहित निमंत्रित करना। मैं तुम्हारे सकंल्प (के काल अर्थात् एक वर्ष) तक प्रतिदिन भोजन बना दिया करूँगा॥ 168॥


{{लेख क्रम4| पिछला=पुनि तिन्ह के गृह जेवँइ जोऊ |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=एहि बिधि भूप कष्ट अति थोरें}}
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07:57, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

नित नूतन द्विज सहस
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

नित नूतन द्विज सहस सत बरेहु सहित परिवार।
मैं तुम्हरे संकलप लगि दिनहिं करबि जेवनार॥ 168॥

भावार्थ-

नित्य नए एक लाख ब्राह्मणों को कुटुंब सहित निमंत्रित करना। मैं तुम्हारे सकंल्प (के काल अर्थात् एक वर्ष) तक प्रतिदिन भोजन बना दिया करूँगा॥ 168॥


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नित नूतन द्विज सहस
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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