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मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥
मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात् बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥


{{लेख क्रम4| पिछला=गूढ़ गिरा सुनि सिय सकुचानी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जानि कठिन सिवचाप बिसूरति}}
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07:55, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

देखन मिस मृग बिहग
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

देखन मिस मृग बिहग तरु फिरइ बहोरि बहोरि।
निरखि निरखि रघुबीर छबि बाढ़इ प्रीति न थोरि॥ 234॥

भावार्थ-

मृग, पक्षी और वृक्षों को देखने के बहाने सीता बार-बार घूम जाती हैं और राम की छवि देख-देखकर उनका प्रेम कम नहीं बढ़ रहा है। (अर्थात् बहुत ही बढ़ता जाता है)॥ 234॥


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देखन मिस मृग बिहग
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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