"रामचंद्र मुख चंद्र छबि": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 45: पंक्ति 45:


'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== 
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-159                                 
<references/>
==संबंधित लेख==
{{तुलसीदास की रचनाएँ}}{{रामचरितमानस}}
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:हिन्दू धर्म ग्रंथ]]
[[Category:तुलसीदास]]
[[Category:सगुण भक्ति]]
[[Category:भक्ति साहित्य]]
[[Category:रामचरितमानस]]
[[Category:बालकाण्ड]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__NOTOC__
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र का नाम=रामचरितमानस
|लेखक=
|कवि= [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]]
|मूल_शीर्षक = [[रामचरितमानस]]
|मुख्य पात्र = [[राम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]], [[हनुमान]], [[रावण]] आदि
|कथानक =
|अनुवादक =
|संपादक =
|प्रकाशक = [[गीता प्रेस गोरखपुर]]
|प्रकाशन_तिथि =
|भाषा = [[अवधी भाषा]]
|देश =
|विषय =
|शैली =[[सोरठा]], [[चौपाई]], [[छंद]] और [[दोहा]]
|मुखपृष्ठ_रचना =
|विधा =
|प्रकार =
|पृष्ठ =
|ISBN =
|भाग =
|शीर्षक 1=संबंधित लेख
|पाठ 1=[[दोहावली]], [[कवितावली]], [[गीतावली]], [[विनय पत्रिका]], [[हनुमान चालीसा]]
|शीर्षक 2=काण्ड
|पाठ 2=बालकाण्ड
|शीर्षक 3=सभी (7) काण्ड क्रमश:
|पाठ 3=[[रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड)|बालकाण्ड‎]], [[रामचरितमानस द्वितीय सोपान (अयोध्या काण्ड)|अयोध्या काण्ड]]‎,  [[रामचरितमानस तृतीय सोपान (अरण्यकाण्ड)|अरण्यकाण्ड]], [[रामचरितमानस चतुर्थ सोपान (किष्किंधा काण्ड)|किष्किंधा काण्ड]]‎, [[रामचरितमानस पंचम सोपान (सुंदरकाण्ड)|सुंदरकाण्ड]], [[रामचरितमानस षष्ठ सोपान (लंकाकाण्ड)|लंकाकाण्ड‎]], [[रामचरितमानस सप्तम सोपान (उत्तरकाण्ड)|उत्तरकाण्ड]]
|भाग =
|विशेष =
|टिप्पणियाँ =
}}
{{poemopen}}
<poem>
;दोहा
रामचंद्र मुख चंद्र छबि लोचन चारु चकोर।
करत पान सादर सकल प्रेमु प्रमोदु न थोर॥ 321॥
</poem>
{{poemclose}}
;भावार्थ-
रामचंद्र के मुखरूपी चंद्रमा की छवि को सभी के सुंदर नेत्ररूपी चकोर आदरपूर्वक पान कर रहे हैं; प्रेम और आनंद कम नहीं है (अर्थात बहुत है)॥ 321॥
{{लेख क्रम4| पिछला=पहिचान को केहि जान |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=समउ बिलोकि बसिष्ठ बोलाए}}
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

10:02, 2 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

रामचंद्र मुख चंद्र छबि
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

रामचंद्र मुख चंद्र छबि लोचन चारु चकोर।
करत पान सादर सकल प्रेमु प्रमोदु न थोर॥ 321॥

भावार्थ-

रामचंद्र के मुखरूपी चंद्रमा की छवि को सभी के सुंदर नेत्ररूपी चकोर आदरपूर्वक पान कर रहे हैं; प्रेम और आनंद कम नहीं है (अर्थात बहुत है)॥ 321॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
रामचंद्र मुख चंद्र छबि
आगे जाएँ
आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-159

संबंधित लेख