"प्रयोग:रिंकू3": अवतरणों में अंतर
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{अभ्यास के नियम का आविष्कार किसने किया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-2 | {अभ्यास के नियम का आविष्कार किसने किया था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-2 | ||
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-प्लेटो | -[[प्लेटो]] | ||
-पावलोव | -पावलोव | ||
-जुगोवर | -जुगोवर | ||
+थार्नडाइड | +थार्नडाइड | ||
||इस नियम को ई.एल. थार्नटाइक ने | ||इस नियम को ई.एल. थार्नटाइक ने बताया है। यह नियम 'करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान' पर आधारित है। बार-बार दोहराने से प्रक्रिया स्वत: होती रहती है। यह नियम बहुत कुछ उपयोग एवं अनुप्रयोग की तरह है। | ||
{लक्ष्मीबाई कॉलेज | {लक्ष्मीबाई कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन कहां स्थित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-78 प्रश्न-2 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-झांसी में | -[[झांसी]] में | ||
-आगरा में | -[[आगरा]] में | ||
+ग्वालियर में | +[[ग्वालियर]] में | ||
-दिल्ली में | -[[दिल्ली]] में | ||
||वर्ष 1957 में भारत सरकार द्वारा स्पांसर किया गया लक्ष्मीबाई कॉलेज | ||वर्ष [[1957]] में [[भारत सरकार]] द्वारा स्पांसर किया गया लक्ष्मीबाई कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन ग्वालियर में स्थित है। | ||
{प्राचीन ओलंपिक खेलों में विजेता को क्या इनाम दिया जाता था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-2 | {प्राचीन [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेलों]] में विजेता को क्या इनाम दिया जाता था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-2 | ||
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-नकद राशि | -नकद राशि | ||
-सिक्के | -सिक्के | ||
-टोपी | -टोपी | ||
+जैतून के | +जैतून के पत्तों से बना मुकुट | ||
||प्राचीन ओलंपिक खेलों में केवल अनाज व पशु ही पुरस्कार के रूप में दिए जाते थे। उसके बाद जैतून की पत्तियों से बना हार विजेताओं को पहनाया जाने लगा। इन लोगों में | ||प्राचीन [[ओलंपिक खेल|ओलंपिक खेलों]] में केवल अनाज व पशु ही पुरस्कार के रूप में दिए जाते थे। उसके बाद जैतून की पत्तियों से बना हार विजेताओं को पहनाया जाने लगा। इन लोगों में पुरस्कार की अपेक्षा खिलाड़ियों को आदर व सम्मान अधिक दिया जाता था। विजेताओं के (Statue) भी बनाए जाते थे। | ||
{स्वस्थ मनुष्य के हृदय की औसत गति प्रति मिनट होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-112 | {स्वस्थ मनुष्य के हृदय की औसत गति प्रति मिनट होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-112 | ||
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-65-70 | -65-70 | ||
+70-71 | +70-71 | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं ||स्वस्थ मनुष्य के हृदय की सामान्य धड़कन 72 बार प्रति मिनट होती है परंतु डॉक्टर 60 से 100 बीट प्रति मिनट को सामान्य रेंज मानते हैं। खेल-कूद/एरोबिक प्रशिक्षण दिल को बड़ा कर देते हैं तथा धड़कन धीमी कर देते हैं। बहुत से अच्छे प्रशिक्षित एथलीटों/खिलाड़ियों की धड़कन 40 से 60 प्रति मिनट होती है। | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||स्वस्थ मनुष्य के हृदय की सामान्य धड़कन 72 बार प्रति मिनट होती है परंतु डॉक्टर 60 से 100 बीट प्रति मिनट को सामान्य रेंज मानते हैं। खेल-कूद/एरोबिक प्रशिक्षण दिल को बड़ा कर देते हैं तथा धड़कन धीमी कर देते हैं। बहुत-से अच्छे प्रशिक्षित एथलीटों/खिलाड़ियों की धड़कन 40 से 60 प्रति मिनट होती है। | |||
{फिटनेस क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-112 प्रश्न-3 | {फिटनेस क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-112 प्रश्न-3 | ||
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+किसी की अंत:शक्तियों की क्षमता | +किसी की अंत: शक्तियों की क्षमता | ||
-धनी | -धनी | ||
-स्वस्थ | -स्वस्थ | ||
-छरहरा बदन | -छरहरा बदन | ||
||"फिटनेस या | ||"फिटनेस या स्वस्थ्यता वह स्थिति है जो व्यक्ति द्वारा किए जा सकने वाले कार्यों की डिग्री या परिमाण को लक्षित करे। फिटनेस व्यक्तिगत मामला है। प्रत्येक व्यक्ति को उसकी अंत: शक्ति के साथ अत्यधिक प्रभावी तरीके से क्रियांवित करने की योग्यता प्रदान करती है। कार्य करने की क्षमता या योग्यता फिटनेस के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक तत्त्वों पर निर्भर करती है, ये सभी एक-दूसरे से जुड़े हैं एवं परस्पर अन्योन्याश्रित हैं।" | ||
{ध्यानचंद्र स्टेडियम स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-2 | {ध्यानचंद्र स्टेडियम स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-2 | ||
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+लखनऊ में | +[[लखनऊ]] में | ||
-नई दिल्ली में | -[[नई दिल्ली]] में | ||
-जयपुर में | -[[जयपुर]] में | ||
-हैदराबाद मे | -[[हैदराबाद]] मे | ||
||मेजर ध्यानचंद्र स्टेडियम लखनऊ में स्थित है। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद्र की स्मृति में लखनऊ के स्टेडियम का नाम ध्यानचंद्र स्टेडियम रखा गया। ध्यानचंद्र के | ||मेजर ध्यानचंद्र स्टेडियम [[लखनऊ]] में स्थित है। [[हॉकी]] के जादूगर मेजर ध्यानचंद्र की स्मृति में लखनऊ के स्टेडियम का नाम ध्यानचंद्र स्टेडियम रखा गया। ध्यानचंद्र के जन्म दिवस [[29 अगस्त]] को 'राष्ट्रीय खेल दिवस' के रूप में मनाया जाता है। हॉकी [[भारत]] का [[राष्ट्रीय खेल]] है। | ||
{ओलंपिक शहर विश्व के किस देश में स्थित | {ओलंपिक शहर विश्व के किस देश में स्थित है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-149 प्रश्न-2 | ||
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+ग्रीस | +ग्रीस | ||
-जर्मनी | -[[जर्मनी]] | ||
-इटली | -[[इटली]] | ||
-चीन | -[[चीन]] | ||
||ओलंपिक शहर ग्रीस यूनान में स्थित | ||ओलंपिक शहर [[ग्रीस]] यूनान में स्थित है। प्राचीनकाल में ओलंपिया नामक स्थान पर यूनानी देवता 'जियुस' के सम्मान में प्रत्येक चार वर्षों में खेलों का आयोजन किया जाता था। अत: ओलंपिया स्थान पर खेले जाने के कारण ही इसका नाम ओलंपिक पड़ गया। | ||
{खेल-कूद प्रशिक्षण में अतिभार का संबंध उस स्थिति से है जब- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-160 प्रश्न-102 | {खेल-कूद प्रशिक्षण में अतिभार का संबंध उस स्थिति से है जब- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-160 प्रश्न-102 | ||
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-शरीर को आवश्यकतानुसार आपूर्ति के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। | -शरीर को आवश्यकतानुसार आपूर्ति के लिए पर्याप्त [[ऑक्सीजन]] है। | ||
-ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली क्रियाविधि इसे बढ़ाने में सक्षम नहीं है। | -ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली क्रियाविधि इसे बढ़ाने में सक्षम नहीं है। | ||
+ऑक्सीजन का अंतर्ग्रहण, शरीर की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। | +[[ऑक्सीजन]] का अंतर्ग्रहण, शरीर की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। | ||
-ऑक्सीजन की आपूर्ति, अपेक्षित मात्रा से अधिक है। | -ऑक्सीजन की आपूर्ति, अपेक्षित मात्रा से अधिक है। | ||
||खेल-कूद प्रशिक्षण में अतिभार का संबंध अतिभार के सिद्धांत से है जिसके द्वारा किसी प्रशिक्षु पर अतिरिक्त भार या कार्य भार बढ़ा कर अभ्यास कराया जाता है। इस दौरान ऑक्सीजन का अंतर्ग्रहण, शरीर की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होता है। | ||खेल-कूद प्रशिक्षण में अतिभार का संबंध अतिभार के सिद्धांत से है, जिसके द्वारा किसी प्रशिक्षु पर अतिरिक्त भार या कार्य भार बढ़ा कर अभ्यास कराया जाता है। इस दौरान [[ऑक्सीजन]] का अंतर्ग्रहण, शरीर की मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होता है। | ||
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{मुख्य श्वसन अंग कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-13 | {मुख्य श्वसन अंग कौन-सा है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-23 प्रश्न-13 | ||
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-नाक | -[[नाक]] | ||
-हृदय | -[[हृदय]] | ||
-कंठ | -कंठ | ||
+फेफड़े | +[[फेफड़ा|फेफड़े]] | ||
|| | ||हवारोधक थोरेसिक कोठरी में एक जोड़ी [[फेफड़ा|फेफड़े]] स्थित होते हैं। इसके आस-पास कान्वेक्स मांसपेशियां तथा इलास्टिक शीट होती है जिसे डायाफ्राम कहते हैं। फेफड़ों द्वारा श्वसन प्रक्रिया को पल्मोनरी श्वसन कहते हैं। | ||
{वर्ष [[2010]] विश्वकप फ़ुटबॉल में 'गोल्डन बूट' किस खिलाड़ी ने जीता? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-49 प्रश्न-3 | {वर्ष [[2010]] विश्वकप फ़ुटबॉल में 'गोल्डन बूट' किस खिलाड़ी ने जीता? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-49 प्रश्न-3 | ||
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+थॉमस मुलर | +थॉमस मुलर | ||
-काका | -काका | ||
||वर्ष [[2010]] विश्व कप फ़ुटबॉल में 'गोल्डन बूट' का पुरस्कार जर्मनी के थॉमस मुलर को दिया गया था। विश्व कप फ़ुटबॉल [[2014]] में 'गोल्डन बूट' का पुरस्कार कोलंबिया के जेम्स रोड्तीगुएज को तथा गोल्डन बॉल का खिताब अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी को मिला। वर्ष | ||वर्ष [[2010]] विश्व कप फ़ुटबॉल में 'गोल्डन बूट' का पुरस्कार [[जर्मनी]] के थॉमस मुलर को दिया गया था। विश्व कप फ़ुटबॉल [[2014]] में 'गोल्डन बूट' का पुरस्कार कोलंबिया के जेम्स रोड्तीगुएज को तथा गोल्डन बॉल का खिताब अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी को मिला। वर्ष 2018 का फ़ुटबॉल विश्व कप [[रूस]] में एवं वर्ष 2022 का फ़ुटबॉल विश्व कप कतर में आयोजित किया जाएगा। | ||
{अंजू बॉबी जॉर्ज संबंधित हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-3 | {[[अंजू बॉबी जॉर्ज]] संबंधित हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-64 प्रश्न-3 | ||
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-ऊंची कूद से | -ऊंची कूद से | ||
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+लंबी कूद से | +लंबी कूद से | ||
-बांस कूद से | -बांस कूद से | ||
||अंजू बॉबी | ||[[अंजू बॉबी जॉर्ज]] लंबी कूद से संबंधित हैं। उन्होंने [[2003]] में पेरिस में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। | ||
{"शिक्षा से मेरा अभिप्राय बच्चे और बड़ों के शरीर, मन और आत्मा के सर्वोन्मुखी विकास से है।"-शिक्षा की यह परिभाषा किसने दी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-78 प्रश्न-3 | {"शिक्षा से मेरा अभिप्राय बच्चे और बड़ों के शरीर, मन और आत्मा के सर्वोन्मुखी विकास से है।"- शिक्षा की यह परिभाषा किसने दी है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-78 प्रश्न-3 | ||
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-स्वामी | -[[स्वामी विवेकानंद]] | ||
+महात्मा गांधी | +[[महात्मा गांधी]] | ||
-रवींद्रनाथ टैगोर | -[[रवींद्रनाथ टैगोर]] | ||
-टी.पी. नन | -टी.पी. नन | ||
||शिक्षा को परिभाषित करते हुए महात्मा गांधी ने कहा है "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बच्चे और बड़ों के शरीर, मन और आत्मा के सर्वोन्मुखी विकास से है।" | ||शिक्षा को परिभाषित करते हुए [[महात्मा गांधी]] ने कहा है "शिक्षा से मेरा अभिप्राय बच्चे और बड़ों के शरीर, मन और आत्मा के सर्वोन्मुखी विकास से है।" | ||
{तक्षशिला विश्वविद्यालय किस प्रशिक्षण के लिए अद्वितीय था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-3 | {[[तक्षशिला विश्वविद्यालय]] किस प्रशिक्षण के लिए अद्वितीय था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-94 प्रश्न-3 | ||
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-घुड़दौड़ | -घुड़दौड़ | ||
-बैलगाड़ी-चालन | -बैलगाड़ी-चालन | ||
+घनुर्विद्या | +घनुर्विद्या | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||तक्षशिला विश्वविद्यालय में तीरंदाजी ( | ||[[तक्षशिला विश्वविद्यालय]] में तीरंदाजी (धनुर्विद्या) की बहुत उच्च शिक्षा दी जाती थी। यह [[भारत]] में स्थापित विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय था जिसकी स्थापना 700 ईसा पूर्व में की गई थी। | ||
{वेंट्रिकल से प्रति मिनट निष्कासित रक्त की मात्रा कहलाती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-113 | {वेंट्रिकल से प्रति मिनट निष्कासित रक्त की मात्रा कहलाती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-110 प्रश्न-113 | ||
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||1 मिनट में प्रत्येक निलय द्वारा पंप किए गए रक्त की कुल मात्रा हृदयी निर्गत या कार्डिएक आउटपुट कहलाती है। इसका मान 5.04 लीटर होता है। | ||1 मिनट में प्रत्येक निलय द्वारा पंप किए गए रक्त की कुल मात्रा हृदयी निर्गत या कार्डिएक आउटपुट कहलाती है। इसका मान 5.04 लीटर होता है। | ||
{हृदय के निर्गत का सामान्य मान क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-112 प्रश्न-4 | {[[हृदय]] के निर्गत (Output) का सामान्य मान क्या है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-112 प्रश्न-4 | ||
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+5.04 लीटर/मिनट | +5.04 लीटर/मिनट | ||
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-6.00 लीटर/मिनट | -6.00 लीटर/मिनट | ||
-4.50 लीटर/मिनट | -4.50 लीटर/मिनट | ||
||हृदय के निर्गत का सामान्य मान 5.04 लीटर/मीनट है। हृदय के दाएं व बाएं में से किसी एक वेंटिकल द्वारा एक मिनट में पंप किए गए रक्त की मात्रा को हृदय की निवास क्षमता कहते हैं अथवा हृदय की निकास क्षमता=धड़कनों का | ||हृदय के निर्गत (Output) का सामान्य मान 5.04 लीटर/मीनट है। [[हृदय]] के दाएं व बाएं में से किसी एक वेंटिकल द्वारा एक मिनट में पंप किए गए रक्त की मात्रा को हृदय की निवास क्षमता कहते हैं अथवा हृदय की निकास क्षमता=धड़कनों का आयतन X हृदय की धड़कनों की दर =70x72 मीली./मिनट; =5040 मिली./मीनट; =5.04 लीटर/मिनट | ||
{कॉर्पोरेशन स्टेडियम स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-3 | {कॉर्पोरेशन स्टेडियम स्थित है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-129 प्रश्न-3 | ||
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-नई दिल्ली में | -[[नई दिल्ली]] में | ||
-मुंबई में | -[[मुंबई]] में | ||
-कोलकाता में | -[[कोलकाता]] में | ||
+चेन्नई में | +[[चेन्नई]] में | ||
||चेन्नई में स्थित कॉर्पोरेशन स्टेडियम भारत का एक बहुउद्देशीय स्टेडियम है। इसे वर्तमान में नेहरू स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। | ||[[चेन्नई]] में स्थित कॉर्पोरेशन स्टेडियम [[भारत]] का एक बहुउद्देशीय स्टेडियम है। इसे वर्तमान में नेहरू स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। | ||
{सबसे कम आयु में शतक बनाने | {सबसे कम आयु में शतक बनाने वाला भारतीय क्रिकेटर कौन है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-149 प्रश्न-3 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सचिन तेंदुलकर | +[[सचिन तेंदुलकर]] | ||
-कपिल देव | -[[कपिल देव]] | ||
-रवि शास्त्री | -[[रवि शास्त्री]] | ||
-सुनील | -[[सुनील गावस्कर]] | ||
||सबसे कम आयु में शतक बनाने वाले भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं। इन्होंने महज 17 वर्ष, 107 दिन की उम्र में 9 अगस्त, 1990 को मैनचैस्टर में इंग्लैंड के विरुद्ध खेले | ||सबसे कम आयु में शतक बनाने वाले भारतीय क्रिकेटर [[सचिन तेंदुलकर]] हैं। इन्होंने महज 17 वर्ष, 107 दिन की उम्र में [[9 अगस्त]], [[1990]] को मैनचैस्टर में [[इंग्लैंड]] के विरुद्ध खेले गये टेस्ट मैच में नाबाद 119 रन बनाए थे। | ||
{AAHPERD परीक्षण युवा में------- की माप करने से संबंधित है। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-160 प्रश्न-103 | {AAHPERD परीक्षण युवा में------- की माप करने से संबंधित है। (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-160 प्रश्न-103 | ||
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-ये सभी | -ये सभी | ||
||अमेरिकी संगठन AAHPERD का पूरा नाम 'अमेरिका एलिआंस फॉर हेल्थ, फिजिकल एजुकेशन, रिक्रिएशन एंड डांस' है। AAHPERD परीक्षण युवा में 'मोटर फिटनेस' की माप से संबंधित है। | ||अमेरिकी संगठन AAHPERD का पूरा नाम 'अमेरिका एलिआंस फॉर हेल्थ, फिजिकल एजुकेशन, रिक्रिएशन एंड डांस' है। AAHPERD परीक्षण युवा में 'मोटर फिटनेस' की माप से संबंधित है। | ||
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-रक्त वर्ग 'AB' | -रक्त वर्ग 'AB' | ||
-रक्त वर्ग 'A' | -रक्त वर्ग 'A' | ||
+रक्त वर्ग'O' | +रक्त वर्ग 'O' | ||
-रक्त वर्ग'B' | -रक्त वर्ग 'B' | ||
||रक्त वर्ग 'AB' को सर्वग्राही एवं रक्त वर्ग 'O' को सर्वप्रदाता कहते हैं। रक्त वर्ग 'O' में कोई इंटीजन नहीं पाया जाता जबकि दोनों एंटीबॉडी (एंटीबॉडी A तथा एंटीबॉडी B) उपस्थित होते हैं। रक्त वर्ग 'AB' में दोनों प्रतिजन या एंटीजन (A तथा B) उपस्थित होते हैं जबकि कई प्रतिरक्षी या एंटीबॉडी नहीं पाया जाता है। | ||रक्त वर्ग 'AB' को सर्वग्राही एवं रक्त वर्ग 'O' को सर्वप्रदाता कहते हैं। रक्त वर्ग 'O' में कोई इंटीजन नहीं पाया जाता जबकि दोनों एंटीबॉडी (एंटीबॉडी A तथा एंटीबॉडी B) उपस्थित होते हैं। रक्त वर्ग 'AB' में दोनों प्रतिजन या एंटीजन (A तथा B) उपस्थित होते हैं जबकि कई प्रतिरक्षी या एंटीबॉडी नहीं पाया जाता है। | ||
13:19, 4 नवम्बर 2016 का अवतरण
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