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||'शारंगदेव' आयुर्वेदाचार्य विशिष्ट दार्शनिक और संगीतशास्त्र के प्रवीण | ||'शारंगदेव' आयुर्वेदाचार्य विशिष्ट दार्शनिक और संगीतशास्त्र के प्रवीण विद्वान् थे। उनकी कृति '[[संगीत रत्नाकर]]' सांगीतिक विषय वस्तुओं का अत्यन्त व्यवस्थित विषय विन्यास की दृष्टि से सप्त अध्याय की व्यवस्था के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है। यह [[संगीत|भारतीय संगीत]] के ऐतिहासिक ग्रन्थों में अनन्य है। 12वीं सदी के पूर्वार्द्ध में लिखे गये सात अध्यायों वाले इस [[ग्रंथ]] में [[संगीत]] व [[नृत्य]] का विस्तार से वर्णन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शारंगदेव]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन मैहर घराने से सम्बन्धित हैं? | {निम्नलिखित में से कौन मैहर घराने से सम्बन्धित हैं? |
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