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||[[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]]- यह मार्ग पुराने समय में 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था, आजकल इस सड़क को 'The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी. टी. रोड' के नाम से जाना जाता है। इस सड़क को 'सड़के-ए-आज़म' या 'बादशाही सड़क' के नाम से भी जाना जाता है। सोलहवीं शताब्दी में [[दिल्ली]] के सुल्तान [[शेरशाह सूरी]] ने इसे पक्का करवाया। शेरशाह सूरी पहला बादशाह था, जिसने [[बंगाल]] के सोनागाँव से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लम्बी पक्की सड़क बनवाई थी। इस सड़क पर घुड़सवारों द्वारा डाक लाने ले जाने की व्यवस्था थी। यह मार्ग उस समय 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था। [[बंगाल]] से पेशावर तक की यह सड़क 500 कोस | ||[[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]]- यह मार्ग पुराने समय में 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था, आजकल इस सड़क को 'The Grand Trunk Road / ग्रैंड ट्रंक रोड / जी. टी. रोड' के नाम से जाना जाता है। इस सड़क को 'सड़के-ए-आज़म' या 'बादशाही सड़क' के नाम से भी जाना जाता है। सोलहवीं शताब्दी में [[दिल्ली]] के सुल्तान [[शेरशाह सूरी]] ने इसे पक्का करवाया। शेरशाह सूरी पहला बादशाह था, जिसने [[बंगाल]] के सोनागाँव से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लम्बी पक्की सड़क बनवाई थी। इस सड़क पर घुड़सवारों द्वारा डाक लाने ले जाने की व्यवस्था थी। यह मार्ग उस समय 'सड़क-ए-आज़म' कहलाता था। [[बंगाल]] से पेशावर तक की यह सड़क 500 कोस या 2500 किलोमीटर लम्बी थी। शेरशाह ने 1542 ई. में इसका निर्माण कराया था। दूरी नापने के लिए जगह-जगह पत्थर लगवाए, छायादार वृक्ष लगवाए, राहगीरों के लिए सरायें बनवाईं और चुंगी की व्यवस्था की। ग्रैण्ड ट्रंक रोड [[कोलकाता]] से [[पेशावर]] ([[पाकिस्तान]]) तक लंबी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]], [[शेरशाह सूरी]] | ||
{[[शेरशाह]] की महानता का द्योतक क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-19 | {[[शेरशाह]] की महानता का द्योतक क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-19 |
11:45, 8 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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