"नरेश मेहता": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
|जन्म=[[15 फ़रवरी]] [[1922]]
|जन्म=[[15 फ़रवरी]] [[1922]]
|जन्म भूमि= [[शाजापुर]], [[मध्य प्रदेश]]
|जन्म भूमि= [[शाजापुर]], [[मध्य प्रदेश]]
|मृत्यु=
|मृत्यु= [[22 नवम्बर]] [[2000]]
|मृत्यु स्थान=
|मृत्यु स्थान= [[भोपाल]], [[मध्य प्रदेश]]
|अभिभावक=
|अभिभावक=
|पालक माता-पिता=
|पालक माता-पिता=
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''नरेश मेहता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Naresh Mehta'', जन्म: [[15 फ़रवरी]], [[1922]]) [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित [[हिन्दी]] के यशस्वी [[कवि]] एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं, जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक [[कविता]] को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने [[इन्दौर]] से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।
'''नरेश मेहता''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Naresh Mehta'', जन्म: [[15 फ़रवरी]], [[1922]] - मृत्यु:[[22 नवम्बर]] [[2000]]) [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित [[हिन्दी]] के यशस्वी [[कवि]] एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं, जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक [[कविता]] को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने [[इन्दौर]] से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
नरेश मेहता का जन्म सन् [[15 फ़रवरी]], [[1922]] ई. में [[मध्य प्रदेश]] के [[मालवा]] क्षेत्र के [[शाजापुर]] कस्बे में हुआ। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा [[सप्तक]] के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। सन् [[2000]] ई. में इनका निधन हो गया।
नरेश मेहता का जन्म सन् [[15 फ़रवरी]], [[1922]] ई. में [[मध्य प्रदेश]] के [[मालवा]] क्षेत्र के [[शाजापुर]] कस्बे में हुआ। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा [[सप्तक]] के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।  
==कृतियाँ==
==कृतियाँ==
* अरण्या  
* अरण्या  
पंक्ति 54: पंक्ति 54:
* [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] ([[1992]])
* [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] ([[1992]])
* [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[1988]])
* [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[1988]])
==निधन==
[[दिल्ली]], [[इलाहाबाद]], [[उज्जैन]] आदि कई शहरों में अपना जीवन गुज़ारते हुए जीवन के उत्तरकाल में वह [[भोपाल]] आकर बस गए। यहीं [[22 नवंबर]] [[2000]] को उनका देहावसान हुआ।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

05:09, 15 फ़रवरी 2023 का अवतरण

नरेश मेहता
नरेश मेहता
नरेश मेहता
पूरा नाम नरेश मेहता
जन्म 15 फ़रवरी 1922
जन्म भूमि शाजापुर, मध्य प्रदेश
मृत्यु 22 नवम्बर 2000
मृत्यु स्थान भोपाल, मध्य प्रदेश
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'अरण्या', 'उत्तर कथा', 'चैत्या', 'दो एकान्त', 'प्रवाद पर्व', 'बोलने दो चीड़ को' आदि।
भाषा हिंदी
विद्यालय बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
शिक्षा एम.ए.
पुरस्कार-उपाधि ज्ञानपीठ पुरस्कार (1992), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1988)
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी इन्होंने इन्दौर से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

नरेश मेहता (अंग्रेज़ी: Naresh Mehta, जन्म: 15 फ़रवरी, 1922 - मृत्यु:22 नवम्बर 2000) ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं, जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने इन्दौर से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।

जीवन परिचय

नरेश मेहता का जन्म सन् 15 फ़रवरी, 1922 ई. में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।

कृतियाँ

  • अरण्या
  • उत्तर कथा
  • एक समर्पित महिला
  • कितना अकेला आकाश
  • चैत्या
  • दो एकान्त
  • धूमकेतुः एक श्रुति
  • पुरुष
  • प्रति श्रुति
  • प्रवाद पर्व
  • बोलने दो चीड़ को
  • यह पथ बन्धु था
  • हम अनिकेतन

साहित्यिक परिचय

नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है। शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उसमें ताजगी और नयापन है। उन्होंने सीधे, सरल बिम्बों का प्रयोग भी किया है। नरेश मेहता की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है। उनके काव्य में रूपक, मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है। नवीन उपमानों के साथ-साथ परंपरागत और नवीन छंदों का प्रयोग किया है। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्य परम्परा और साहित्य को नरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी।

सम्मान और पुरस्कार

निधन

दिल्ली, इलाहाबाद, उज्जैन आदि कई शहरों में अपना जीवन गुज़ारते हुए जीवन के उत्तरकाल में वह भोपाल आकर बस गए। यहीं 22 नवंबर 2000 को उनका देहावसान हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख