"मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
|अद्यतन= | |अद्यतन= | ||
}} | }} | ||
'''मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Muhammad Shah Roshan Akhtar'', जन्म- [[7 अगस्त]], 1702, [[ | '''मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Muhammad Shah Roshan Akhtar'', जन्म- [[7 अगस्त]], 1702, [[फ़तेहपुर ज़िला|फ़तेहपुर]]; मृत्यु- [[26 अप्रॅल]], 1748, [[दिल्ली]]) [[मुग़ल वंश]] का 14वाँ बादशाह था। उसने लम्बे समय 1719 से 1748 ई. तक [[मुग़ल साम्राज्य]] पर शासन किया। [[रफ़ीउद्दौला]] की मृत्यु के बाद [[सैयद बन्धु|सैय्यद बन्धुओं]] ने उसको गद्दी पर बैठाया था। वह [[जहानशाह]] का चौथा बेटा था। | ||
*मुहम्मदशाह के शासन काल में [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[उड़ीसा]] में [[मुर्शिद कुली ख़ाँ]], [[अवध]] में [[सआदत ख़ाँ]] तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में [[गंगा]] तथा [[दोआब]] क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी। | *मुहम्मदशाह के शासन काल में [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[उड़ीसा]] में [[मुर्शिद कुली ख़ाँ]], [[अवध]] में [[सआदत ख़ाँ]] तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में [[गंगा]] तथा [[दोआब]] क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी। |
08:13, 25 मई 2018 के समय का अवतरण
मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर
| |
पूरा नाम | अबु अल-फतह रोशन अख्तर नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह |
जन्म | 7 अगस्त, 1702 |
जन्म भूमि | फ़तेहपुर |
मृत्यु तिथि | 26 अप्रॅल, 1748 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
पिता/माता | पिता- जहानशाह, माता- क़ुदसिया बेगम |
धार्मिक मान्यता | इस्लाम |
पूर्वाधिकारी | मुहम्मद इब्राहीम |
राजघराना | तैमूरी |
वंश | मुग़ल वंश |
अन्य जानकारी | बादशाह मुहम्मदशाह के शासन काल में सैय्यद बन्धुओं का पूरी तरह से अन्त हो गया था। |
मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर (अंग्रेज़ी: Muhammad Shah Roshan Akhtar, जन्म- 7 अगस्त, 1702, फ़तेहपुर; मृत्यु- 26 अप्रॅल, 1748, दिल्ली) मुग़ल वंश का 14वाँ बादशाह था। उसने लम्बे समय 1719 से 1748 ई. तक मुग़ल साम्राज्य पर शासन किया। रफ़ीउद्दौला की मृत्यु के बाद सैय्यद बन्धुओं ने उसको गद्दी पर बैठाया था। वह जहानशाह का चौथा बेटा था।
- मुहम्मदशाह के शासन काल में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुर्शिद कुली ख़ाँ, अवध में सआदत ख़ाँ तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में गंगा तथा दोआब क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।
- मुहम्मदशाह अयोग्य शासक था। वह अपना अधिकांश समय पशुओं की लड़ाई देखने तथा वेश्याओं और मदिरा के बीच गुजारता था। इसी कारण उसे 'रंगीला' के उपनाम से भी जाना जाता था।
- दरबार में सैय्यद बन्धुओं के बढ़ते हुए प्रभुत्व के कारण एक रोष उत्पन्न हुआ तथा उन्हें समाप्त करने का षडयंत्र किया गया। इस षडयंत्र में ईरानी दल का नेता मुहम्मद अमीन ख़ाँ, मुहम्मदशाह तथा राजमाता कुदसिया बेगम शामिल थीं।
- 8 अक्टूबर, 1720 को हैदर बेग़ ने छुरा घोपकर हुसैन अली की हत्या कर दी।
- अपने भाई का बदला लेने के लिए अब्दुल्ला ख़ाँ ने विशाल सेना लेकर मुहम्मदशाह के विरुद्ध चढ़ाई कर दी।
- 13 नवम्बर, 1720 को हसनपुर के स्थान पर अब्दुल्ला ख़ाँ हार गया, उसे बन्दी बना लिया गया और विष देकर मार डाला गया। इस प्रकार मुहम्मदशाह के शासनकाल में सैय्यद बन्धुओं का पूरी तरह से अन्त हो गया।
- फ़ारस के शासक नादिरशाह ने 1739 में मुहम्मदशाह के समय में ही दिल्ली पर आक्रमण किया था।
- बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में 500 घुड़सवार लेकर मार्च, 1737 ई. में उसने दिल्ली पर चढ़ाई की, परन्तु सम्राट ने इसका कोई विरोध नहीं किया।
|
|
|
|
|