"वज्र मठ, ग्यारसपुर": अवतरणों में अंतर
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'''वज्र मठ''' अथवा '''बाजरा मठ''' [[ग्यारसपुर]], [[विदिशा]] में स्थित है। यह एक विरल मंदिर है, जिसमें एक ही पंक्ति की तीन मूर्तियाँ स्थापित की गई है।<br /> | '''वज्र मठ''' अथवा '''बाजरा मठ''' [[ग्यारसपुर]], [[विदिशा]] में स्थित है। यह एक विरल मंदिर है, जिसमें एक ही पंक्ति की तीन मूर्तियाँ स्थापित की गई है।<br /> | ||
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*वज्र मठ वास्तव में ब्राह्मण धर्म से संबद्ध था, जिसमें | *वज्र मठ वास्तव में ब्राह्मण धर्म से संबद्ध था, जिसमें हिंदुओं के तीनों मुख्य आराध्य त्रिदेव के रूप में रखे गये थे। | ||
*मध्य स्थित मूर्ति [[सूर्य देव|सूर्य]] की थी, जो [[विष्णु]] के समतुल्य माने जाते हैं। यह दोनों तरफ से [[ब्रह्मा]] तथा [[शिव]] की मूर्तियों से घिरी थी। | *मध्य स्थित मूर्ति [[सूर्य देव|सूर्य]] की थी, जो [[विष्णु]] के समतुल्य माने जाते हैं। यह दोनों तरफ से [[ब्रह्मा]] तथा [[शिव]] की मूर्तियों से घिरी थी। | ||
* | *दरवाज़े और ताखों पर भी देवी-देवताओं की प्रतिमा उत्कीर्ण है। | ||
*बाद में मुख्य मूर्तियों के स्थान पर जैन मूर्तियाँ स्थापित कर दी | *बाद में मुख्य मूर्तियों के स्थान पर जैन मूर्तियाँ स्थापित कर दी गईं। | ||
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17:26, 18 जुलाई 2020 का अवतरण
वज्र मठ अथवा बाजरा मठ ग्यारसपुर, विदिशा में स्थित है। यह एक विरल मंदिर है, जिसमें एक ही पंक्ति की तीन मूर्तियाँ स्थापित की गई है।
- वज्र मठ वास्तव में ब्राह्मण धर्म से संबद्ध था, जिसमें हिंदुओं के तीनों मुख्य आराध्य त्रिदेव के रूप में रखे गये थे।
- मध्य स्थित मूर्ति सूर्य की थी, जो विष्णु के समतुल्य माने जाते हैं। यह दोनों तरफ से ब्रह्मा तथा शिव की मूर्तियों से घिरी थी।
- दरवाज़े और ताखों पर भी देवी-देवताओं की प्रतिमा उत्कीर्ण है।
- बाद में मुख्य मूर्तियों के स्थान पर जैन मूर्तियाँ स्थापित कर दी गईं।
- मंदिर शिखर योजना तथा डिज़ाइन के दृष्टिकोण से अन्य मंदिरों से भिन्न है।[1]
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