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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*[[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा गया है। | *[[कार्तिक]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा गया है। | ||
*यदि [[विष्णु]] पूजा करनी हो तो रात में की जानी चाहिए। <ref>निर्णयसिन्धु (206)</ref> | *यदि [[विष्णु]] पूजा करनी हो तो रात में की जानी चाहिए।<ref>निर्णयसिन्धु (206)</ref> | ||
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08:26, 19 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को वैकुण्ठ चतुर्दशी कहा गया है।
- यदि विष्णु पूजा करनी हो तो रात में की जानी चाहिए।[1]
- कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर हेमलम्ब वर्ष में अरुणोदय काल में ब्रह्म मुहूर्त में स्वयं विश्वेश्वर भगवान ने वाराणसी में मणिकर्णिकाघाट पर स्नान किया था, पाशुपत व्रत किया था तथा उमा के साथ विश्वेश्वर की पूजा की थी एवं विश्वेश्वर की स्थापना की थी।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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