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भालचंद्र नेमाडे
भालचंद्र नेमाडे
भालचंद्र नेमाडे
पूरा नाम भालचंद्र नेमाडे
जन्म 27 मई, 1938
मृत्यु ?
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र मराठी साहित्य
मुख्य रचनाएँ 'हिंदू', 'झूल', 'बिढार', 'कोसला', 'बिढार', 'हूल', 'जरीला' आदि।
पुरस्कार-उपाधि #ज्ञानपीठ पुरस्कार (2014)
  1. पद्म श्री (2011)
  2. महानोर पुरस्कार (1992)
  3. साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1990
  4. आपटे पुरस्कार (1976)
प्रसिद्धि मराठी लेखक
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी उपन्यास, कविता एवं आलोचना में भालचंद्र नेमाडे की विरल ख्याति है। वह मराठी आलोचना में 'देसीवाद' के प्रवर्तक हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

भालचंद्र नेमाडे (अंग्रेज़ी: Bhalchandra Nemade, जन्म- 27 मई, 1938) भारतीय मराठी लेखक, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक तथा शिक्षाविद थे। भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा दिये जाने वाले भारतीय साहित्य के सर्वोच्च 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से वर्ष 2014 में इन्हें सम्मानित किया गया था। भालचंद्र नेमाडे यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले चौथे मराठी साहित्यकार थे। डाॅ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने उनको साहित्य के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया था। भालचंद्र नेमाडे के 'हिंदू', 'झूल', 'बिढार', 'कोसला' आदि उपन्यास बहुत चर्चित रहें हैं। उनका 'हिंदू' उपन्यास काफी प्रसिद्ध है।

परिचय

भालचंद्र नेमाडे के सन 1963 में प्रकाशित ‘कोसला’ उपन्यास को काफी लोकप्रियता मिली थी। इसके अलावा उनके कविता संग्रह, कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। मराठी साहित्य की समीक्षा भी उन्होंने की। भालचंद्र नेमाडे से पहले मराठी साहित्यकार वी. एस. खांडेकर, कुसुमाग्रज और विंदा करंदीकर को 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से नवाजा गया था।

सर्वप्रिय लेखक

उपन्यास, कविता एवं आलोचना में भालचंद्र नेमाडे की विरल ख्याति है। वह मराठी आलोचना में 'देसीवाद' के प्रवर्तक हैं। सन 1963 में प्रकाशित 'कोसला' उपन्यास ने मराठी उपन्यास लेखन में दिशा प्रवर्तन का काम किया। इस उपन्यास ने मराठी गद्य लेखन को पिछली आधी शताब्दी में लगातार चेतना और फॉर्म के स्तर पर उद्वेलित किया। उनके अन्य उपन्यास 'हिन्दू' में सभ्यता विमर्श उपस्थित है। यह कृति काल की आवधारणा की वैज्ञानिक दृष्टि से भाष्य करती है। ग्रामीण से आधुनिक परिसर तक की सामाजिक विसंगतियों को गहराई से अभिव्यक्त करने वाले भालचंद्र नेमाडे मराठी साहित्य की तीन पीढ़ियों के सर्वप्रिय लेखक हैं।

रचनाएँ

उपन्यास - हिंदू – जगण्याची समृद्ध अडगळ 2003, कोसला, बिढार, हूल, जरीला, झूल।

काव्य - मेलडी, देखणी।

आलोचना - टीक्कास्वयंवर, साहित्यची भाषा, तुकाराम

पुरस्कार

  1. ज्ञानपीठ पुरस्कार (2014)
  2. पद्म श्री (2011)
  3. महाराष्ट्र फाउंडेशनच का गौरव पुरस्कार (2001)
  4. महानोर पुरस्कार (1992)
  5. कुसुमाग्रज पुरस्कार (1991)
  6. साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1990 ('टीका स्वयंवर' हेतु)
  7. कुरुंदकर पुरस्कार (1987)
  8. यशवंतराव चव्हाण पुरस्कार (1984)
  9. आपटे पुरस्कार (1976)


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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