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'''अमिताभ घोष'''([[अंग्रेज़ी]]: ''Amitav Ghosh'', जन्म- [[11 जुलाई]], [[1956]]) [[अंग्रेज़ी भाषा]] के [[साहित्यकार]] हैं। उनके द्वारा रचित एक [[उपन्यास]] 'द शैडो लाइन्स' के लिये उन्हें सन [[1989]] में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया। उन्हें साल [[2018]] में 54वें '[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]]' से भी नवाजा जा चुका है।
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==परिचय==
अमिताभ घोष का जन्म 11 जुलाई, 1956 को [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] के एक बंगाली [[परिवार]] में हुआ था।
====शिक्षा====
शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल में हुई, जहां विक्रम सेठ और रामचंद्र गुहा जैसे नामचीन समकालीन लेखक भी थे। बाद में अमिताभ घोष ने  सेंट स्टीफेन कॉलेज तथा दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा हासिल की। वह ऑक्सफोर्ड डीफिल करने गए। बाद के सालों में क्वीन्स कॉलेज, न्यूयॉर्क और सोर्बोंने ने अमिताभ घोष को डॉक्टरेट की उपाधि भी दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अमिताभ घोष ने कुछ समय तक [[दिल्ली]] के एक अखबार में नौकरी की और फिर पूरी तरह से लेखन से जुड़ गए।
==कृतियाँ==
अमिताव घोष की 'दी सर्किल ऑफ़ रीज़न', 'इन एन एंटीक लैंड', 'दी कलकत्ता क्रोमोजोम', 'दी शैडो लाइन्स', 'डांसिंग इन कंबोडिया', 'दी ग्लास पैलेस', 'दी हंग्री टाइड' और इबिस ट्राइलॉजी : सी ऑफ़ पॉपिस एवं रिवर ऑफ़ स्मोक' जैसी पुस्तकें चर्चित रही हैं।


*अमिताभ घोष का जन्म 11 जुलाई, 1956 को [[कोलकाता]], [[पश्चिम बंगाल]] के एक बंगाली [[परिवार]] में हुआ था।
लेखक अमिताभ घोष ने ‘द नटमेगस कर्स: पैरेबल्स फॉर ए प्लैनेट इन क्राइसिस' नामक पुस्तक लिखी है। यह जॉन मुर्रे द्वारा प्रकाशित है। पुस्तक जायफल की [[कहानी]] के माध्यम से आज दुनिया पर उपनिवेशवाद के प्रभाव के [[इतिहास]] के बारे में बात करती है। ‘द नटमेगस कर्स’ में अमिताभ घोष चर्चा करते हैं कि जायफल की अपने मूल बांदा द्वीपों से यात्रा मानव जीवन और पर्यावरण के शोषण की व्यापक औपनिवेशिक मानसिकता पर प्रकाश डालती है, जो आज भी मौजूद है। अमिताभ घोष की कुछ अन्य उल्लेखनीय कृतियों में 'इबिस ट्राइलॉजी' और ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट’ शामिल हैं।<ref>{{cite web |url=https://hindicurrentaffairs.adda247.com/amitav-ghoshs-new-book-the-nutmegs-curse/ |title=अमिताभ घोष की नई किताब ‘द नटमेग’स कर्स’|accessmonthday=02 अक्टूबर|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= hindicurrentaffairs.adda247.com|language=हिंदी}}</ref>
*शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल में हुई, जहां विक्रम सेठ और रामचंद्र गुहा जैसे नामचीन समकालीन लेखक भी थे।
==पुरस्कार व सम्मान==
*बाद में अमिताभ घोष ने  सेंट स्टीफेन कॉलेज तथा दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा हासिल की।
[[अंग्रेज़ी]] के जाने-माने लेखक और [[उपन्यासकार]] अमिताव घोष को वर्ष 2018 के 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। चयन समिति ने 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार अमिताव घोष को देने की घोषणा पहले ही कर दी थी। 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेज़ी के पहले लेखक हैं।
*वह ऑक्सफोर्ड डीफिल करने गए। बाद के सालों में क्वीन्स कॉलेज, न्यूयॉर्क और सोर्बोंने ने अमिताभ घोष को डॉक्टरेट की उपाधि भी दी।
 
*पढ़ाई पूरी करने के बाद अमिताभ घोष ने कुछ समय तक [[दिल्ली]] के एक अखबार में नौकरी की और फिर पूरी तरह से लेखन से जुड़ गए।
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08:05, 2 अक्टूबर 2022 का अवतरण

अमिताभ घोष
अमिताभ घोष
अमिताभ घोष
पूरा नाम अमिताभ घोष
जन्म 11 जुलाई, 1956
जन्म भूमि कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र अंग्रेज़ी साहित्य
मुख्य रचनाएँ 'दी सर्किल ऑफ़ रीज़न', 'इन एन एंटीक लैंड', 'दी कलकत्ता क्रोमोजोम', 'दी शैडो लाइन्स', 'डांसिंग इन कंबोडिया', 'दी ग्लास पैलेस', 'दी हंग्री टाइड' आदि।
शिक्षा बी.ए., एम.ए., दिल्ली विश्वविद्यालय

पी.एच.डी., ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी

पुरस्कार-उपाधि ज्ञानपीठ पुरस्कार, 2018

साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1989
पद्म श्री, 2007

प्रसिद्धि अंग्रेज़ी साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
अद्यतन‎
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

अमिताभ घोष(अंग्रेज़ी: Amitav Ghosh, जन्म- 11 जुलाई, 1956) अंग्रेज़ी भाषा के साहित्यकार हैं। उनके द्वारा रचित एक उपन्यास 'द शैडो लाइन्स' के लिये उन्हें सन 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें साल 2018 में 54वें 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से भी नवाजा जा चुका है।

परिचय

अमिताभ घोष का जन्म 11 जुलाई, 1956 को कोलकाता, पश्चिम बंगाल के एक बंगाली परिवार में हुआ था।

शिक्षा

शुरुआती पढ़ाई दून स्कूल में हुई, जहां विक्रम सेठ और रामचंद्र गुहा जैसे नामचीन समकालीन लेखक भी थे। बाद में अमिताभ घोष ने  सेंट स्टीफेन कॉलेज तथा दिल्ली स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा हासिल की। वह ऑक्सफोर्ड डीफिल करने गए। बाद के सालों में क्वीन्स कॉलेज, न्यूयॉर्क और सोर्बोंने ने अमिताभ घोष को डॉक्टरेट की उपाधि भी दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद अमिताभ घोष ने कुछ समय तक दिल्ली के एक अखबार में नौकरी की और फिर पूरी तरह से लेखन से जुड़ गए।

कृतियाँ

अमिताव घोष की 'दी सर्किल ऑफ़ रीज़न', 'इन एन एंटीक लैंड', 'दी कलकत्ता क्रोमोजोम', 'दी शैडो लाइन्स', 'डांसिंग इन कंबोडिया', 'दी ग्लास पैलेस', 'दी हंग्री टाइड' और इबिस ट्राइलॉजी : सी ऑफ़ पॉपिस एवं रिवर ऑफ़ स्मोक' जैसी पुस्तकें चर्चित रही हैं।

लेखक अमिताभ घोष ने ‘द नटमेगस कर्स: पैरेबल्स फॉर ए प्लैनेट इन क्राइसिस' नामक पुस्तक लिखी है। यह जॉन मुर्रे द्वारा प्रकाशित है। पुस्तक जायफल की कहानी के माध्यम से आज दुनिया पर उपनिवेशवाद के प्रभाव के इतिहास के बारे में बात करती है। ‘द नटमेगस कर्स’ में अमिताभ घोष चर्चा करते हैं कि जायफल की अपने मूल बांदा द्वीपों से यात्रा मानव जीवन और पर्यावरण के शोषण की व्यापक औपनिवेशिक मानसिकता पर प्रकाश डालती है, जो आज भी मौजूद है। अमिताभ घोष की कुछ अन्य उल्लेखनीय कृतियों में 'इबिस ट्राइलॉजी' और ‘द ग्रेट डिरेंजमेंट’ शामिल हैं।[1]

पुरस्कार व सम्मान

अंग्रेज़ी के जाने-माने लेखक और उपन्यासकार अमिताव घोष को वर्ष 2018 के 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। चयन समिति ने 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार अमिताव घोष को देने की घोषणा पहले ही कर दी थी। 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेज़ी के पहले लेखक हैं।

उनको उनके उपन्यास 'शैडो लाइन्स' के लिए 1989 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' मिल चुका है। इसके अलावा 2007 में 'पद्म श्री' से भी नवाजे जा चुके हैं। अमिताभ घोष की 'दी सर्किल ऑफ़ रीज़न' को 1990 में 'फ्रांस प्रिक्स मेडिसिस अवार्ड' भी मिल चुका है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अमिताभ घोष की नई किताब ‘द नटमेग’स कर्स’ (हिंदी) hindicurrentaffairs.adda247.com। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2022।
  2. अंग्रेज़ी के जाने-माने लेखक अमिताव घोष हुए 54वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित... (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 02 अक्टूबर, 2022।

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