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इस भवन को चर्चित वास्तुकार '''बिमल पटेल''' ने डिज़ाइन किया है। बिमल पटेल [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद]] शहर से आते हैं। वह इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं। | इस भवन को चर्चित वास्तुकार '''बिमल पटेल''' ने डिज़ाइन किया है। बिमल पटेल [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद]] शहर से आते हैं। वह इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं। | ||
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पुराना संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है और इसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। नये भवन को अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन और वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन की गई है। बिमल पटेल (Bimal Patel) सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट हैं। उनके पास दशकों का अनुभव है और वो एक कुशल वास्तुकार हैं। नए संसद भवन (New Parliament Building) का आकार त्रिकोणीय है, और यह मौजूदा संसद भवन के पास ही बना है। नए संसद भवन लगभग 150 वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। | पुराना संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है और इसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। नये भवन को अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन और वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन की गई है। बिमल पटेल (Bimal Patel) सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट हैं। उनके पास दशकों का अनुभव है और वो एक कुशल वास्तुकार हैं। नए संसद भवन (New Parliament Building) का आकार त्रिकोणीय है, और यह मौजूदा संसद भवन के पास ही बना है। नए संसद भवन लगभग 150 वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकेगा। | ||
05:10, 28 मई 2023 का अवतरण
संसद भवन
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विवरण | 'संसद भवन' में भारत की संसदीय कार्रवाई होती है। दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। |
प्रकार | राष्ट्रीय विधायिका |
शहर | नई दिल्ली, भारत |
स्वामित्व | राष्ट्रपति, भारत सरकार |
आधारशिला | 10 दिसंबर, 2020[1] |
उद्घाटन | 28 मई, 2023[2] |
वास्तुकार | इस भवन को चर्चित वास्तुकार बिमल पटेल ने डिज़ाइन किया है। बिमल पटेल गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं। वह इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं। |
वास्तुकला | विशाल त्रिभुजाकार भवन |
क्षेत्रफल | लगभग 15.938297 एकड़ (64,500 वर्ग मीटर) |
संविधान कक्ष | पुराने संसद भवन में संविधान कक्ष नहीं था। नए संसद भवन में संविधान कक्ष है जो इसका प्रमुख आकर्षण है। संविधान कक्ष के शीर्ष पर एक अशोक स्तंभ है, जो भारतीय विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। |
संरचना | नए संसद भवन को तिकोने आकार में डिजाइन किया गया है। त्रिकोणीय आकार इष्टतम स्थान उपयोग सुनिश्चित करने के लिए है। |
बाहरी कड़ियाँ | नया संसद भवन |
सेंट्रल विस्टा परियोजना के अन्तर्गत इस नए संसद भवन का निर्माण कराया गया है। नया संसद भवन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। त्रिकोण के आकर में बनाया गया संसद भवन दिव्य और भव्य है। परियोजना की वेबसाइट ने कहा कि त्रिकोणीय आकार इष्टतम स्थान उपयोग सुनिश्चित करने के लिए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 में नई संसद की आधारशिला रखी थी। इसका निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने किया है। इस भवन को चर्चित वास्तुकार बिमल पटेल ने डिज़ाइन किया है। बिमल पटेल गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं। वह इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं।
इस भवन में भारत की लोकतांत्रिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य संविधान हॉल बनाया गया है। नए संसद भवन में संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक पुस्तकालय, कई समिति कक्ष, भोजन क्षेत्र और पर्याप्त पार्किंग स्थान भी है। परियोजना को पूरा करने की समय सीमा नवंबर, 2022 रखी गई थी लेकिन यह अब 2023 मेंबनकर तैयार हुआ है। नए संसद भवन के तीन मुख्य द्वार हैं - ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। वीआईपी, सांसदों और अतिथियों का प्रवेश अलग-अलग द्वार से होगा। नए संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 300 सांसदों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
स्वरूप
तिकोने आकार में बना नया संसद भवन चार मंजिला है। ये पूरा परिसर 64,500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है। इसकी लागत 862 करोड़ रुपये है। नए भवन में एक एक संविधान हॉल है, जिसमें भारतीय लोकतंत्र की विरासत को दिखाया गया है।
आवश्यकता
पुराने संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया। यह लगभग 100 वर्ष पुराना एक विरासत ग्रेड-I भवन है। गत वर्षों में, संसदीय कार्यों और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है। संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है। इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है। इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक प्रकाश कम हो गया है। इसीलिए, यह अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा हैं तथा स्थान, सुविधाओं और प्रौद्योगिकी जैसे मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है।सेंट्रल विस्टा वेबसाइट के अनुसार, पुराने भवन में अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय था, क्योंकि इसे मौजूदा अग्नि सुरक्षा मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया था। संभावित आग के खतरे को देखते हुए कई नए विद्युत केबल जोड़े गए थे। इसके अलावा, जल आपूर्ति लाइनों, सीवर लाइनों, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो-वीडियो सिस्टम आदि जैसी सेवाओं को लगाने से भवन की सुंदरता बिगड़ी और रिसाव आना शुरू हो गया था। अत: सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में, नई दिल्ली में एक नए संसद भवन का निर्माण किया गया।
शिलान्यास
माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को एक कार्यक्रम में नई दिल्ली में नए संसद भवन की आधारशिला रखी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं, कैबिनेट मंत्रियों और विभिन्न देशों के राजदूतों ने भाग लिया। प्रधान मंत्री ने इस भवन के लिए शिलान्यास समारोह भी किया, जिसके अक्टूबर 2022 तक संसद के शीतकालीन सत्र के लिए पूरा होने की उम्मीद है।
स्थित
भारत की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के हिस्से के रूप में, नई दिल्ली में एक नए संसद भवन का निर्माण किया गया। उद्घाटन के बाद, यह भारत की संसद की सीट के रूप में काम करेगा, जो वर्तमान में पुराने संसद भवन (1926 में निर्मित) में है, के पास स्थित है।
भारतीय संस्कृति का प्रतीक
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कालीन, त्रिपुरा के बांस के फर्श और राजस्थान के पत्थर की नक्काशी के साथ नया संसद भवन भारतीय संस्कृति की विविधता को भी दर्शाता है। सरकार इस ऐतिहासिक समारोह को यादगार बनाने के लिए 75 रुपये का सिक्का जारी करेगी। अधिकारियों के अनुसार इसमें 6 द्वार हैं। सार्वजनिक रास्तों में देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां और आर्ट वर्क होंगे। यहां देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियां भी दिखाई जाएंगी, इनमें गरुड़, गज, अश्व और मगर सम्मलित हैं। यहां तीन गैलरी होंगी, जो भारत की ऐतिहासिक से आधुनिक दौर की यात्रा करवाएंगी। भवन में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर, सरदार पटेल, और चाणक्य की ग्रेनाइट मूर्तियां भी स्थापित की जाएगी।
बैठक व्यवस्था
पुराने भवन में लोकसभा और राज्यसभा में क्रमशः 550 और 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसकी तुलना में नए भवन में लोकसभा में 888 सांसदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों को समायोजित करने की क्षमता होगी। दरअसल, वर्तमान भवन को द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था। 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 से कभी नहीं बदली। हालांकि, 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने का अनुमान है क्योंकि सीटों की कुल संख्या पर स्थिरता केवल 2026 तक ही है। बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है। आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है।
क्षेत्र
नया संसद भवन लगभग 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला होगा। लगभग 16 एकड़ का क्षेत्रफल होगा। वहीं पुराना भवन एक गोलाकार भवन है जिसका व्यास 170.69 मीटर और परिधि 536.33 मीटर है। यह लगभग छह एकड़ (24,281 वर्ग मीटर) का क्षेत्रफल में फैला है।
सेंट्रल हॉल
नए भवन में मौजूदा संसद भवन की तरह सेंट्रल हॉल नहीं है। सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है। जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है। अब संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा कक्ष का उपयोग किया जाएगा।
आधुनिक तकनीक
सेंट्रल विस्टा वेबसाइट के अनुसार, नये भवन में अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें मतदान में आसानी के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली और माइक्रोफोन शामिल हैं। हॉल के अंदरूनी हिस्सों को आभासी ध्वनि सिमुलेशन फिट किया जाएगा ताकि गूंज को सीमित किया जा सके।
वास्तुकार
इस भवन को चर्चित वास्तुकार बिमल पटेल ने डिज़ाइन किया है। बिमल पटेल गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं। वह इससे पहले भी कई मशहूर इमारतों को डिजाइन कर चुके हैं।
डिजाइन
पुराना संसद भवन एक औपनिवेशिक युग की इमारत है और इसे ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। नये भवन को अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन और वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन की गई है। बिमल पटेल (Bimal Patel) सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के आर्किटेक्ट हैं। उनके पास दशकों का अनुभव है और वो एक कुशल वास्तुकार हैं। नए संसद भवन (New Parliament Building) का आकार त्रिकोणीय है, और यह मौजूदा संसद भवन के पास ही बना है। नए संसद भवन लगभग 150 वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकेगा।
लागत
नए संसद भवन की लागत 971 करोड़ रुपए है। पुराने संसद भवन के निर्माण की लागत 83 लाख रुपये थी।
निर्माण समय
10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। संसद के नवनिर्मित भवन को गुणवत्ता के साथ तीन साल पांच महीने में तैयार किया गया है। वहीं, पुराने संसद भवन के निर्माण में छह साल (1921-1927) लगे थे।
उद्घाटन
28 मई 2023 को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन किया गया है। पुरानी संसद भवन, एक वास्तुशिल्प वैभव और एक ऐतिहासिक मील का पत्थर जिसने लगभग एक सदी तक भारत की नियति का मार्गदर्शन किया और जिसकी शानदार विरासत अब इतिहास के पन्नों में दर्ज की जाएगी। इसका उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था।
पार्किंग क्षमता
पुराने संसद भवन में 212 गाड़ियों की पार्किंग क्षमता है। वहीं नया संसद भवन 900 गाड़ियां की पार्किंग का स्थान रखता है।
संविधान कक्ष
नए संसद भवन में संविधान कक्ष मौजूद है जो इसका प्रमुख आकर्षण है। संविधान कक्ष के शीर्ष पर एक अशोक स्तंभ है, जो भारतीय विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। संविधान की एक प्रति इस कक्ष के भीतर सुरक्षित रखी जाएगी। इसकी भव्यता को बढ़ाने के लिए, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे महान व्यक्तियों के बड़ी तस्वीरें नए संसद भवन के हॉल की शोभा बढ़ाएंगी।
नए संसद भवन में क्या है खास
- नए संसद भवन को तिकोने आकार में डिजाइन किया गया है.
- नए संसद भवन में लोकसभा की 888 सीटें हैं।
- विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
- नए संसद भवन में राज्यसभा में 384 सीटें हैं।
- नया संसद भवन 900 गाड़ियां की पार्किंग का स्थान रखता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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