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'''असत्''' ([[विशेषण]]) [नञ् तत्पुरुष समास] | '''असत्''' ([[विशेषण]]) [नञ् तत्पुरुष समास] | ||
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2. जिसका अस्तित्व न हो | 2. जिसका अस्तित्व न हो<br/> | ||
3. बुरा (विपरीतार्थक 'सत्') | 3. बुरा (विपरीतार्थक 'सत्')<br/> | ||
4. दुष्ट, पापी, निद्य जैसे 'विचार | 4. दुष्ट, पापी, निद्य जैसे 'विचार<br/> | ||
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6. गलत, अनुचित, मिथ्या, असत्य ([[पुल्लिंग]]'''-न्''') इन्द्र, (नपुंसक लिंग'''-त्''') | 6. गलत, [[अनुचित]], मिथ्या, असत्य ([[पुल्लिंग]]'''-न्''') इन्द्र, (नपुंसक लिंग'''-त्''') | ||
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::::::::2. झूठ, मिथ्यात्व'''-ती''' दुश्चरित्रा [[स्त्रीलिंग]]-असती भवति सलज्जा<ref>-पंच. 1/418</ref> | ::::::::2. झूठ, मिथ्यात्व'''-ती''' दुश्चरित्रा [[स्त्रीलिंग]]-असती भवति सलज्जा<ref>-पंच. 1/418</ref> | ||
समस्त पद'''-अध्येतृ''' ([[पुल्लिंग]]) वह [[ब्राह्मण]] जो पाखंड युक्त रचनाओं को पढ़ता है, जो अपनी वेदशाखा की उपेक्षा करके दूसरी शाखा का अध्ययन करता है, 'शाखारंड' कहलाता है'''-आगमः''' ([[पुल्लिंग]]) 1. धर्मविरुद्ध शास्त्र या सिद्धांत 2. अनुचित साधनों से (धन की) प्राप्ति 3. बुरा साधन-आचार ([[विशेषण]]) दुराचारी, बुरा आचरण करने वाला, दुष्ट '''-रः''' (पुल्लिंग)) अशिष्ट'''-आचरण''','''-कर्मन्''' (नपुंसक लिंग) | समस्त पद'''-अध्येतृ''' ([[पुल्लिंग]]) वह [[ब्राह्मण]] जो पाखंड युक्त रचनाओं को पढ़ता है, जो अपनी वेदशाखा की उपेक्षा करके दूसरी शाखा का अध्ययन करता है, 'शाखारंड' कहलाता है'''-आगमः''' ([[पुल्लिंग]]) 1. धर्मविरुद्ध शास्त्र या सिद्धांत 2. अनुचित साधनों से (धन की) प्राप्ति 3. बुरा साधन-आचार ([[विशेषण]]) दुराचारी, बुरा आचरण करने वाला, दुष्ट '''-रः''' (पुल्लिंग)) [[अशिष्ट]]'''-आचरण''','''-कर्मन्''' (नपुंसक लिंग) | ||
'''-क्रिया''' ([[स्त्रीलिंग]]) | '''-क्रिया''' ([[स्त्रीलिंग]])<br/> | ||
1. बुरा काम | 1. बुरा काम<br/> | ||
2. बुरा व्यवहार,'''-कल्पना''' ([[स्त्रीलिंग]]) | 2. बुरा व्यवहार,'''-कल्पना''' ([[स्त्रीलिंग]]) | ||
::::1. गतल कार्य | ::::1. गतल कार्य |
05:35, 26 मई 2024 का अवतरण
असत् (विशेषण) [नञ् तत्पुरुष समास]
1. अविद्यमान
2. जिसका अस्तित्व न हो
3. बुरा (विपरीतार्थक 'सत्')
4. दुष्ट, पापी, निद्य जैसे 'विचार
5. अव्यक्त
6. गलत, अनुचित, मिथ्या, असत्य (पुल्लिंग-न्) इन्द्र, (नपुंसक लिंग-त्)
- 1. अनस्तित्व, असत्ता
- 2. झूठ, मिथ्यात्व-ती दुश्चरित्रा स्त्रीलिंग-असती भवति सलज्जा[1]
समस्त पद-अध्येतृ (पुल्लिंग) वह ब्राह्मण जो पाखंड युक्त रचनाओं को पढ़ता है, जो अपनी वेदशाखा की उपेक्षा करके दूसरी शाखा का अध्ययन करता है, 'शाखारंड' कहलाता है-आगमः (पुल्लिंग) 1. धर्मविरुद्ध शास्त्र या सिद्धांत 2. अनुचित साधनों से (धन की) प्राप्ति 3. बुरा साधन-आचार (विशेषण) दुराचारी, बुरा आचरण करने वाला, दुष्ट -रः (पुल्लिंग)) अशिष्ट-आचरण,-कर्मन् (नपुंसक लिंग)
-क्रिया (स्त्रीलिंग)
1. बुरा काम
2. बुरा व्यवहार,-कल्पना (स्त्रीलिंग)
- 1. गतल कार्य
- 2. मिथ्या प्रपंच,-ग्र (ग्रा) हः
- 1. बुरा दाँव
- 2. बुरी राय, पक्षपात
- 3. बच्चों जैसी इच्छा,-चेष्टितम् (नपुंसक लिंग) क्षति, आघात-प्राणष्वसच्चेष्टितम्[2],-दृश (विशेषण) बुरी दृष्टि वाला-पथ: (पुल्लिंग) 1. बुरा मार्ग 2. अनिष्ट-आचरण या सिद्धान्त:-परिग्रह: (पुल्लिंग) बुरे मार्ग को ग्रहण करना,-प्रतिग्रहः (पुल्लिंग) 1. बुरी वस्तुओं का उपहार 2. (तिल आदि) अनुपयुक्त उपहार ग्रहण करना या अनुचित व्यक्तियों से लेना,-भावः (पुल्लिंग) 1. अनस्तित्व, अभाव 2. बुरी राय या दुर्गति 3. अहितकर स्वभाव,-वृत्ति,-व्यवहार (विशेषण) अनिष्टकर आचरण करने वाला, दुष्ट-त्तिः (स्त्रीलिंग) 1. नीच या अपमानजनक पेशा 2. दुष्टता,-शास्त्रम् (नपुंसक लिंग) 1. गलत सिद्धांत, 2. धर्मविरुद्ध सिद्धांत,-संसर्गः (पुल्लिंग) बुरी संगति-हेतुः (पुल्लिंग) बुरा या आभासी कारण, दे. 'हेत्वाभास'।[3]
इन्हें भी देखें: संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेताक्षर सूची), संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश (संकेत सूची) एवं संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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