"भारतकोश:अभ्यास पन्ना3": अवतरणों में अंतर
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{"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?== | {"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है? | ||
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-डॉ. श्यामसुन्दर दास | |||
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल | |||
-डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी | |||
-डॉ. रामविलास शर्मा | |||
{आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है? | |||
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-[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका | |||
-हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास | |||
-मध्यकालीन धर्मसाधना) | |||
+हिन्दी साहित्य का आदिकाल | |||
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है? | |||
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-([[1887]]) | -([[1887]]) | ||
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===== आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?===== | ===== आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2=ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2='''ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि'''{{Check}}|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2=ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2='''ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि'''{{Check}}|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या|विवरण=}} | ||
===== इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?===== | ===== इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4=मिश्रबन्धु}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4='''मिश्रबन्धु'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4=मिश्रबन्धु}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4='''मिश्रबन्धु'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===== 'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?===== | ===== 'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2='''डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र'''{{Check}}|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2='''डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र'''{{Check}}|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र|विवरण=}} | ||
===== प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?===== | ===== प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3=कृष्णभक्ति शाखा|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा}}{{Ans|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3='''कृष्णभक्ति शाखा'''{{Check}}|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3=कृष्णभक्ति शाखा|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा}}{{Ans|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3='''कृष्णभक्ति शाखा'''{{Check}}|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा|विवरण=}} |
06:46, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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