===== 'बिहारी सतसई' पर किस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है?=====
===== 'बिहारी सतसई' पर किस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है?=====
{{Opt|विकल्प 1=गाथा सप्तशती|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''गाथा सप्तशती'''{{Check}}|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं|विवरण=}}
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===== 'बिहारी सतसई' की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है?=====
===== 'बिहारी सतसई' की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है?=====
{{Opt|विकल्प 1=कल्पना की समाहार शक्ति|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन}}{{Ans|विकल्प 1='''कल्पना की समाहार शक्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन|विवरण=}}
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07:59, 23 दिसम्बर 2010 का अवतरण
<quiz display=simple>
{खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?
उर्दू भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 18 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह फ़ारसी और अरबी से प्रभावित है, लेकिन यह हिन्दी के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। हिन्दी के लिए देवनागरी का उपयोग होता है और उर्दू के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है, जिसे आवश्यकतानुसार स्थानीय रूप में परिवर्तित कर लिया गया है। {{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- उर्दू भाषा
{हिन्दी भाषा का पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्ताण्ड' किस सन् में प्रकाशित हुआ था?
type="()"}
- (1821)
+ (1826)
- (1828)
- (1830)
{हिन्दी के किस समाचार-पत्र में 'खड़ीबोली' को 'मध्यदेशीय भाषा' कहा गया है?
प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब संस्कृत का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- प्राकृत भाषा
{सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है?
type="()"}
+ देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी हिन्दी
- प्राकृत भाषा
- अवहट्ठ भाषा
- पालि भाषा
{प्रादेशिक बोलियाँ के साथ ब्रज या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?
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- डिंगल भाषा
- मेवाड़ी भाषा
- मारवाड़ी भाषा
+ पिंगल भाषा
{अपभ्रंश के योग से राजस्थानी भाषा का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?
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- पिंगल भाषा
+ डिंगल भाषा
- मेवाड़ी भाषा
- बाँगरु भाषा
{अमीर ख़ुसरो ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?
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- दक्खिनी
+ खड़ीबोली
- बुन्देली
- बघेली
{'एक नगर पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?
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+ ब्रजभाषा
- खड़ीबोली भाषा
- अपभ्रंश भाषा
- कन्नौजी भाषा
ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है। {{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- ब्रजभाषा
{किस भाषा को वैज्ञानिक ने बिहारी और मैथिली मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?
type="()"}
- हार्नले
+ सुनीति कुमार चटर्जी
- जॉर्ज ग्रियर्सन
- धीरेन्द्र वर्मा
{देवनागरी लिपि को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था??
प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट अशोक (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते है । नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी खरोष्ठी की तरह ही पूरे एशिया में फैली हुई थी।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- ब्राह्मी लिपि
{'साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?
type="()"}
- डॉ. श्यामसुन्दर दास
-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
+ डॉ. नलिन विलोचन शर्मा
-डॉ. गुलाब राय
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?
type="()"}
- हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास
+हिन्दी साहित्य का विकास
- हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास
-हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा
{जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?
{"जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?
type="()"}
-डॉ. श्यामसुन्दर दास
+आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
-डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी
-डॉ. रामविलास शर्मा
{आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?
type="()"}
-हिन्दी साहित्य की भूमिका
-हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास
-मध्यकालीन धर्मसाधना)
+हिन्दी साहित्य का आदिकाल
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?
type="()"}
-ग्रंथों की प्रसिद्धि
+ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि
-ग्रंथों की उपलब्धता
-रचनाकारों की संख्या
{इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?
type="()"}
-डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
-डॉ. नगेन्द्र
-डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'
+मिश्रबन्धु
{'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?
type="()"}
-आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी
+डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
-डॉ. माताप्रसाद गुप्त
-डॉ. विद्यानिवास मिश्र
{प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?
type="()"}
-रामभक्ति शाखा
-ज्ञानाश्रयी शाखा
+कृष्णभक्ति शाखा
-प्रेममार्गी शाखा
{मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?
महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- सूरदास
{'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?
type="()"}
-मंझन
-कुतुबन
-उसमान
+क़ासिमशाह
{'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?
{आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?
type="()"}
-रीतिकाव्य की भूमिका
-रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि
-रीतिकाव्य की प्रस्तावना
+हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2
{'भारत मित्र' पत्र (जो कलकत्ता से स. 1934 वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?
type="()"}
-तोताराम
+रुद्रदत्त शर्मा
-कन्हैयालाल
-बल्देव प्रसाद
{'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है?
type="()"}
-मिश्रबंधु
-शिवसिंह 'सेंगर'
+रामचन्द्र शुक्ल
-रामविलास शर्मा
{'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?
type="()"}
+प्रेमचन्द्र
-यशपाल
-अज्ञेय
-निर्मल वर्मा
भारत के उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद (जन्म- 31 जुलाई, 1880 - मृत्यु- 8 अक्टूबर, 1936) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- प्रेमचंद
{'मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?
(10 सितम्बर , 1887 - 7 मार्च, 1961) गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान उत्तराखंड राज्य के अल्मोडा ज़िले के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- गोविंद बल्लभ पंत
{डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य केशवदास पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?
type="()"}
-केशव का आचार्यत्व
-केशव की प्रतिभा
-केशव की कला
+केशव की काव्यकला
{इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?
type="()"}
-डॉ. रामकुमार वर्मा
-सेठ गोविन्ददास
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
+जयशंकर प्रसाद
महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- 30 जनवरी, 1889 ई.,वाराणसी, उत्तर प्रदेश, मृत्यु- 15 नवम्बर, सन 1937) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- जयशंकर प्रसाद}}
{'प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?
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-केदारनाथ सिंह
-सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
+नरेन्द्र शर्मा
-रामधारी सिंह 'दिनकर'
इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?
भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?
मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है?