"फ़र्रुख़सियर": अवतरणों में अंतर

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(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-253
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10:41, 9 फ़रवरी 2011 का अवतरण

  • फ़र्रुख़सियर नवाँ मुग़ल बादशाह (1713-19) और अज़ीमुश्शान का पुत्र था।
  • यह अपने पिता शाह आलम प्रथम (1707-12) की मृत्यु के पश्चात उत्तराधिकार के युद्ध में मारा गया।
  • फ़र्रुख़सियर वज़ीर जुल्फ़िकार ख़ाँ की सहायता से अपने चाचा बादशाह जहाँदारशाह (1712-13) को, जिसकी बाद में हत्या करा दी गई, पदच्युत कर ख़ुद दिल्ली के राजसिंहासन पर बैठ गया।
  • इसके कुछ ही दिन बाद फ़र्रुख़सियर ने जुल्फ़िकार ख़ाँ को सूली पर चढ़वा दिया और हुसेन अलीअब्दुल्ला ख़ाँ नामक दो सैयद बन्दुओं को अपना विश्वासपात्र बनाया।
  • फ़र्रुख़सियर ने हुसेन अली को प्रधान सेनापति और अब्दुल्ला ख़ाँ को अपना वज़ीर बनाया।
  • अपने अल्प शासनकाल में फ़र्रुख़सियर ने सिक्ख नेता बंदा बैरागी को उसके एक हज़ार अनुयायियों के साथ गिरफ़्तार कर 1715 ई. में सबको मरवा डाला।
  • ईस्ट इंडिया कम्पनी ने फ़र्रुख़सियर से बहुत लाभ उठाया। 1715 ई. में एक अंग्रेज़ी दूतमंडल, जिसमें विलियम हैमिल्टन नामक शल्य चिकित्सक भी था, उसके दरबार में आया।
  • अंग्रेज़ विलियम हैमिल्टन ने शल्य चिकित्सा से बहादुरशाह की बीमार पुत्री को मामूली इलाज से ठीक कर दिया।
  • फ़र्रुख़सियर ने खुश होकर शल्य चिकित्सक की स्वामी ईस्ट इंडिया कम्पनी को ईनाम के तौर पर व्यापार में महत्वपूर्ण रियायतें दीं और बंगाल में उसके लिए तटकर माफ़ कर दिया।
  • फ़र्रुख़सियर दिमाग़ का कमज़ोर था, इसीलिए वह सैयद भाइयों के नियंत्रण से मुक्त होना चाहता था।
  • दैवयोग से सैयद बन्दुओं को सम्राट के षड़यंत्र का पता चल गया और उन्होंने पहले ही उसको उपदस्थ कर दिया और बाद को आँखें निकलवा कर मरवा डाला।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-253


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