"रामायण सामान्य ज्ञान": अवतरणों में अंतर
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||न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई। महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[महर्षि गौतम|गौतम]] | ||न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई। महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[महर्षि गौतम|गौतम]] | ||
{[[परशुराम]] | {[[परशुराम]] किसके पुत्र थे? | ||
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-[[अगस्त्य|अगस्त्य मुनि]] | -[[अगस्त्य|अगस्त्य मुनि]] |