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10:53, 3 मार्च 2011 का अवतरण
- बिहारीमल आमेर का राजा था, जो राजनीति में यथार्थवाद का अनुगामी था।
- वह राजपूताना के उन राजपूत शासकों में अग्रणी था, जिन्होंने मुग़लों का विरोध करने की नीति की निरर्थकता समझ ली थी।
- उसने बाबर की और उसके उपरान्त हुमायूँ की अधीनता स्वीकार कर ली।
- 1555 ई. में उसकी भेंट अकबर से हुई, जिसने उसका समुचित सत्कार किया।
- 1561 ई. में अजमेर के ज़ागीरदार ने बिहारीमल पर आक्रमण करके उसके कुछ इलाक़ों को दबा लिया और इसके पुत्र को बंधक के रूप में अपने पास रख लिया।
- बिहारीमल ने अपने राज्य को बचाने के लिए अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली और अपनी पुत्री का विवाह उसके साथ करके मैत्री सम्बन्ध को और भी मज़बूत बना लिया।
- यह सम्बन्ध सुखद सिद्ध हुआ और यही राजकुमारी अकबर के ज्येष्ठ पुत्र जहाँगीर की मां बनी।
- राजा बिहारीमल ने अपने पुत्र भगवानदास तथा दत्तक पौत्र मानसिंह के साथ बादशाह अकबर की नौकरी कर ली और इन सबको ऊँचे मनसब दिये गए।
- इस प्रकार बिहारीमल ने अपनी नीति से आमेर (जयपुर) को मुग़लों की लूटपाट तथा बरबादी से बचाकर जयपुर रियासत को राजपूताने की सबसे धनी और कलाकौशलपूर्ण रियासत बना दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ