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-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
{निम्न में किस ग्रंथ में शूदों के लिए 'आर्य' शब्द का प्रयोग हुआ है? | {निम्न में किस ग्रंथ में शूदों के लिए '[[आर्य]]' शब्द का प्रयोग हुआ है? | ||
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+[[अर्थशास्त्र]] | +[[अर्थशास्त्र]] | ||
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-पाणिनि की अष्टाध्यायी | -पाणिनि की अष्टाध्यायी | ||
-बृहत्कथामंजरी | -बृहत्कथामंजरी | ||
|| [[भारत]] में धार्मिक ग्रन्थों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक ग्रन्थ है। अर्थशास्त्र ग्रन्थ के रचनाकार कौटिल्य हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[अर्थशास्त्र]] | |||
{[[अशोक]] का सबसे लम्बा स्तम्भ लेख निम्न में से कौन सा था? | {[[अशोक]] का सबसे लम्बा स्तम्भ लेख निम्न में से कौन सा था? | ||
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-तीसरा | -तीसरा | ||
+ | +सातवाँ | ||
- | -तेरहवाँ | ||
-चौथा | -चौथा | ||
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+[[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय में | +[[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय में | ||
-[[गुप्त|गुप्तों]] के समय में | -[[गुप्त|गुप्तों]] के समय में | ||
||सातवाहन [[भारत]] का एक राजवंश था। जिसने केन्द्रीय दक्षिण भारत पर शासन किया। भारतीय परिवार, जो [[पुराण|पुराणों]] (प्राचीन धार्मिक तथा किंवदंतियों का साहित्य) पर आधारित कुछ व्याख्याओं के अनुसार, आंध्र जाति (जनजाति) का था और दक्षिणापथ अर्थात दक्षिणी क्षेत्र में साम्राज्य की स्थापना करने वाला यह पहला दक्कनी वंश था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[सातवाहन वंश]] | |||
{वशिष्ठीपुत्र पुलुमावी ने द्वितीय सदी के मध्य में सातवाहन राज्य की राजधानी किसे बनाया? | {वशिष्ठीपुत्र पुलुमावी ने द्वितीय सदी के मध्य में सातवाहन राज्य की राजधानी किसे बनाया? | ||
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-प्रतिष्ठान | -प्रतिष्ठान | ||
-[[आन्ध्र प्रदेश]] | -[[आन्ध्र प्रदेश]] | ||
||प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता है। सम्राट [[अशोक]] के शिलालेख भी [[मुंबई]] के निकट पाए गए हैं। महाराष्ट्र के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[महाराष्ट्र]] | ||प्राचीन 16 महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक [[अहमदनगर]] के आसपास का माना जाता है। सम्राट [[अशोक]] के शिलालेख भी [[मुंबई]] के निकट पाए गए हैं। [[महाराष्ट्र]] के पहले प्रसिद्ध शासक सातवाहन (ई.पू. 230 से 225 ई.) थे जो महाराष्ट्र राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने अपने पीछे बहुत से साहित्यिक, कलात्मक तथा पुरातात्विक प्रमाण छोड़े हैं। उनके शासनकाल में मानव जीवन के हर क्षेत्र में भरपूर प्रगति हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[महाराष्ट्र]] | ||
{[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार आंध्र [[सातवाहन वंश]] ने लगभग कितने वर्षों तक शासन किया? | {[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार आंध्र [[सातवाहन वंश]] ने लगभग कितने वर्षों तक शासन किया? | ||
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-नारायण | -नारायण | ||
{[[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय में सर्वाधिक सिक्के किस धातु के बने हैं? | {[[सातवाहन|सातवाहनों]] के समय में सर्वाधिक सिक्के किस [[धातु]] के बने हैं? | ||
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+सीमा | +सीमा | ||
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+[[शुंग वंश|शुंग]] | +[[शुंग वंश|शुंग]] | ||
-[[कुषाण वंश|कुषाण]] | -[[कुषाण वंश|कुषाण]] | ||
||[[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके ब्राह्मण सेनापति पुष्यमित्र ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर [[मगध]] पर शुंग वंश के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई. पू. 185 ई. से पू. 100 तक दृढ़ बना रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[शुंग वंश]] | ||[[मौर्य वंश]] का अंतिम शासक वृहद्रय था। वृहद्रय को उसके [[ब्राह्मण]] सेनापति पुष्यमित्र ने ई. पूर्व 185 में मार दिया और इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हो गया। पुष्यमित्र ने [[अश्वमेध यज्ञ]] किया था। पुष्यमित्र ने सिंहासन पर बैठकर [[मगध]] पर [[शुंग वंश]] के शासन का आरम्भ किया। शुंग वंश का शासन सम्भवतः ई. पू. 185 ई. से पू. 100 तक दृढ़ बना रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[शुंग वंश]] | ||
{[[भारत]] में सबसे पहले किस वंश के शासकों ने [[सोना|सोने]] के सिक्के जारी किये? | {[[भारत]] में सबसे पहले किस वंश के शासकों ने [[सोना|सोने]] के सिक्के जारी किये? | ||
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{सर्वप्रथम [[भारत]] में विशुद्ध [[संस्कृत भाषा]] में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया? | {सर्वप्रथम [[भारत]] में विशुद्ध [[संस्कृत भाषा]] में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया? | ||
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-[[यवन]] राजा मिनाण्डर द्वारा | -[[यवन]] राजा [[मिलिंद (मिनांडर)|मिनाण्डर]] द्वारा | ||
-[[पहलव]] राजा गोन्दोफिर्नस द्वारा | -[[पहलव]] राजा गोन्दोफिर्नस द्वारा | ||
+[[शक]] राजा रूद्रदामन द्वारा | +[[शक]] राजा रूद्रदामन द्वारा | ||
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{किस राजा के शासन काल में [[ईसाई धर्म]] प्रचारक 'सेंट थामस' [[भारत]] आया? | {किस राजा के शासन काल में [[ईसाई धर्म]] प्रचारक 'सेंट थामस' [[भारत]] आया? | ||
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-मिनाण्डर | -[[मिलिंद (मिनांडर)|मिनाण्डर]] | ||
-रूद्रदामन | -रूद्रदामन | ||
+गोन्दोफिर्नस | +गोन्दोफिर्नस | ||
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+[[कुषाण|कुषाणों]] ने | +[[कुषाण|कुषाणों]] ने | ||
-[[मौर्य|मौर्यों]] ने | -[[मौर्य|मौर्यों]] ने | ||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | |||
विद्वान ने [[कनिष्क]] की राजसभा को सुशोभित नहीं किया? | |||
{निम्न में से किस | |||
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-[[अश्वघोष]] | -[[अश्वघोष]] | ||
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+[[कुषाण|कुषाणों]] का | +[[कुषाण|कुषाणों]] का | ||
-[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का | -[[गुप्त वंश|गुप्तों]] का | ||
||युइशि लोगों के पाँच राज्यों में अन्यतम का कुएई-शुआंगा था। 25 ई. पू. के लगभग इस राज्य का स्वामी कुषाण नाम का वीर पुरुष हुआ, जिसके शासन में इस राज्य की बहुत उन्नति हुई। उसने धीरे-धीरे अन्य युइशि राज्यों को जीतकर अपने अधीन कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-: [[कुषाण]] | |||
11:17, 13 मार्च 2011 का अवतरण
इतिहास
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