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-[[औरंगज़ेब]] का एक महत्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र | -[[औरंगज़ेब]] का एक महत्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र | ||
-[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिहासकार एवं कवि | -[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिहासकार एवं कवि | ||
||[[चित्र:Shahjahan on The Peacock Throne.jpg|right| | ||[[चित्र:Shahjahan on The Peacock Throne.jpg|right|120px]][[नूरजहाँ]] के रुख को अपने प्रतिकूल जानकर शाहजहाँ ने 1622 ई. में विद्रोह कर दिया, जिसमें वह पूर्णतः असफल रहा। 1627 ई. में [[जहाँगीर]] की मृत्यु के उपरान्त [[शाहजहाँ]] ने अपने ससुर [[आसफ़ ख़ाँ]] को यह निर्देश दिया, कि वह शाही परिवार के उन समस्त लोगों को समाप्त कर दें, जो राज सिंहासन के दावेदार हैं। जहाँगीर की मृत्यु के बाद शाहजहाँ दक्षिण में था। अतः उसके श्वसुर आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ के आने तक ख़ुसरों के लड़के दाबर बख़्श को गद्दी पर बैठाया। शाहजहाँ के वापस आने पर दाबर बख़्श का क़त्ल कर दिया गया। इस प्रकार दाबर बख़्श को बलि का बकरा कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]] | ||
{'धरमट का युद्ध' (अप्रैल 1658) निम्न में से किनके बीच बीच लड़ा गया था? | {'धरमट का युद्ध' (अप्रैल 1658) निम्न में से किनके बीच बीच लड़ा गया था? | ||
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+[[औरंगज़ेब]] और [[दारा शिकोह]] | +[[औरंगज़ेब]] और [[दारा शिकोह]] | ||
-[[अहमदशाह]] और [[मराठा]] | -[[अहमदशाह]] और [[मराठा]] | ||
||[[चित्र=Darbarscene-Aurangzeb.jpg | ||[[चित्र=Darbarscene-Aurangzeb.jpg|right|120px]]अपने साम्राज्य विस्तार के अन्तर्गत औरंगज़ेब ने सर्वप्रथम असम को अपने अधिकार में करना चाहा। उसने मीर जुमला को बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया और उसे असम को जीतने की ज़िम्मेदारी सौंपी। 1 नवम्बर, 1661 ई. को मीर जुमला ने कूचबिहार की राजधानी को अपने अधिकार में कर लिया। असम पर उस समय अहोम जाति के लोग शासन कर रहे थे। मीर जुमला ने अहोमों को परास्त कर 1662 ई. में ‘गढ़गाँव’ पर क़ब्ज़ा कर लिया। कालान्तर में असम के आन्तरिक संघर्ष का फ़ायदा उठा कर मुग़लों ने 1670 ई. में ‘कामरूप’ के अतिरिक्त शेष असम पर पुनः अधिकार कर लिया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[औरंगज़ेब]] | ||
||[[चित्र:Dara-Shikoh.jpg|right|150px|]]दारा शिकोह की उम्र जिस समय 43 वर्ष की थी और वह पिता के 'तख़्त-ए-ताऊस' को उत्तराधिकार में पाने की उम्मीद रखता था। लेकिन तीनों छोटे भाइयों, ख़ासकर [[औरंगज़ेब]] ने उसके इस दावे का विरोध किया। फलस्वरूप दारा को उत्तराधिकार के लिए अपने इन भाइयों के साथ में युद्ध करना पड़ा। लेकिन [[शाहजहाँ]] के समर्थन के बावजूद दारा की फ़ौज [[15 अप्रैल]] 1658 ई. को धरमट के युद्ध में औरंगज़ेब और मुराद बख़्श की संयुक्त फ़ौज से परास्त हो गई। इसके बाद दारा अपने बाग़ी भाइयों को दबाने के लिए दुबारा खुद अपने नेतृत्व में शाही फ़ौजों के साथ निकला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दारा शिकोह]] | ||[[चित्र:Dara-Shikoh.jpg|right|150px|]]दारा शिकोह की उम्र जिस समय 43 वर्ष की थी और वह पिता के 'तख़्त-ए-ताऊस' को उत्तराधिकार में पाने की उम्मीद रखता था। लेकिन तीनों छोटे भाइयों, ख़ासकर [[औरंगज़ेब]] ने उसके इस दावे का विरोध किया। फलस्वरूप दारा को उत्तराधिकार के लिए अपने इन भाइयों के साथ में युद्ध करना पड़ा। लेकिन [[शाहजहाँ]] के समर्थन के बावजूद दारा की फ़ौज [[15 अप्रैल]] 1658 ई. को धरमट के युद्ध में औरंगज़ेब और मुराद बख़्श की संयुक्त फ़ौज से परास्त हो गई। इसके बाद दारा अपने बाग़ी भाइयों को दबाने के लिए दुबारा खुद अपने नेतृत्व में शाही फ़ौजों के साथ निकला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दारा शिकोह]] | ||
{मुग़ल काल में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको बाबूल मक्का (मक्का द्वार) कहा जाता था? | {[[मुग़ल काल]] में निम्नलिखित बन्दरगाहों में से किसको 'बाबूल मक्का' (मक्का द्वार) कहा जाता था? | ||
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-कालीकट | -कालीकट | ||
-भड़ौच | -भड़ौच | ||
-खम्भात | -[[खम्भात की खाड़ी|खम्भात]] | ||
+सूरत | +[[सूरत]] | ||
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|150px]][[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा (1512 एवं 1530) सूरत को जला दिए जाने के बाद यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बना, जहाँ से कपड़े और सोने का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, किमख़्वाब (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ प्रसिद्ध हैं। सूरत के [[हीरा|हीरे]] पर पॉलिश के उद्योग ने प्रवासी मज़दूरों कों अपनी और आकर्षित किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]] | |||
{दिल्ली का पुराना क़िला किसके द्वारा बनवाया गया था? | {[[दिल्ली]] का [[पुराना क़िला दिल्ली|पुराना क़िला]] किसके द्वारा बनवाया गया था? | ||
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+शेरशाह | +[[शेरशाह]] | ||
-अकबर | -[[अकबर]] | ||
-शाहजहाँ | -[[शाहजहाँ]] | ||
-हुमायूँ | -[[हुमायूँ]] | ||
||[[चित्र:Shershah Tomb2.jpg|right|150px|]]शेरशाह ने [[बंगाल]] के सोनागाँव से लेकर [[पंजाब]] में [[सिंधु नदी]] तक, [[आगरा]] से [[राजस्थान]] और [[मालवा]] तक पक्की सड़कें बनवाई थीं। सड़कों के किनारे छायादार एवं फल वाले वृक्ष लगाये गये थे, और जगह-जगह पर सराय, मस्जिद और कुओं का निर्माण कराया गया था। [[ब्रजमंडल]] के चौमुहाँ गाँव की सराय और छाता गाँव की सराय का भीतरी भाग उसी के द्वारा निर्मित हैं। [[दिल्ली]] में उसने 'शहर पनाह' बनवाया था, जो आज वहाँ का 'लाल दरवाज़ा' है। दिल्ली का 'पुराना क़िला' भी उसी के द्वारा बनवाया माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शेरशाह]] | |||
{अमरकोट के राजा वीरसाल के महल में किस मुग़ल बादशाह का जन्म हुआ था? | {[[अमरकोट]] के राजा वीरसाल के महल में किस [[मुग़ल]] बादशाह का जन्म हुआ था? | ||
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-बाबर | -[[बाबर]] | ||
-औरंगज़ेब | -[[औरंगज़ेब]] | ||
+अकबर | +[[अकबर]] | ||
-जहाँगीर | -[[जहाँगीर]] | ||
||[[चित्र:Akbar-Receives-An-Embassy.jpg|right|150px]]अकबर का जन्म [[अमरकोट]] के राणा ‘वीरसाल’ के महल में हुआ था। आजकल कितने ही लोग अमरकोट को 'उमरकोट' समझने की ग़लती करते हैं। वस्तुत: यह इलाका [[राजस्थान]] का अभिन्न अंग था। आज भी वहाँ [[हिन्दू]] [[राजपूत]] बसते हैं। रेगिस्तान और [[सिंध]] की सीमा पर होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे सिंध के साथ जोड़ दिया और विभाजन के बाद वह [[पाकिस्तान]] का अंग बन गया। [[अकबर]] के बचपन का नाम 'बदरुद्दीन' था। 1546 ई. में अकबर के खतने के समय [[हुमायूँ]] ने उसका नाम 'जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर' रखा। अकबर के जन्म के समय की स्थिति सम्भवतः हुमायूँ के जीवन की सर्वाधिक कष्टप्रद स्थिति थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]] | |||
{‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी? | {[[मुग़ल]] दरबार में ‘पर्दा शासन’ के लिए ज़िम्मेदार ‘अतका खेल’ या ‘हरम दल’ की सर्वप्रमुख सदस्या कौन थी? | ||
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+माहम अनगा | +[[माहम अनगा]] | ||
-हमीदा बानू | -हमीदा बानू | ||
-मेहरुन्निसा | -[[नूरजहाँ|मेहरुन्निसा]] | ||
-जहाँआरा बेगम | -जहाँआरा बेगम | ||
||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]] | |||
{निम्न इतिहासकारों में से किसने अकबर को इस्लाम धर्म का शत्रु कहा है? | {निम्न इतिहासकारों में से किसने [[अकबर]] को [[इस्लाम धर्म]] का शत्रु कहा है? | ||
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-अब्बास ख़ाँ सरवानी | -अब्बास ख़ाँ सरवानी | ||
+ | +[[बदायूंनी]] | ||
-अहमद ख़ाँ | -अहमद ख़ाँ | ||
-मीर अलाउद्दौला कजवीनी | -मीर अलाउद्दौला कजवीनी | ||
||बचपन में बदायूंनी 'बसबार' में रहे और [[सम्भल]] व [[आगरा]] में उन्होंने अध्ययन किया। 1562 में वह [[बदायूँ]] गए, वहाँ से [[पटियाला]] जाकर वह एक स्थानी राजा हुसैन ख़ाँ की सेवा में चले गए, जहाँ वह नौ वर्षों तक रहे। दरबार छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और विभिन्न मुस्लिम रहस्यवादियों के साथ अध्ययन किया। 1574 में बदायूंनी, अब्दुल क़ादिर [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के दरबार में पेश किए गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बदायूंनी]] | |||
{अकबर ने किसे ‘कविराय’ या ‘कविराज’ की उपाधि प्रदान की थी? | {[[अकबर]] ने किसे ‘कविराय’ या ‘कविराज’ की उपाधि प्रदान की थी? | ||
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+बीरबल | +[[बीरबल]] | ||
-अबुल फ़ज़ल | -[[अबुल फ़ज़ल]] | ||
-फ़ैज़ी | -[[फ़ैज़ी]] | ||
-अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना | -[रहीम|अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना]] | ||
||[[चित्र:Birbal.jpg|right|150px|बीरबल]][[अकबर के नवरत्न|अकबर के नवरत्नों]] में सबसे अधिक लोक-प्रसिद्ध [[बीरबल]] [[कानपुर]] के कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] गंगादास के पुत्र थे। बीरबल का असली नाम महेशदास था। कुछ इतिहासकारों ने बीरबल को [[राजपूत]] सरदार बताया है। बीरबल अकबर के स्नेहपात्र थे। अकबर ने बीरबल को 'राजा' और 'कविराय' की उपाधि से सम्मानित किया था। पर उनका साहित्यिक जीवन अकबर के दरबार में मनोरंजन करने तक ही सीमित रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बीरबल]] | |||
{जहाँगीर के निर्देश पर किसने अबुल फ़ज़ल की हत्या की थी? | {[[जहाँगीर]] के निर्देश पर किसने [[अबुल फ़ज़ल]] की हत्या की थी? | ||
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-युसूफजाइयों ने | -युसूफजाइयों ने | ||
-उजबेगों ने | -उजबेगों ने | ||
+वीरसिंह बुन्देला ने | +वीरसिंह बुन्देला ने | ||
-अफ़ग़ानियों ने | -[[अफ़ग़ान|अफ़ग़ानियों]] ने | ||
{‘मैंने अपना राज्य अपनी प्यारी बेगम के हाथों में एक प्याला शराब और एक प्याला शोरबे के लिए बेच दिया है।’ यह कथन किस बादशाह का है? | {‘मैंने अपना राज्य अपनी प्यारी बेगम के हाथों में एक प्याला शराब और एक प्याला शोरबे के लिए बेच दिया है।’ यह कथन किस बादशाह का है? | ||
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+जहाँगीर | +[[जहाँगीर]] | ||
-शाहजहाँ | -[[शाहजहाँ]] | ||
-औरंगज़ेब | -[[औरंगज़ेब]] | ||
-हुमायूँ | -[[हुमायूँ]] | ||
||[[चित्र:Jahangir-Mahal-Orchha.jpg|right|150px]]जहाँगीर ने अपने उत्तर जीवन में शासन का समस्त भार [[नूरजहाँ]] को सौंप दिया था। वह स्वयं शराब पीकर निश्चिंत पड़े रहने में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता था। शराब की बुरी लत और ऐश−आराम ने उसके शरीर को निकम्मा कर दिया था। वह कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नहीं कर सकता था। सौभाग्य से [[अकबर]] के काल में [[मुग़ल]] साम्राज्य की नींव इतनी सृदृढ़ रखी गई थी, कि [[जहाँगीर]] के निकम्मेपन से उसमें कोई ख़ास कमी नहीं आई थी। अपने पिता द्वारा स्थापित नीति और परंपरा का पल्ला पकड़े रहने से जहाँगीर अपने शासन−काल के 22 वर्ष बिना ख़ास झगड़े−झंझटों के प्राय: सुख−चैन से पूरे कर गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | |||
{‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है? | {‘जो चित्रकला के शत्रु हैं, मैं उनका शत्रु हूँ।’ यह कथन किस बादशाह का है? | ||
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-शिवाजी | -[[शिवाजी]] | ||
-राणा प्रताप | -[[राणा प्रताप]] | ||
+जहाँगीर | +[[जहाँगीर]] | ||
-शेरशाह | -[[शेरशाह]] | ||
||जहाँगीर के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था - प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा फूलों को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण [[जहाँगीर]] [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। उसका ‘तुजूके-जहाँगीरी’ संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। उसने कष्टकर चुंगियों एवं करों को समाप्त किया तथा हिजड़ों के व्यापार का निषेध करने का प्रयास किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]] | |||
{किस जाट नेता ने बादशाह अकबर के मक़बरे (सिकन्दरा) को हानि पहुँचाई तथा अकबर की कब्र को खोदकर उसकी अस्थियों को जला दिया? | {किस जाट नेता ने बादशाह अकबर के मक़बरे (सिकन्दरा) को हानि पहुँचाई तथा अकबर की कब्र को खोदकर उसकी अस्थियों को जला दिया? |
07:52, 18 मई 2011 का अवतरण
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