"दामाजी गायकवाड़ द्वितीय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('*'''दामाजी गायकवाड़''', पिलानी गायकवाड़ का पुत्र था। *प...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 201 | chapter =}}
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 201| chapter =}}
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

15:18, 20 मई 2011 का अवतरण

  • दामाजी गायकवाड़, पिलानी गायकवाड़ का पुत्र था।
  • पिलानी गायकवाड़ आरम्भ में मराठा सेनापति त्रियम्बकराव दाभाड़े की सेना में नौकर था।
  • 1731 ई. में बिल्हापुर के युद्ध मे त्रियम्बकराव की पराजय हुई और वह मारा गया।
  • इस युद्ध में दामाजी गायकवाड़ ने अदभुत शौर्य का प्रदर्शन किया था।
  • दामाजी के शौर्य और वीरता से प्रभावित होकर विजेता पेशवा बाजीराव प्रथम ने दामाजी को अपनी सेवा में रख लिया।
  • बाजीराव प्रथम ने बाद में दामाजी को गुजरात में पेशवा का प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया।
  • इस प्रकार दामाजी गायकवाड़ मराठा संघ का एक प्रमुख सरदार बन गया।
  • सरदार बनने के कुछ ही समय बाद उसने बड़ौदा को अपनी राजधानी बनाकर गुजरात में गायकवाड़ सत्ता स्थापित की।
  • दामाजी ने बाजीराव प्रथम के बाद दूसरे पेशवा बालाजी बाजीराव की भी सेवा की और 1761 ई. में पानीपत के युद्ध में भाग लिया।
  • पानीपत के युद्ध में पराजय हो जाने के कारण दामाजी जान बचाने के लिए युद्ध क्षेत्र से भाग आया।
  • अपनी इस पराजय के बाद भी दामाजी गुजरात को अपने अधिकार में किये रहा।
  • 1768 ई. में दामाजी गायकवाड़ मृत्यु हो गई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 201।

संबंधित लेख